रांची(ब्यूरो)। सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेवारी मुख्यत: ट्रैफिक पुलिस पर ही है। लेकिन इनकी संख्या इतनी कम है कि ट्रैफिक सिस्टम संभालने में पुलिस के पसीने निकल जाते हैं। हालांकि ट्रैफिक संभालने के लिए विभाग होमगार्ड और जैप का भी सहयोग ले रहा है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस जिस तरह से व्यवस्था संभालती है उस तरह होमगार्ड के जवान नहीं संभाल पा रहे हैं। सड़क पर तैनात होमगार्ड के जवान सिटी मारते रह जाते हैं लेकिन आम पब्लिक उसे अनसुना कर आगे बढ़ जाती है। वहीं ट्रैफिक पुलिस के होने से लोगों में भय बना रहता है। जानकारी के मुताबिक, राजधानी रांची में 1666 ट्रैफिक पुलिस बल के पद स्वीकृत हैं, जबकि 1192 पुलिसबल ही कार्यरत हैं। इन 1192 पुलिस बल में 580 होमगार्ड और 59 जैप के जवान ही शामिल हैं।
पोस्ट की हालत खराब
सिटी में फिलहाल 1192 जवान ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं। इनमें से सिर्फ 343 पुलिस के जवान ही प्रशिक्षित हैं। बाकी 849 जवान अप्रशिक्षित हैं। ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात पुलिस कर्मियों से बात करने पर उन्होंने ने बताया कि 10 से 12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है। पुलिस कर्मियों की संख्या कम होने के कारण उन्हें छुट्टी भी नहीं मिल पाती है। इसके अलावा ऐसे स्थानों पर भी जवानों की तैनाती है, जहां हालत जर्जर है। तिरपाल, टेंट, बोरा, प्लास्टिक, फ्लैक्स आदि की मदद से जुगाड़ टेक्नोलॉजी के जरिए जवानों ने अपने लिए शेड बना रखा है।
ट्रेंड जवानों की भारी कमी
राजधानी में प्रशिक्षित ट्रैफिक जवानों की भारी कमी है। इस कारण सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में परेशानी हो रही है। रांची में करीब 90 किलोमीटर रेडियस की सड़क पर ट्रैफिक का दबाव है। इनमें 42 ट्रैफिक पोस्ट हैं। लेकिन इसे संभालने के लिए महज 343 प्रशिक्षित ट्रैफिक पुलिस के कंधों पर ही पूरी जिम्मेवारी है। सिटी की अस्त-व्यस्त ट्रैफिक सिस्टम के पीछे, प्रशिक्षित जवानों का न होना भी एक बड़ा कारण है। झारखंड पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, रांची में इस साल जनवरी से लेकर जुलाई तक 104228 वाहनों का चालान काटा गया। इस दौरान जुर्माने के रूप में 41.64 लाख रुपए वसूले गए। फिर भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है। लोग बेतरतीब ढंग से वाहन का परिचालन करते हैं। सड़क पर जाम की समस्या बढ़ाते हंै। नोक-झोंक की स्थिति बनी रहती है।
वाहनों में बेतहाश वृद्धि
रांची में निजी कार की संख्या करीब 2.58 लाख, तो वहीं मोटरसाइकिल, स्कूटी एवं मोपेड की कुल संख्या 9.55 लाख है। हर साल हो रहे वाहनों की बिक्री में दो पहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 60-65 प्रतिशत रह रही है। जबकि चारपहिया वाहनों की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है। बीते 24 सालों में राजधानी रांची में न तो नई सड़कें बनी हैं और न ही सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है। लेकिन साल दर साल यहां गाडिय़ों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। रोजाना सड़कों पर गाडिय़ों की संख्या बढ़ रही है। औसतन हर साल रांची में एक लाख से ज्यादा वाहन बढ़ रहे हैं। इससे ट्रैफिक पर लगातार लोड बढ़ रहा है। फिर भी बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। स्थिति यह है कि शहर के लोग रोजाना जाम की समस्या से जूझ रहे हैं।
डबल शिफ्ट ड्यूटी
लोगों को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी बढ़ा दी गई है। अब जवानों को दो शिफ्ट में काम करना होगा। सिटी के आठ प्रमुख चौक चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की ड्यूटी दो शिफ्ट में लगायी गयी है। इनमें रेडियम रोड, अलबर्ट एक्का चौक, सुजाता चौक, राजेंद्र चौक, अरगोड़ा चौक, न्यू मार्केट चौक, शनि मंदिर चौक व किशोरगंज चौक शामिल हैं। दो शिफ्ट में ड्यूटी करने से पुलिसकर्मियों को भी राहत मिलेगी। पहला शिफ्ट सुबह 8:30 से दोपहर 3:30 बजे व दूसरा शिफ्ट 3:30 से गत 11:00 बजे तक होगा। अभी कई चौक-चौराहों पर सुबह साढ़े आठ से रात साढ़े आठ बजे तक पुलिसकर्मी लगातार ड्यूटी करते हैं। हर शिफ्ट में एक-छह का बल होगा इनसे एक पदाधिकारी, दो जिला बल के सिपाही अथवा हवलदार तथा चार होमगार्ड के जवान शामिल होंगे।
प्रमुख आठ चौक-चौराहे जहां जाम की समस्या ज्यादा होती है, वहां दो शिफ्ट में ट्रैफिक पुलिस को ड्यूटी दी गई है। 20 दिनों बाद होमगार्ड के जवान प्रशिक्षण लेकर लौट आएंगे।
कैलाश करमाली, ट्रैफिक एसपी, रांची