रांची (ब्यूरो) । क्यों सड़ा रहे हैं 8 करोड़ के सामान? जी हां, राजधानी रांची के थानों के मालखानों में मोबाइल फोन, वाहन समेत अन्य कई कीमती सामान वर्षों से पड़े-पड़े बर्बाद हो रहे हैं। जबकि इन सामानों की नीलामी से रेवेन्यू मिल सकता है। इसके बावजूद ऐसी लापरवाही समझ से पड़े है। दरअसल, सिटी के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में अलग-अलग जब्त सामग्री रखी हुई हैं। थाना में मौजूद मालाखाना का हाल बेहाल है तो अंदर रखे सामान भी कंडम और जर्जर हो चुके हैं। ये पुलिस स्टेशन की इमेज पर भी दाग लगा रहे हैं। एक ओर तो राजधानी के पुलिस स्टेशनों को स्मार्ट बनाने की बात कही जा रही है। वहीं दूसरी ओर थाने की गंदगी को ही साफ नहीं की जा रही है।
सरकार को होती आमदनी
सिटी के प्रमुख 15 पुलिस स्टेशनों में लगभग 5500 टू व्हीलर्स, 1800 फोर व्हीलर्स और करीब पांच सौ बड़े जब्त वाहन पड़े हुए हंै। इन्हें नीलाम करने की कई बार योजना बन चुकी है, लेकिन हर बार यह सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रह जाती है। एक ओर जहां दिनोंदिन इन वाहनों की वैल्यू गिरती जा रही हैै, वहीं कबाड़ गाडिय़ों की वजह से थाने भी कबाडख़ाने नजर आने लगे हंै। जब्त गाडिय़ों को कबाड़ में भी बेचा जाए तो सरकार को करोड़ों रुपए की आमदनी हो सकती है। यह राशि अगर थानों में ही खर्च कर दी जाए तो इसे स्मार्ट लुक देने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन इच्छाशक्ति की कमी और उदासीन रवैये के कारण सरकार को डबल लॉस हो रहा है। इसके बाद भी पुलिस मुख्यालय के सीनियर अफसर आंखें बंद किए बैठे हैं।
थानों की सूरत भी बिगड़ी
विभाग के ही एक पदाधिकारी ने बताया कि ज्यादातर गाडिय़ों की कंडीशन खराब हो चुकी है। इसे नीलामी में भी कबाड़ी वाले ही खरीदेंगे। यदि कंडीशन ठीक रहती तो आम पब्लिक भी वाहन खरीदने में इंटरेस्ट दिखाती। इससे ज्यादा रेवेन्यू आ सकता था। लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है। दिनों दिन गाडिय़ों की स्थिति खराब होती जा रही है। वाहनों में जंग लग गई है। पुलिस स्टेशनों की भी शोभा ये कंडम वाहन बिगाड़ रहे हैं। सदर थाना परिसर पहले ही कंडम हालत में नजर आता है। यहां के मालखाना और बाहर पड़ी जब्त गाडिय़ों ने थाना की सूरत बिगाड़ रखी है।