रांची(ब्यूरो)। सरकारी कार्यालयों में काम अधिकारियों के मन से होता है। उनका मन है तो काम समय से होगा अन्यथा महीनों-महीनों फाइल टेबल पर ऐसे ही पड़ी रहेगी। सरकारी दफ्तरों में सिर्फ अधिकारी ही नहीं कर्मचारी भी किसी से कम नहीं हैं। अपने सीनियर को देख कर कर्मचारी भी अपने मन के अनुसार ही काम करते हैं। कहीं अधिकारी और कर्मचारी समय से कार्यालय नहीं आते तो कहीं अटेंडेंस बना कर फिर से निकल जाते हैं। किसी भी विभाग में दोपहर 12 बजे से पहले काम शुरू नहीं होता है। इसके घंटे बाद ही लंच का बहाना कर फिर निकल जाते हैं। वैसे तो हर जगह नियमत: सात घंटे यानी की सुबह से शाम पांच बजे तक कार्य अवधि होती है। लेकिन सरकारी दफ्तरों में इस नियम का पालन नहीं होता। बमुश्किल दो से तीन घंटे ही सरकारी कर्मी काम करना पसंद करते हैं। इधर आम पब्लिक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
पब्लिक कर रही इंतजार
सरकारी कार्यालयों में अधिकारी-कर्मचारी समय से आएं या न आएं लेकिन आम पब्लिक जिन्हें काम होता है वे समय से दफ्तर पहुंच जाती है। अधिकारियों के समय से आफिस नहीं आने के कारण आम नागरिकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कोई अपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आता है तो किसी को अपने परिजनों की डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है, ताकि समय से काम हो सके। इसके अलावा होल्डिंग टैक्स जमा करने, ट्रेड लाइसेंस बनवाने समेत कई प्रकार के काम होते हैं, जिसे लेकर लोग सरकारी कार्यालय आते हैं, लेकिन यहां बार-बार उन्हें दौड़ाया ही जाता है।
सुबह 10:42 बजे
रांची नगर निगम
करोड़ो रुपए से तैयार हुआ रांची नगर निगम का आलीशान भवन, लेकिन यहां काम करने वाले अधिकारी, पदाधिकारी और कर्मचारी आज भी उसी मानसिकता से काम कर रहे हैं। यहां के कर्मचारी खुद ही कहते हैं हम लोग यहां बस मस्ती करने आते हैं। ऐसा निगम के ही एक कर्मचारी ने कहा है। नगर निगम में जन्म-मुत्यु प्रमाण, होल्डिंग टैक्स, वाटर टैक्स, ट्रेड लाइसेंस बनता है, आवास योजना समेत अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी यहां से सुचारु होती हैं। लेकिन इस ऑफिस में भी समय का पालन नहीं होता है। सुबह 11 बजे से पहले न तो कोई अधिकारी निगम आता है और न ही कर्मचारी।
कोई मॉनिटरिंग नहीं
नगर निगम ऐसा कार्यालय है जहां हर नागरिक को कोई न कोई न कोई काम जरूर होता है। इसके बावजूद यहां लापरवाही बरती जा रही है। हर कर्मचारी यहां काम करने नहीं सिर्फ टाइम पास करने आता है। समय से कर्मचारियों के अकाउंट में वेतन के पैसे आ जाते हैं। लेकिन उन्होंने कितना काम किया, किस काम को पूरा किया और कितने समय में किया इसकी मॉनिटरिंग करने वाला भी कोई नहीं है। क्योंकि वरीय अधिकारियों के ही चेंबर खाली रहते हैं तो कनीय कर्मचारियों की मॉनिटरिंग कौन करे। लोगों के समय से काम नहीं होने के पीछे की एक वजह कर्मचारियों का काम के प्रति ईमानदार न होना भी है। इन दिनों सर्दी का बहाना देकर हर कोई लेट-लतीफी अपना रहा है।
क्या कहती है पब्लिक
बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने आए थे। लेकिन कोई कर्मचारी ही नहीं है तो आवेदन रिसीव कौन करे। अपना ऑफिस छोड़कर यह काम करने आए थे। अब दूसरे दिन फिर आना पड़ेगा।
-सुनीता
मुझे भी बर्थ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना है। वेट कर रहे हैं कर्मचारी आएंगे तो आवेदन जमा करेंगे। आवेदन जमा करने के बाद कब तक बनकर मिलेगा, इसका भी कोई पता नहीं।
-अशोक
ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन करना है। ऑनलाइन भी अप्लाई करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाया। आफिस आया हूं तो भी कोई कुछ बताने वाला नहीं है।
-संतोष