रांची (ब्यूरो) । मानवता आज भी जिंदा है। जी हां ऐसा ही कुछ देखने को मिला इरबा स्थित मेदांता अस्पताल में जब मालती देवी नमक महिला को फायर ब्रिगेड के दो जवानों ने खून दिया। मालूम हो कि की मालती देवी किडनी रोग से पीडि़त हैं। दोनों जवान मेदांता अस्पताल में ही काम करते हैं। ऐसा करके उन्हें समाज में एक मिशाल कायम की है। उनके इस नेक काम एसई परिवार वाले बहुत खुश हैं या उनका खूब धन्यवाद किया। दोनों जवनों में एक का नाम मनीष कुमार है जो पटना के बख्तियारपुर के रहने वाले हैं। दूसरे का नाम मोनू मिश्रा है जो रांची के निवासी हंै।
मल्टीपल धमनी ग्राफ्ट-सीएबीजी बेहतर
पीयरलेस हॉस्पिटल कोलकाता में कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ अशोक बंद्योपाध्याय ने कहा कि मल्टीपल धमनी ग्राफ्ट-सीएबीजी की विधि को सर्जरी का सबसे अ'छा तरीका मानता हूं और लंबे समय से इसे कर रहा हूं। मैंने इस विषय पर फ्रांस में भी एक पेपर प्रस्तुत किया है। मल्टीपल धमनी ग्राफ्ट शिरापरक ग्राफ्ट की तुलना में बेहतर दीर्घकालिक परिणाम प्रदान करते हैं। हालांकि मरीज तुरंत इसके महत्व को नहीं समझ पाते हैं। समय के साथ, जो लोग कई धमनियों के ग्राफ्ट से गुजरते हैं, उन्हें बेहतर परिणाम का अनुभव होता है। डॉ बंद्योपाध्याय ने कहा कि धमनी ग्राफ्ट, जैसे कि बाएं और दाएं आंतरिक स्तन धमनियां (लीमा और रीमा) और रेडियल धमनी, में पैर से ली गई नसों की तुलना में अवरुद्ध होने की काफी कम संभावना होती है। यह कम जोखिम बेहतर जीवित रहने की दर और बीमारी की पुनरावृत्ति की संभावना को कम करने में योगदान देता है। मल्टीपल धमनी ग्राफ्ट करने के लिए उच्च स्तर के कौशल और धैर्य की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह शिरापरक ग्राफ्ट का उपयोग करने की तुलना में अधिक जटिल और समय लेने वाला है।