रांची(ब्यूरो)। यदि आप भी अनहाइजिनिक स्ट्रीट फूड चाउमिन, बर्गर, पिज्जा खाकर या बच्चों के खाने से परेशान हैं तो यह खबर आपके लिए राहत भरी होगी। जी हां, सिटी में अब बिना लाइसेंस फूड आइटम बेचने की इजाजत नहीं मिलेगी। दरअसल, राजधानी रांची में महानगरों की तर्ज पर क्लीन स्ट्रीट फूड हब (street food hub RANCHI) का निर्माण किया जाएगा। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) की पहल से इसकी शुरुआत होने जा रही है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की पहल पर राजधानी रांची सहित राज्य के चार शहरों में स्ट्रीट फूड हब का निर्माण किया जाएगा। इसको लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गौरतलब हो कि स्ट्रीट फूड हब के लिए देश भर में 100 शहरों का चयन किया गया है। इस सूची में झारखंड के रांची, धनबाद, देवघर और सरायकेला के नाम शामिल हैं। फूड हब के निर्माण का उद्देश्य फुटपाथ पर मिलनेवाली खाद्य सामग्री गुणवत्तापूर्ण हो, इसे सुनिश्चित कराना है। ताकि, लोग निर्भीक होकर उसका सेवन कर सकें।

ऐसा होगा स्ट्रीट फूड हब

फूड हब में एक साथ 20 से 50 दुकानें लगाने की क्षमता होगी। फूड वेंडर व प्लेस चिन्हित करने की जिम्मेवारी रांची नगर निगम को दी गई है। स्थान चिन्हित करने के बाद जिला खाद्य सुरक्षा विभाग वेंडरों को इसके लिए लाइसेंस जारी करेगा। रांची के जिला खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी सुबीर रंजन ने बताया कि रांची में इसको लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। विभाग के पास चिन्हित वेंडरों की सूची आने के बाद प्रावधान के मुताबिक लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया की जाएगी। स्ट्रीट फूड हब निर्माण में एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जहां आने वाले लोगों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा।

साफ-सफाई का विशेष ख्याल

स्वास्थ्य विभाग ने रांची व जमशेदपुर के एसडीओ तथा खाद्य सुरक्षा पदाधिकारियों को उपायुक्त के साथ समन्वय कर जगह तय करने का निर्देश दिया है, जिसे हब के रूप में डेवलप किया जाएगा। जगह तय करने के बाद विभाग इसकी आगे की प्रक्रिया पूरी करेगा। क्लीन स्ट्रीट फूड हब बनने के बाद वहां लोगों को पूरी तरह हाइजिनिक फूड मिल सकेगा। साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाएगा।

ऐसे होगी व्यवस्था

स्ट्रीट फूड में मिलने वाले सभी व्यंजनों की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाएगा। खाने की हर चीज आरओ के पानी से बनेगी। बैठने के अच्छे इंतजाम होंगे। फास्ट फूड बनाने व परोसने वाले स्टाफ के न तो नाखून बड़े मिलेंगे न ही बाल। साफ-सफाई का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। खाने की क्वालिटी पर नजर रखने के लिए फूड डिपार्टमेंट की टीम हर महीने वहां के स्टालों का निरीक्षण करेगी। हब में स्टाल लगाने से पहले निबंधन भी कराना होगा। फूड बनानेवाले लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

यह खासियत होगी

-स्टाल स्टाफ्स का ड्रेस कोड होगा, जैसे-एप्रोन, हाथ में दस्ताने, सिर पर टोपी आदि।

-नियमित रूप से उनका मेडिकल चेकअप होगा।

-तेल, मसाले व अन्य चीजों का इस्तेमाल एफएसएसएआइ मापदंड के अनुसार होगा।

-पॉलीथिन का उपयोग नहीं किया जाएगा।

-फास्ट फूड परोसने के लिए पर्यावरण फ्रेंडली डिस्पोजल का इस्तेमाल किया जाएगा।

फिलहाल बेहद खराब है स्थिति

राजधानी रांची में मिलने वाले स्ट्रीट फूड की क्वालिटी बेहद खराब है। किसी भी मानक का ख्याल नहीं रखा जाता है। फूड वेंडर साफ-सफाई का भी ख्याल नहीं रखते हैं। यहां तक की आपके प्लेट में परोसे जाने वाले फूड में भी मिलावट होती है। जांच में इसका कई बार खुलासा हो चुका है। इसके बाद भी फूड वेंडर नहीं सुधर रहे हैं। हाइजीन की बात तो छोडि़ए खाने को ढक कर रखना भी जरूरी नहीं समझते फूड वेंडर। वेंडर व ओनर के पास न तो खाना बनाने की ट्रेनिंग है और न ही दुकान लगाने का कोई लाइसेंस। नगर निगम के कर्मचारियों को सेट किया और कहीं भी फूड वैन खोल कर बैठ जाते हैं। चटपटा जंक फूड बना कर देने से युवा भी इन फुड वैन तक जाने से खुद को नहीं रोक पाते। यही खाना कई लोगों की सेहत खराब करने का बड़ा कारण भी बनता है।