-मोरहाबादी इलाके में सप्लाई वाटर व बोरिंग पर 50-50 निर्भरता

-मजबूरी में सप्लाई वाटर पी रहे हैं लोग

>RANCHI: एक लाख की आबादी वाले मोरहाबादी इलाके में सप्लाई वाटर आए या नहीं आए, कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। यहां की आधी आबादी बोरिंग या फिर चापाकल पर निर्भर है। हां, ग्राउंड वाटर लेवल को लेकर लोग चिंतित जरूर हैं। क्योंकि मजबूरी में लोगों को सप्लाई वाटर से काम चलाना पड़ रहा है।

डेली म् मिलियन गैलन पानी सप्लाई

मोरहाबादी इलाके में वाटर सप्लाई की पर्याप्त व्यवस्था है। रूक्का डैम से यहां हर दिन म् मिलियन गैलन पानी आ रहा है। इसकारण लोगों को पानी के लिए तरसना नहीं पड़ रहा है। यहां हर दिन छह घंटे वाटर सप्लाई हो रही है।

ग्राउंड वाटर लेवल से बढ़ी चिंता

मोरहाबादी इलाके की आधी आबादी करीब भ्0 हजार लोगों ने बोरिंग कराया है। लेकिन, भूगर्भ जल निदेशालय के अनुसार, यहां का ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है। इससे लोगों की चिंता बढ़ गई है। वहीं, लोगों को अब बोरिंग कराना काफी महंगा भी पड़ रहा है। ख्0क्ब् में ग्राउंड वाटर लेवल क्क्.97 मीटर पाया गया था। ख्0क्भ् के ग्राउंड वाटर लेवल की स्थिति की जांच अभी चल ही रही है।

क्या कहते हैं लोग

हम लोग पानी का इस्तेमाल तो करते ही हैं, लेकिन वाटर सप्लाई के भरोसे भी नहीं हैं। खासकर पीने के लिए तो बिल्कुल नहीं।

-गौरम सिंह

हॉस्टल में सप्लाई वाटर के अलावा बोरिंग भी है। लेकिन सप्लाई वाटर का यूज कम ही कर रहे हैं। सप्लाई वाटर तो पीने का मन भी नहीं करता।

कुलेश्वर

घर में सप्लाई वाटर ही आ रहा है। लेकिन पीने के लिए कभी इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। बोरिंग से ही काम चलाते हैं।

अरुण कुमार

हमारी तो यही कोशिश रहती है कि गलती से भी सप्लाई वाटर न पीएं। हां, दूसरे कामों में इसका इस्तेमाल जरूरत करते हैं।

ओमप्रकाश

कहते हैं अधिकारी

मोरहाबादी इलाके को हर दिन म् मिलियन गैलन पानी की सप्लाई हो रही है। यह पानी गंदा है, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। जबकि हम लोग पानी रिफाइन करने के बाद ही सप्लाई कर रहे हैं।

-अजय कुमार सिंह,कार्यपालक अभियंता,पीएचईडी