रांची(ब्यूरो)। रांची में लोग अपनी गाड़ी को पुराना नहीं मानते हैं, चाहे गाड़ी कितनी भी पुरानी हो चुकी हैं। राजधानी रांची में 12 लाख से अधिक गाडिय़ां सड़कों पर चल रही हैं लेकिन दो हजार लोगों ने ही अपनी पुरानी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराने के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध किया है। शहर में 15 साल पुरानी गाडिय़ां हैं, जिसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो जाता है। उनको सरकार ने स्क्रैप घोषित कर दिया है, लेकिन रांची सहित राज्य भर में एक भी स्क्रैप यार्ड नहीं है, जहां पुरानी गाडिय़ों को रखा जा सकता है। 23 सालों के बाद अब परिवहन विभाग की नींद खुली है।
एजेंसी की तलाश
रांची सहित राज्य भर में रजिस्ट्रीकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र की स्थापना होगी। केंद्र पर कई तरह के वाहन कबाड़ में बेचने की सुविधा मिलेगी। परिवहन विभाग केंद्र स्थापना के लिए आवेदन मांगा है। ऐसे लोगों से आवेदन मांगा गया है जो दूसरे राज्यों में इस तरह का सेंटर चला रहे हैं, वह भी आवेदन दे सकते हैं।
इन गाडिय़ों का इस्तेमाल बंद
किन्हीं कारणों से पंजीकरण नवीनीकरण नहीं कराने या फि र फि टनेस नहीं कराने पर वाहन किसी उपयोग का नहीं रह जाता। ऐसे हालात में वाहन स्वामी को राहत देने के लिए पिछले वर्ष सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत प्रदेश के ऐसे वाहन जिनका केंद्रीय मोटरयान नियमावली के नियम के अनुसार रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र का नवीनीकरण न हुआ हो, फिटनेस प्रमाणपत्र न पाने वाले, हादसों या आपदा आदि में क्षतिग्रस्त वाहनों, केंद्रीय या राज्य संगठनों की ओर से अप्रचलित या आर्थिक मरम्मत से परे घोषित वाहनों आदि की स्क्रैपिंग के लिए रजिस्ट्रीकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र स्थापित किया जाएगा।
टैक्स व रजिस्ट्रेशन में छूट
नई व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत पुराने वाहनों को स्क्रैप कर बेचने के बाद नई खरीदने पर टैक्स और पंजीकरण में भी छूट मिलेगी। इसके लिए वाहन स्वामियों को रजिस्ट्रीयकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र पर ही स्क्रैप की बिक्री करनी होगी। रजिस्ट्रीकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र से स्क्रैप कराने का प्रमाणपत्र मिलेगा, जिसे प्रस्तुत करने पर डीलर नए वाहनों की खरीद पर निर्धारित छूट उपलब्ध कराएंगे। रांची में रास्ट्रीयकृत यान स्क्रैपिंग सुविधा केंद्र खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
क्या है स्क्रैप पॉलिसी
एक अप्रैल से स्क्रैप पॉलिसी को लागू किया गया था। इसके तहत प्रत्येक जिले में स्क्रैप सेंटर खोलकर वाहन मालिकों को लाभ देने का उद्देश्य था। नियम के तहत पुराना वाहन बेचकर नया वाहन खरीदने पर रजिस्ट्रेशन में लगने वाले टैक्स में छूट मिलनी थी।
पहले भी एजेंसी खोजी गई पर मिली नहीं
जिले में किसी ने भी स्क्रैपिंग सेंटर खोलने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। परिवहन विभाग की ओर से कराए गए प्रचार-प्रसार के बाद भी आवेदन नहीं आए। सड़क पर यही वाहन प्रदूषण के ज्यादा कारक होते हैं। शहर में तो इस तरह के वाहन कम दिखाई पड़ते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह के वाहनों की भरमार सड़कों पर रहती है। आमतौर पर निजी वाहनों से तो प्रदूषण का खतरा कम होता है, क्योंकि निजी वाहन स्वामी वाहनों को मेनटेन कराते रहते हैं। लेकिन टैक्सी के रूप में चलने वाले वाहनों में अपेक्षाकृत अधिक ऐसे हैं जो सामान्यतया 15 साल या इससे भी अधिक पुराने हो चुके हैं।रांची में बहुत कम लोग अपनी पुरानी गाडिय़ां स्क्रैप घोषित कर रहे हैं। जिनका 15 साल रजिस्ट्रेशन का हो गया है, उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराने के लिए नहीं के बराबर आवेदन आ रहे हैं। बहुत कम लोगों ने आवेदन दिया है।
-प्रवीण कुमार, डीटीओ, रांची