रांची(ब्यूरो)। सिटी का ट्रैफिक सिस्टम काफी लचर हो चुका है। न कहीं सिग्नल जल रहे हैं और न ट्रैफिक नियमों का ही पालन हो रहा है। सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए चौक-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगा तो दिया गया है, लेकिन इसका मेनटेनेंस नहीं होने के कारण ज्यादातर सिग्नल बंद ही रहते हैं। वहीं सिटी में ट्रैफिक के पर्याप्त जवान भी नहीं हैं। जितना राजधानी रांची के पॉपुलेशन के आधार पर जरूरत है उसका आधा मैन पॉवर भी विभाग के पास नहीं है। रांची को राजधानी बनने के दस साल बाद यानी साल 2010 में यहां ट्रैफिक सिग्नल की शुरुआत की गई। शहरी क्षेत्र में कुल 21 स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम लगाए गए थे, जिसमें करोड़ों रुपये खर्च भी हुए थे। इसके बाद साल 2018 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत भी कई नए स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए, लेकिन इसका भी हाल खस्ता ही है। कुछ खास चौक-चौराहों को छोड़ अन्य स्थानों में लगे ट्रैफिक सिग्नल नहीं जल रहे हैं। शहर में 34 स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगे हैं।
एक साथ ग्रीन-रेड सिग्नल
चौक-चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल की स्थिति ऐसी है कि कब जाना है कब रुकना, यह समझ ही नहीं आता। दरअसल कई चौक-चौराहों पर ग्रीन और रेड सिग्नल एक साथ जलते हैं। लाल और हरी बत्ती दोनों साथ में जलने की वजह से लोग भी कन्फ्यूज रहते हैं कि रुके या जाएं। सिस्टम की इस लापरवाही का खामियाजा आम पब्लिक को ही भुगतना पड़ता है। ट्रैफिक सिग्नल भले काम करे या न करे सीसीटीवी जरूर काम करता है। थोड़ी भी गलती होते ही फौरन ऑनलाइन चालान कट जाता है।
व्यवस्था हाइटेक करने के दावे फेल
राजधानी के चौक-चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल महीने में 15 दिन बंद ही रहते हंै। कभी टेक्निकल खराबी तो कभी बैटरी प्रॉब्लम, कभी किसी और वजह से सिग्नल बंद रहता है। राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को हाईटेक करने के कई दावे किए गए। इन दावों के तहत सिटी में ट्रैफिक सिग्नल में सुधार और ट्रैफिक के अन्य साधनों पर खर्च करने के लिए 164 करोड़ रुपए की योजना बनी, जिसमें रांची में 60 चौराहों को स्मार्ट जंक्शन बनाने और 81 स्थानों पर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल लगाने, कैमरा समेत दूसरे उपकरण पर खर्च होने थे। कई स्थानों एवं चौक-चौराहों पर ये उपकरण लगाए गए थे, लेकिन अधिकतर स्थानों पर ये उपकरण यूजलेस हैं।
मेनटेनेंस के अभाव में बर्बादी
नए ट्रैफिक सिग्नल को लगे दो साल भी नहीं हुए हैं, लेकिन यह बर्बाद होना शुरू हो चुका है। कहीं सिग्नल की लाइट टूट कर गिर गई है, तो कहीं रस्सी से बांध कर काम चलाया जा रहा है। मेन रोड सुजाता चौक के समीप बीते कई महीनों से ट्रैफिक सिग्नल टूट कर गिरा हुआ है। इसके अलावा मेन रोड, सर्जना चौक, रेडियम रोड के समीप लगे ट्रैफिक सिग्नल भी टूट कर गिरे हुए हैं। लेकिन इसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है। ट्रैफिक सिग्नल के नहीं जलने या इसके खराब पड़े होने के कारण ट्रैफिक पुलिस मैन्युअली ही ट्रैफिक कंट्रोल करती है।
मैनपॉवर का अभाव
राजधानी रांची में ट्रैफिक जवानों की भारी कमी है। इस कारण सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में परेशानी होती है। राजधानी की आबादी करीब 12 लाख है, लेकिन इसे संभालने के लिए महज 332 ट्रैफिक पुलिस जवानों के कंधों पर ही पूरी जिम्मेवारी है। हालांकि ट्रैफिक संभालने की जिम्मेवारी होमगार्ड के जवानों को भी दी गई है। लेकिन फिर भी व्यवस्था नहीं संभल रही है। सिटी में अस्त-व्यस्त ट्रैफिक सिस्टम के पीछे, जवानों का न होना भी एक बड़ा कारण है। कुछ-कुछ स्थानों पर सिर्फ दो या तीन ट्रैफिक जवानों से ही व्यवस्था संभाली जा रही है। इस कारण ट्रैफिक संभालने में परेशानी भी होती है। पुलिस मुख्यालय को संख्या बल बढ़ाने का प्रस्ताव भी बनाकर भेजा गया था, लेकिन फिलहाल वह भी ठंडे बस्ते में है। जानकारी के मुताबिक, राजधानी रांची में ट्रैफिक पुलिस लिए 791 पद स्वीकृत हैं। लेकिन सिर्फ 331 जवानों से ही काम चलाया जा रहा है। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो राजधानी की आबादी करीब 15 लाख तक पहुंच चुकी है। ऐेसे में सिर्फ सिटी में 1500 ट्रैफिक सिपाही की जरूरत है। पर्याप्त ट्रैफिक पुलिस नहीं होने से शहर में लोगों को आए दिन जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
क्या कहती है पब्लिक
राजधानी का ट्रैफिक सिस्टम काफी खराब है। हर दिन जाम का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैफिक सिग्नल भी कई चौक-चौराहों पर खराब है।
-आंनद कुमार
ट्रैफिक पुलिस सिर्फ फाइन वसूलने में व्यस्त है। अब ऑटोमेटिक चालान भी कट रहा है। लेकिन सुविधा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
- सागर गोराई
यातायात व्यवस्था में सड़क जाम आज सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसके अलावा सिटी में कहीं भी ढंग की पार्किंग नहीं है।
- सौरभ प्रसाद
ट्रैफिक सिस्टम दुरुस्त करने की ओर ध्यान दिया जा रहा है। जाम की समस्या से निपटने के लिए भी अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। सिग्नल जहां खराब है, उसे जल्द ही ठीक करा दिया जाएगा।
-जीतवाहन उरांव, ट्रैफिक डीएसपी, रांची