रांची (ब्यूरो) । शुक्रवार को फिरायालाल पब्लिक स्कूल रांची के प्रागंण में ख्यातिलब्ध सितार वादक गौरव मजूमदार एवं प्रसिद्ध तबला वादक विनोद कुमार मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति से विद्यार्थी समूह आनंदित दिखे। संगीत और छात्र के बीच एक गहरा संबंध होता है। छात्रों की सोचने की क्षमता, संवाद- कौशल, संवेदनशीलता, मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य के संतुलन और संवर्धन के विकास में संगीत बहुत सहायक होता है, जिससे अध्ययन के प्रति रूचि भी जगती है। भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति से बच्चों को अभिसिंचित करने के उद्देश्य से समर्पित फिरायालाल पब्लिक स्कूल रांची के प्रेक्षागृह में स्पिकमैके झारखंड चैप्टर के तत्वावधान में संगीत सभा का आयोजन किया गया।
बंदिशों की प्रस्तुति
मौके पर मां सरस्वती का आह्वान करते हुए अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितार वादक उस्ताद गौरव मजूमदार ने रसमयी प्रस्तुति दी। उन्होंने राग चारूकेशी में आलाप एवं बंदिशों की प्रस्तुति सितार पर दी। मंच पर तबले के साथ संगतकार के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के व्याख्याता विनोद कुमार मिश्रा थे। दादरा, कहरवा आदि कई तालों की संगति एवं जुगलबंदी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वैष्णव जन तो तैने कहिए के सुमधुर प्रस्तुति से इन्होंने समां बांध दिया।
अंतर्दृष्टि को जाग्रत कर
उस्ताद गौरव मजूमदार ने स्पिकमैके के लोगों में अंकित लाल रंग के बने वृत्त को ज्ञान चक्षु बताते हुए कहा कि यह मानव में अंतर्दृष्टि को जाग्रत कर परमात्मा से स्वंय को जोडऩे का माध्यम है। सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि से उत्पन्न होती है, वह संगीत कहलाती है। संगीत की जननी ध्वनि उर्जा है जो कई रागों में बदल जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए तबला और सितार आदि वाद्ययंत्रों से निकले ध्वनि, सुर ताल और लय के वैज्ञानिक महत्व से भी बच्चों को भी अवगत कराया और बताया कि भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुडक़र हम सृजनात्मकता का विकास और आत्मविश्वास में वृद्धि कर सकते हैं, जिससे जीवन में सहजता और नैसर्गिक आनंद की प्राप्ति होती है।
इस मौके पर तमाम संगीत प्रेमी सहित स्पिकमैके के प्रभारी निवेदिता शर्मा और शिवेन्द्र मोहन शर्मा, रातू गढ की वर्तमान महारानी माधुरी मंजरी देवी, शिक्षा निदेशिका सुषमा मुंजाल, निदेशक ऋतु मुंजाल सेक्शन इंचार्जेज हनीत मुंजाल एवं प्रेरणा मुंजाल, शिक्षक समुदाय और विद्यार्थी गण मौजूद थे।