रांची(ब्यूरो)। सिटी के नौ वार्ड में हो रहे सीवरेज-ड्रेनेज की पाइपलाइन बिछाने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। वार्ड संख्या 1 से 5 और 32, 33, 34 एवं 35 के अधिकतर इलाकों में पाइपलाइन बिछा दी गई है। ऐसे में घरों के सेफ्टी टैंक का कनेक्शन सीवर लाइन से जोडऩे की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी, जिन इलाकों में पाइपलाइन बिछाई गई है उन क्षेत्रों से निकलने वाले गंदे पानी को निकालने के लिए सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा। इसकी तैयारी में नगर निगम जुट गया है। इसके लिए रांची नगर निगम की ओर से टेंडर भी जारी कर दिया गया है। करीब 4.60 करोड़ की लागत से इस काम को पूरा किया जाना है। इस राशि से इंस्पेक्शन चैंबर बनाए जाएंगे। इससे घरों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे बडग़ार्ईं स्थित लेम बस्ती में बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में गिरेगा, जहां पानी की रिसाइक्लिंग करके इसका खेती और दूसरे काम में उपयोग किया जाएगा।
घरों में तोड़-फोड़ संभव
सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट फस्र्ट फेज में नौ वार्ड में पाइपलाइन बिछाई गई है। इससे इस इलाके के करीब 40 हजार घरों का कनेक्शन सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा। सीवर लाइन से जोडऩे की वजह से घर में तोड़-फोड़ की नौबत भी आ सकती है। क्योंकि, अधिकतर घरों में सेप्टिक टैंक बना हुआ है, जिसमें टायलेट का सारा गंदा पानी स्टोर होता है। जिन घरों में अभी सेप्टिक टैंक बने हुए हैं, उनके टॉयलेट से आउटलेट पाइप निकाल कर सीवर लाइन से जोडऩे होंगे। इसमें तोड़-फोड़ भी करना पड़ सकता है। इसके लिए शहर वासियों को तैयार रहने की जरूरत है। जिन घरों का निर्माण नक्शा पास कराकर बना है और साइड सेटबैक छोड़ा गया है, वहां दिक्कत नहीं होगी। लेकिन जिन घरों में खाली जगह नहीं छोड़ी गई है, वहां काफी दिक्कत हो सकती है।
नौ महीने में काम पूरा करने का लक्ष्य
घरों की सीवर पाइपलाइन को इंस्पेक्शन चैंबर से जोडऩे का काम पूरा करने के लिए नौ महीने का समय निर्धारित किया गया है। काम पूरा होने के बाद लोगों को सेप्टिक टैंक भरने और इसकी सफाई के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। क्योंकि घरों से निकलने वाला गंदा पानी और मल पाइपलाइन के जरिए सीधे बाहर निकल जाएगा। हालांकि कुछ इलाकों में पाइपलाइन अब भी नहीं बिछ सकी है। दरअसल एनओसी नहीं मिलने के कारण मामला अब भी फंसा हुआ है। बरियातू रोड, कांके एवं रातू रोड के कुछ इलाकों में रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट और एनएचएआइ से एनओसी नहीं मिलने के कारण पाइपलाइन नहीं बिछ सकी है। एनओसी इसलिए नहीं दिया गया है क्योंकि ये शहर की प्रमुख सड़कों में से है। बीच सड़क को काट कर पाइपलाइन बिछाने से ट्रैफिक समस्या उत्पन्न हो सकती है। वर्तमान में शहर में तीन जगहों पर फ्लाईओवर का काम चल रहा है। इस कारण पहले ये ही शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई हुई है। ऐसे में उक्त सड़कों की खुदाई करने से पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था ठप पड़ जाएगी।
15 साल से प्रोजेक्ट पर काम
राजधानी रांची में करीब 15 साल पहले इस योजना पर काम शुरू हुआ था। लेकिन समय के साथ-साथ योजना के पूरा होने का इंतजार भी बढ़ता गया। इस योजना के पहले चरण का काम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कई बार प्रोजेक्ट के पूरे होने की डेटलाइन फेल हो चुकी है। दो साल में ही काम पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन करीब छह साल का वक्त बीत चुका है। साल 2014 में 210 किमी सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। इस काम की जिम्मेवारी ज्योति बिल्डकॉन को सौंपी गई। 356 करोड़ की लागत से इस काम को किया जा रहा है। वर्षों इंतजार के बाद इसके पूरे होने की उम्मीद जगी है। हालांकि अब भी एक वर्ष का समय लग सकता है।
क्या होगा फायदा
सीवरेज-ड्रेनेज का काम रांची नगर निगम के सभी 53 वार्ड में होना है। इसके लिए चार जोन में बांटकर काम हो रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर मोहल्लों, कॉलोनियों और बस्तियों में स्थित घरों में सेप्टिक टैंक की उपयोगिता खत्म हो जाएगी। घर में बने मल चैंबर की पाइप को सीधे सीवर लाइन से जोड़ दिया जाएगा, जिससे सेप्टिक टैंक भरने की चिंता ही खत्म हो जाएगी। इसे साफ कराने की जरूरत भी नहीं होगी। वहीं सीवरेज प्लांट में गंदा पानी को रिसाइक्लिंग कर उपयोग लायक बनाया जाएगा। वहीं मल को भी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।