ranchi@inext.co.in
RANCHI: रांची समेत कई इलाकों में टीबी के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। वहीं छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में जल्दी आ रहे हैं। चूंकि टीबी की गिनती कम्युनिकेबल डिजीज में की जाती है। ऐसे में एक भी मरीज मिला तो उसकी चपेट में आने वाले दस लोगों को यह बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर ध्यान नहीं जाए तो मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है। वहीं इलाज में भी लंबा समय लग जाता है। यही वजह है कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रिम्स के पीएसएम डिपार्टमेंट ने भी इस पर रिसर्च करने की योजना बनाई है। इसका प्रस्ताव बनाकर सेंट्रल को भेज दिया गया है। प्रस्ताव पर मंजूरी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

इलाकों में खंगालेंगे रिकार्ड
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि टीबी के मरीज लगातार मिल रहे हैं। लेकिन जबतक हमारे पास एक्चुअल डाटा नहीं होगा तो इस बीमारी को खत्म करना मुश्किल है। डॉक्टरों के हिसाब से भी कई बार ट्रीटमेंट बदल जाता है। लेकिन जब इसकी जानकारी एक जगह होगी तो रिकार्ड भी रखा जा सकेगा। वहीं प्रभावित इलाकों में जाकर मरीजों का रिकार्ड खंगाला जाएगा तो इलाज बेहतर होगा और बीमारी खत्म होगी।

2025 तक टीबी मुक्त का लक्ष्य
पोलियो की तरह ही भारत से टीबी को भी खत्म करने की सरकार की योजना है। इसके लिए रेगुलर अभियान चलाया जा रहा है ताकि कोई भी मरीज छूट न जाए। इसके लिए प्राइवेट डॉक्टरों से लेकर मेडिकल शॉप, आंगनबाड़ी केंद्र संचालकों, डॉट प्रोवाइडर को लगाया गया है। ताकि 2025 में इस बीमारी को जड़ से खत्म कर दिया जाए। यही वजह है कि अधिक से अधिक मरीजों की जानकारी जुटाने में विभाग लगा है। लेकिन कई मरीज अब भी विभाग के रिकार्ड में नहीं है। वहीं प्राइवेट डॉक्टर भी सभी मरीजों की जानकारी नहीं दे रहे है। जिससे कि मरीजों का एक्चुअल फिगर विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।