रांची: बड़ा तालाब के बाद अब कांके डैम का अस्तित्व भी खतरे में है। राजधानी की लाइफलाइन माने जाने वाले कांके डैम में भी जलकुंभियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। डैम के किनारे पर तो काफी पहले से ही जलकुंभियों का राज था अब डैम के बीच एरिया में भी जलकुंभी पनपने लगी है। यदि समय रहते डैम की सफाई नहीं कराई गई तो इस डैम का भी हश्र बड़ा तालाब की तरह होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। कांके डैम से सिटी के कई इलाकों में वाटर सप्लाई भी होती है। शहर की 20 प्रतिशत आबादी तक इसी डैम का पानी पहुंचता है। इधर लगातार बारिश से डैम का जलस्तर तो बढ़ा है लेकिन सफाई नहीं होने से डैम में गाद भी जमता जा रहा है। वहीं इस डैम का एन्क्रोचमेंट भी जारी है। कांके डैम की तरफ का एरिया हो या हेसल डैम की ओर का, डैम के चारों ओर गंदगी, जलकुंभी और बडे़-बडे़ घास डैम के पानी को दूषित कर रहे हैं। दूषित पानी की वजह से डैम में जलकुंभियां भरती जा रही हैं।
देने लगा है बदबू
कांके डैम साइड से गुजरना भी मुश्किल हो गया है। क्योंकि डैम के पानी से दुर्गध आने लगी है। डैम के आस-पास में बने मकानों में लोगों को दुर्गध से काफी परेशानी हो रही है। डैम साइड स्थित टिकरी टोला के लोगों का कहना है दुर्गध के कारण जीना मुहाल हो गया है। डैम की कभी सफाई नहीं कराई गई है। टिकरी टोला के लोगों ने बताया कि गर्मी के मौसम में जलस्तर कम हो जाता है जिससे घास और जंगली पौधे जमीन पर उग आते हैं लेकिन वहीं बरसात के मौसम में डैम का जलस्तर बढ़ने के कारण सभी घास, जंगली पौधे डैम में समाहित हो जाते हैं और वही पानी के अंदर सड़ जाते हैं, जिससे बदबू फैलने लगती है। यदि समय-समय पर सफाई कराई जाती तो ऐसी नौबत नहीं आती। जल स्तर बढ़ने से पहले ही डैम की सफाई हो जानी चाहिए थी। लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से कांके और आसपास के क्षेत्र के लोगों को बदबू में रहना पड़ रहा है।
डैम में जा रहा नाली का पानी
कांके डैम के दूषित की होने की दूसरी वजह इसमें मिलने वाला गंदा पानी भी है। बारिश का पानी जो सड़क पर या मकानों पर गिरता है वह बहते हुए आकर कांके डैम में ही मिल जाता है। इसके अलावा घरों के बाथरूम से निकलने वाला गंदा पानी भी डैम में आकर मिलता है। इस कारण पानी दूषित हो जाता है। जानकार बताते हैं कि दूषित पानी जलकुंभियों के पनपने में सहायक होता है। यही वजह है कि डैम के अलग-अलग एरिया में अब जलकुंभियां दिखलाई पड़ने लगी हैं। लोकल व्यक्ति व सांइटिस्ट प्रोफेसर डॉ मुंजलाल उपाध्याय ने बताया कि डैम का ईको सिस्टम अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। डैम के दूषित पानी को ठीक करने की जरूरत है। डैम को ऑक्सीडाइज करने के लिए अवश्य प्रयास होने चाहिए। डॉ उपाध्याय ने बताया कि पानी को शुद्ध करने का सबसे बेहतर उपाय सिंचाई ही है। फव्वारे द्वारा सिंचाई करने पर पानी में आक्सीजन का स्तर बना रहेगा। इससे पौधे भी नहीं सडें़गे और बदबू भी नहीं आएगी।