रांची(ब्यूरो)। मानसून सीजन में राजधानी समेत पूरे प्रदेश में डेंगू और मलेरिया का प्रकोप बढ़ जाता है। इस बार भी ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है। स्टेट से अब तक सौ से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। सिटी में नगर निगम का दायित्व है कि वह निगम क्षेत्र में मलेरिया और डेंगू से निपटने के इंतजाम करे। लेकिन शहर से बाहर इसकी रोकथाम को लेकर कोई तैयारी नहीं दिखती। शहर से बाहर स्लम एरिया में लगातार मच्छर पनपते रहते हैं। न तो यहां दवा का छिड़काव होता है और न ही कभी फॉगिंग कराई जाती है। कई इलाके तो ऐसे हैं जहां रहने वाले लोगों को यह तक पता नहीं की फॉगिंग होती क्या है। एक सच्चाई यह भी है कि मलेरिया और डेंगू से ग्रसित ज्यादातर मरीज स्लम इलाकों से ही होते हैं। इसके बाद भी इन स्थानों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

रातू में दो दर्जन लोगों में लक्षण

रांची, जमशेदपुर, खूंटी, हजारीबाग, धनबाद, पलामू और गढ़वा जिले में तकरीबन 100 मरीज डेंगू-मलेरिया की चपेट में हैं। कुछ अपना इलाज सरकारी तो कुछ प्राइवेट अस्पतालों में करा रहे हैं। डेंगू और मलेरिया के पांव पसारने की सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग भी बढ़ते मरीजों की संख्या को लेकर गंभीर है और अलर्ट मोड में आ गया है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अब तक 76 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें से कई लोग इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। रांची स्थित मेडिकल कॉलेज रिम्स और सदर अस्पताल में 28 मरीज डेंगू-मलेरिया के मिलते-जुलते लक्षणों के चलते भर्ती हुए। इधर, राजधानी रांची के रातू थाना क्षेत्र से दो दर्जन लोगों मेें डेंगू-मलेरिया के लक्षण पाए जाने की खबर सामने आई है। रातू इलाका नगर निगम से बाहर आता है। निगम से बाहर मलेरिया से निपटने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।

रातू

नगर निगम क्षेत्र से बाहर रातू इलाके में मच्छरों का प्रकोप बढ़ा हुआ है। रातू में न तो दवा का छिड़काव कराया जा रहा है और न ही फॉगिंग हो रही है। बारिश के कारण पूरे इलाके का हाल बेहाल है। जहां-तहां कीचड़ और जलजमाव की स्थिति है। जलजमाव होने के कारण मच्छर पनप रहे हैं। पास में ही नगर निगम का डंपिंग यार्ड है। जहां हर दिन सैकड़ों टन कचरा डंप होता है। यहां भी मच्छर के प्रकोप से लोग परेशान हैं।

नामकुम

नामकुम का इलाका भी मच्छरों के प्रकोप से वंचित नहीं है। नामकुम में रोड पर जहां-तहां गड्ढे हो गए हैं। इसमें बारिश का पानी जमा हो रहा है। वहीं मुहल्ले और कालोनियों में सफाई के अभाव के कारण बड़ी-बड़ी झाडिय़ां उग आई हैं। नालों की कभी सफाई नहीं कराई जाती। नामकुम का इलाका ग्रामीण इलाका है जो आरआरडीए के अंदर आता है। लेकिन आरआरडीए के पदाधिकारी कभी यहां आकर इसकी खोज-खबर भी नहीं लेते।

नगड़ी

नगड़ी का भी हाल बुरा है। गंदगी और जलजमाव से लोग त्रस्त हैं। मलेरिया को लेकर निगम क्षेत्र में लगातार लोगों को अवेयर किया जा रहा है। लेकिन निगम से बाहर कभी कोई टीम नहीं जाती। मलेरिया विभाग हो या स्वास्थ्य विभाग सभी सिर्फ शहरों तक ही सीमित हैं। शहर से बाहर कोई झांकने नहीं जाता है। नगड़ी के अलावा ओरमांझी, ललगुटवा, चटकपुर समेत कई इलाके हैं, जो मच्छरों के पनपने का सेंटर बने हुए हैं।

सभी जिलों के सिविल सर्जन को डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के मामलों पर नजर रखने और सभी सरकारी अस्पतालों में इन बीमारियों के इलाज के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। 15 जुलाई से रांची और अन्य जिलों में डोर-टू-डोर सर्विलांस की शुरुआत की गई है। इसके लिए तीन सौ कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है। रांची के आस-पास के इलाके में भी ये लोग जा रहे हैं। कहीं कोई समस्या है तो वे सीधे संपर्क कर सकते है।

-डॉ। बीरेंद्र कुमार सिंह, स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर, वेक्टर जनित रोग