रांची(ब्यूरो)। सिटी में ट्रैफिक वॉयलेशन बड़ी समस्या है। अवेयरनेस ड्राइव से लेकर कार्रवाई करने के बाद भी इस वॉयलेशन में कोई रुकावट नहीं आई है। आज भी लोग बेधड़क नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। तीन साल पहले जब सख्ती से नियमों का पालन कराया जा रहा था, उस समय काफी सुधार आया था। ट्रैफिक रूल वॉयलेशन के चालान की संख्या काफी नीचे गिरी थी। लेकिन एक बार फिर से इसका ग्राफ ऊपर आ चुका है। बीते एक साल के आंकड़ों पर ही सिर्फ गौर किया जाए तो समझ आता है कि राजधानी वासी को ट्रैफिक रूल से कोई सरोकार नहीं है। बीते साल यानी की 2023 में राजधानी वासियों पर सिर्फ ट्रैफिक रूल वायलेशन के 15 करोड़ रुपए का चालान कटा है। इसमें जनवरी से दिसंबर महीने तक कुल 1 लाख 91 हजार का चालान ट्रैफिक पुलिस द्वारा काटा गया है, जो यह साबित करता है कि यातायात नियमों का पालन करने में लोगों की रुचि नहीं है।
रूल वायलेशन से हादसे
ट्रैफिक रूल्स वायलेशन के कारण भी काफी सड़क हादसे होते हैं। सिग्नल जंप, लिमिट से ज्यादा स्पीड वाहन दौड़ाना, स्टंट आदि सभी रूल वायलेशन में आते हैं। कई लोगों को इसका उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया है, उनपर जुर्माना भी हुआ। लेकिन फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। खासकर युवा ट्रैफिक नियमों में लापरवाही बरतते नजर आते हैं। ट्रैफिक पुलिस चाहे कुछ कर ले, हम नहीं सुधरेंगे। सिटी के युवाओं ने इसी मंत्र को अपना लिया है। यूथ रोड पर व्हीकल ड्राइव करने के दौरान कायदा-कानून को ताक पर रख देते हैं। बाइक या स्कूटी चलाते वक्त हेलमेट लोगों के सिर नहीं हाथ की शोभा बन रही है। बाइक पर दो के बदले चार लोगों के बैठने को अपनी शान समझ रहे हैं। हालांकि, ऐसा करके वे अपना और दूसरों की भी जान जोखिम में डाल रहे हैं। सड़क दुर्घटना में अक्सर यह देखा गया है कि इसके पीछे की वजह लापरवाही होती है। केयरलेस ड्राइविंग, ड्रिंकर के गाड़ी चलाना, रैश ड्राइविंग की वजह से दुर्घटनाएं हो रही हैं। हेलमेट पहने व्यक्ति को कई बार एक्सीडेंट के बाद भी सुरक्षित बचते देखा गया है। इसके बावजूद लोग हेलमेट पहनना जरूरी नहीं समझ रहे हैं।
जांच में पुलिस भी केयरलेस
जब से सड़क, चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे की मदद से ऑनलाइन चालान कटना शुरू हुआ है। रांची की ट्रैफिक पुलिस भी केयरलेस हो गई है। अब सिर्फ पुलिस कौन हेलमेट पहना है और कौन नहीं सिर्फ इसी की जांच करती है। रूल वायलेशन करने वालों की ओर पुलिस का ध्यान भी नहीं जाता। कई बार वाहन चालक रांग साइड से बड़ी आसानी से निकल जाता है, पास में ही खड़ी पुलिस सिर्फ उसे देखती रह जाती है। कुछ महीने पहले तक नियमित जांच का असर भी देखा जा रहा था, लेकिन पुलिस के ढीला पड़ते ही ट्रैफिक रूल्स वायलेशन में इजाफा हो गया है।
सिटी में रोज हादसे
राजधानी रांची में हर महीने 50 से 55 रोड एक्सीडेंट हो रहे हैं। यह आंकड़ा रोड सेफ्टी कमिटी का है। कमिटी का कहना है कि बीते दो वर्षों में सड़क हादसों में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इन हादसों में न जाने कितने घर उजड़ गए, कितने परिवार बिखर गए, लेकिन फिर भी लोग सुधरने के लिए तैयार नहीं है। लापरवाही से ड्राइविंग करने के साथ-साथ खराब सड़कें भी रोड एक्सीडेंट की वजहें बन रही हैैं। पिछले तीन साल में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ी है।
गाडिय़ों में बेतहाशा वृद्धि
राजधानी बनने के बाद रांची में गाडिय़ों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। सड़कों का विस्तार उस तरीके से नहीं हुआ जितनी रफ्तार से वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 23 साल पहले रांची में करीब 3292 वाहन रजिस्टर्ड थे, वहीं 2023 में इनकी संख्या 1545247 तक पहुंच चुकी है। यानी इन 23 सालों में करीब 400 गुणा वाहनों का इजाफा हुआ है। इसमें टू व्हीलर से लेकर हैवी व्हीकल भी शामिल है। वाहनों के बढ़ते बोझ तले ट्रैफिक रूल कुचले जा रहे हैं। हर किसी को जल्दी निकलने की होड़ लगी रहती है। इसी जल्दबाजी मेें लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं।
क्या कहती है पब्लिक
सड़क पर गाड़ी ड्राइव करना काफी मुसीबत भरा हो गया है। हर तरफ सिर्फ जाम ही जाम नजर आता है। कहीं भी समय से पहुंचना नामुमकिन बन गया है।
- राजीव अग्रवाल
ट्रैफिक रूल तो हर किसी को फॉलो करना ही चाहिए। ऐसा करने से न सिर्फ अपना बल्कि औरों की भी जिदंगी बचाई जा सकती है। ड्राइव करते वक्त सुरक्षा का भी ख्याल रखना जरूरी है।
- सुधाकर
जाम वाले स्थान पर सिर्फ हेलमेट नहीं लगाते। हाइवे पर चलते वक्त जरूर हेलमेट पहन लेते है। कभी हेयर स्टाइल खराब न हो इसके लिए भी हेलमेट नहीं पहनते।
- रोहित कुमार
युवाओं में काफी लापरवाही देखी जाती है। इसके पीछे उनके पेरेंट्स भी दोषी है। जो अपने बच्चों को टै्रफिक रूल फॉलो करना नहीं सिखाते।
- सुरेश सिंह