रांची (ब्यूरो)। देह शिवा वर मोहि इहे, सुभ करमन ते कबहूं ना टरौ, न डरौं अरि सों जब जाइ लरौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं। गुरुद्वारा श्री कृष्णा नगर कॉलोनी में सजे विशेष दीवान में हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह व साथियों ने संगीत के सुरों में जब यह शबद गायन किया तो पूरी संगत निहाल हो गई। मौका था खालसा साजना दिवस और वैशाखी गुरुपर्व के अवसर पर विशेष दीवान का। वहीं, विशेष रूप से पधारे सिख पंथ के महान कीर्तनी जत्था भाई साहब भाई सहजदीप सिंह जी दिल्ली वाले ने सतगुर आगै शीश भेट देहो, खालसा अकाल पुरख की फौज परगटयो खालसा परमात्म की मौज, वाहो वाहो गोबिंद सिंह आपे गुर चेला शबद गायन कर माहौल को गोविंदमय कर दिया। उन्होंने साध संगत को वाहेगुरु का जाप भी कराया। वहीं गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह जी ने कथा वाचन करते हुए गुरु गोविंद सिंह जी की जीवनी के बारे साथ संगत को बताया कि आज ही के दिन सन 1699 में इन्होंने अलग अलग जति के अपने पांच शिष्यों को अमृतपान कराकर खालसा बनाया और स्वयं भी उनके हांथों अमृतपान किया और खालसा पंथ की स्थापना की।
गुरु का लंगर छका
वहीं, श्री आनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुकुम नामा एवं कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ दीवान की समाप्ति सुबह 11 बजे हुई। मंच संचालन गुरु घर के सेवक मनीष मिढा ने किया। सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि आज इस मौके पर मिस्सी रोटी, रायता एवं खीर का लंगर चलाया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में पंगत में बैठकर संगत ने गुरु का लंगर छका। यह लंगर समाज के स्व। मोहनलाल थरेजा के परिवार की तरफ से कराया गया। सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारकादास मुंजाल ने स्व थरेजा के सुपुत्र कमल थरेजा को सरोपा देकर सम्मानित किया। लंगर की सेवा में अशोक गेरा, राजकुमार सुखीजा, मोहन काठपाल, जीवन मिढा, महेंद्र अरोड़ा, हरीश मिढा, अनूप गिरधर, सुरेश मिढा, विनोद सुखीजा व जोड़े की सेवा में नारायण दास अरोड़ा, बसंत काठपाल, प्रेम मिढा, लक्ष्मण अरोड़ा व पुरुषोत्तम सरदाना की विशेष भागीदारी रही। दीवान में सुंदर दास मिढा, हरविंदर सिंह बेदी, लक्ष्मण सरदाना, लक्ष्मण दास मिढा, वेद प्रकाश मिढा, नीतू किंगर, रजनी तेहरी, बिमला मुंजाल, मीना गिरधर, रानी तलेजा समेत अन्य शामिल थे।