रांची (ब्यूरो) । ब्रह्माकुमारी संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी जानकी जी की पुण्यतिथि को वैश्विक आध्यात्मिक जागृति दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में उपस्थित नाबार्ड के डीजीएम सुभाष चन्द्र गर्ग ने कहा कि 140 से भी अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाली महातपस्वीनी दादी जानकी जी का जीवन हमें सेवा भाव का स'ची पहचान देता है। लोग आते हैं और चले जाते हैं पर इतिहास उन्हीं का बनता है जो श्रेष्ठ कार्यों से अपना नाम अमर कर जाते हैं। दादी जी के तीन शब्द स'चाई सफाई और
सादगी आध्यात्मिक गहराई का परिचय कराते हैं।
दिव्य गुणों का स्वरूप
आर्किटेक्चर सोनम ने कहा दादी का जीवन दिव्य गुणों का स्वरूप था। उनकी एकाग्रता शक्ति बड़ी गजब की थी। 104 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने अन्तराष्ट्रीय संस्था का सुंदर संचालन किया। प्रभु प्रेम के बीज बोकर भगवान का संदेश वाहक बनकर अग्रणी भूमिका निभाई। कार्यक्रम में उपस्थित इनर व्हील क्लब की पूर्व अध्यक्षा सुमन सिंह ने कहा उनका तीन बारी ऊं शांति कहना मैं कौन, मेरा कौन मुझे क्या करना है सहज प्रभु की याद दिलाता है। वे स्व'छ भारत मिशन की ब्रांड एंबेसडर भी रहीं। ऐसी सरल जीवन जीने वाली के प्रति हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
प्रेरित करने वाली
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने सभी ब्रह्मावत्सों को प्रेरित करने वाली दादी जी के दिव्य जीवन पर प्रकाश डाला। उनकी विशेषताओं व गु्णों का वर्णन करते हुए निर्मला बहन ने कहा कि दादी जी ने 100 से अधिक देशों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को पहुंचाया। देश विदेश के भाई बहनों को ज्ञान योग की शिक्षा दे कर उन्हें शिव बाबा का ब'चा
बना देती थीं। लोग दादी को अपने परिवार से बढक़र मानते थे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी ब्रह्मावत्सों ने दादी जानकी जी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में बाल कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक नृत्य भी प्रस्तुत किया गया। ज्ञातव्य हो केन्द्र में प्रतिदिन प्रात: 8 से 9.30 तथा संध्या 4.30 से 6.30 तक राजयोग
सत्रों का नि: शुल्क आयोजन है।