रांची: राजधानी रांची में धड़ल्ले से फूड वैन खुलते जा रह हैं। मेन रोड, लालपुर, जेल मोड़ समेत अन्य कई स्थानों पर फूड वैन सजते हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत मोरहाबादी मैदान की हो चुकी है। यहां लगभग 40 से 50 फूड वैन और दर्जनों छोटे-छोटे झोपड़ीनुमा काउंटर सजने लगे हैं। खास बात यह है कि इनमें से किसी के पास न तो एफएसएसएआई और नहीं ट्रेड लाइसेंस है। न तो फूड कंट्रोल का कोई परमिट है और न ही हेल्थ डिपार्टमेंट से मिला कोई सर्टिफिकेट। जबकि नियमानुसार इन सभी फूड वैन संचालकों को फसाई से फूड लेना अनिवार्य है। इसके अलावा नगर निगम से दुकान लगाने के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना जरूरी होता है। लेकिन न तो नगर निगम को कोई मतलब है और न ही एफएसएसएआई या फूड लैब से कोई यहां बिकने वाले खानों की जांच करने आता है।
सांसद आवास के सामने अवैध फूड वैन
नगर निगम क्षेत्र में लगभग दो सौ से भी अधिक मोबाइल फूड वैन अवैध रूप से संचालित किए जा रहा हैं। मोरहाबादी मैदान व आसपास के क्षेत्रों में लगभग 40-50 की संख्या में मोबाइल फूड वैन शुरू हो चुके हैं। सांसद शिबू सोरेन के आवास के सामने ही दर्जनों फूड वैन और छोटे-छोटे काउंटर स्थापित हो चुके हैं, जहां यंगस्टर्स की भीड़ लग रहती है। पूरे दिन चाय और सिगरेट के धुएं उड़ते हैं। मोरहाबादी में पीसीआर की ड्यूटी तो लगी है। लेकिन पुलिस के सामने ही लोग मजे से चाय सिगरेट पीते हैं। मोरहाबादी के अलावा कांके रोड, ईस्ट जेल रोड, न्यूक्लियस मॉल के सामने, रातू रोड स्थित आकाशवाणी के सामने, सहजानंद चौक से कडरू जाने वाले मार्ग पर, स्टेशन रोड में सरकारी बस स्टैंड के समीप, हरमू बाइपास रोड में दि काव रेस्टोरेंट के सामने, वसुंधरा मार्ट के समीप, अरगोड़ा से डिबडीह जाने वाले रास्ते में, ओवरब्रिज, हिनू समेत अन्य कई इलाकों में मोबाइल फूड वैन सजने लगे हैं। फूड वैनों से फास्ट फूड बेचकर संबंधित संचालक प्रतिदिन हजारों रुपये का कारोबार कर रहे हैं। लेकिन नगर निगम को कोई रेवेन्यू प्राप्त नहीं हो रहा है।
खतरनाक है फूड वैन में खाना
इन फूड वैन में मानकों की कोई जांच नहीं होती है। खाने की क्वालिटी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। फूड वैन में बन रहे जायकेदार खानों के पीछे डुप्लीकेट मसाले और मिलावट वाली ऑयल का तड़का है, जो लोगों की सेहत बिगाड़ सकता है। सबसे खतरनाक यहां इस्तेमाल होने वाला अजिनोमोटो है, उसमें भी नकली अजिनोमोटो का इस्तेमाल तो खतरे से खाली नहीं है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह खाना खाने के बाद पेट की कई शिकायतें हो सकती हैं, जो आगे चलकर गंभीर बीमारी का भी रूप ले सकती है। ऐसे में पैसे खर्च कर बीमारी खरीदना अच्छी बात नहीं है। ये फूड संचालक खुलेआम सभी नियम कायदों को ताक पर रख कर लोगों को अनहाइजेनिक खाना परोस रहे हैं। सड़क किनारे वैन लगने की वजह से रोड पर उड़ने वाला डस्ट भी खानों पर पड़ता है। नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर इस दिशा में न तो कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही किसी प्रकार की जांच ही होती है।
नगर निगम बना बेपरवाह
फूड वैन लगाने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना होता है। इसके लिए गाड़ी के पेपर, इंश्योरेंस, संचालक का आधार कार्ड, फोटो, आदि जमा करना होता है। लेकिन कई ऐसे फूड वैन मालिक है जिनके पास गाड़ी के पेपर तक नहीं हैं। अधिकतर गाडि़यां पुरानी और कबाड़ होती हैं, गाड़ी का नंबर भी नहीं होता। भविष्य में कोई घटना होने पर इन फूड वैन को टैक भी नहीं किया जा सकता। संचालकों का कहना है कि गाड़ी के पेपर नहीं होने की वजह से लाइसेंस के लिए अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। लाइसेंस के लिए सालाना पांच हजार रुपए जमा करने होते हैं। पार्किंग शुल्क और सफाई के लिए पांच सौ रुपए निर्धारित किया गया है।
फ्री में चाऊमीन-चिल्ली खाकर चले जाते हैं कर्मचारी
मोरहाबादी में वैन लगाने वाले व्यक्ति ने बताया कि लाइसेंस बनाने के लिए लोकल व्यक्ति को दिया गया है। करीब एक साल पहले ही 2500 रुपए दिया गया था। लेकिन लाइसेंस बना कर नहीं दिया गया। वहीं नगर निगम से कई बार कर्मचारी आते हैं जांच करने, लेकिन फ्री में चाऊमीन-चिल्ली खाकर चले जाते हैं। साफ-सफाई के लिए हर महीने पांच सौ रुपए दिया जाता है। गुड फूड के स्टाफ ने बताया कि हफ्ते में तीन से चार बार आते हैं। हर बार चार से पांच प्लेट चाऊमीन, चिल्ली खाकर चले जाते हैं। कई बार झूठ बोलना पड़ता है कि कुछ नहीं है।