रांची(ब्यूरो)। सिटी में सैकड़ों प्राइवेट स्कूल है, जिनमें पढऩे के लिए सिटी के हजारों बच्चे वाहनों से जाते हंै। इन स्कूलों द्वारा बच्चों को पिक एंड ड्राप की फैसिलिटी दी जाती है। लेकिन इसकी मॉनिटरिंग नहीं होने से बच्चों को लापरवाही के साथ स्कूल लाया और पहुंचाया जाता है। स्कूलों में चलने वाले प्राइवेट छोटे व्हीकल, ऑटो और ई-रिक्शा मेें बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह बिठाया जाता है। स्कूली बच्चों को ले जाने वाली ज्यादातर गाडिय़ों मेेंं, खासकर ऑटो और ई-रिक्शा में उन्हें ठूंस-ठूंसकर भर दिया जाता है। लेकिन अब ट्रैफिक विभाग इस पर सख्त हो चुका है। विभिन्न स्कूल-कॉलेज में स्टूडेंट्स को लाने-ले जाने वाले वाहनों का कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना स्कूल-कॉलेज स्तर पर विद्यार्थियों को लाने-ले जाने वाले वाहन चालकों पर अब कार्रवाई की जाएगी।

टैक्स बचाने की कोशिश

वाहन मालिक टैक्स बचाने के लिए कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन कराने से बचते हैं। वे गाडिय़ों का प्राइवेट रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। प्राइवेट नंबर होने की वजह से परमिट के अलावा फिटनेस सर्टिफिकेट के भी पैसे बच जाते हैं। वहीं, कॉमर्शियल नंबर का इंश्योरेंस कराने में प्राइवेट की अपेक्षा ज्यादा पैसे देने होते हैं। व्हीकल ओनर को निर्धारित समय पर गाड़ी का फिटनेस भी कराना होता है। इसके लिए सभी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है। सभी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वाहन मालिक को टैक्स जमा करना होता है।

कैपासिटी से ज्यादा बच्चे

वाहनों की कैपासिटी के अनुसार ही स्टूडेंट्स को बिठाने की हिदायत दी गई है। नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ भी ट्रैफिक विभाग कार्रवाई करेगा। इसे लेकर ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने प्लान तैयार किया है। ट्रैफिक डीएसपी प्रमोद कुमार केसरी ने बताया कि हाल के दिनों में अक्सर देखा जा रहा है कि वाहनों में क्षमता से अधिक स्टूडेंट्स को बैठाकर चालक वाहन चला रहे हैं। कई वाहन ऐसे भी हैं, जिनका प्राइवेट रजिस्ट्रेशन है और उसे कॉमर्शियल काम में इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस ने इस तरह के वाहनों पर कार्रवाई करने का प्लान तैयार किया है। किसी भी हाल में क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को बैठाकर गाड़ी परिचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी। पुलिस जल्द ही अभियान चलाकर ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। वाहन चालक नहीं मानते हैं तो उनकी गाडिय़ां जब्त करते हुए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

ऑटो वाले उड़ा रहे नियमों की धज्जियां

स्कूली बच्चों के साथ सबसे ज्यादा अन्याय ऑटो और ई-रिक्शा चालक करते हैं। कई अनफिट वाहनों में भी बच्चों को ढोया जाता है। बच्चे अनफिट मैजिक कार, मारुति वैन मेें ठूंस ठूंस कर भर कर स्कूल पहुंचाए जाते हैं। स्कूल संचालकों की लापरवाही व चंद पैसे के लालच में राजधानी में ज्यादातर स्कूली बच्चों को जान हथेली पर रखकर स्कूल का सफर तय करना पड़ रहा है। जिन वाहनों को स्कूल वाहन के रूप में प्रयोग किया जाता है, उनमें से ज्यादातर तय मानकों को पूरा ही नहीं करते। कहीं पर आटो तो कहीं पर पिकअप जैसे वाहनों को स्कूल वाहन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इन वाहनों में सफर कर रहे बच्चों के हाथ पांव बाहर ही लटकते रहते हैं, जिससे हादसा होने की आशंका रहती है। सुबह के समय और स्कूल की छुट्टी होने के बाद अक्सर ऐसा नजारा शहर में हर सड़क पर देखा जा सकता है।

आटो व पिकअप का इस्तेमाल

स्कूल वाहनों के रूप में आटो, पिकअप, मारुति व अन्य छोटे वाहनों का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे वाहनों में बच्चों को ठूंस ठूंसकर बैठाया जाता है। क्षमता से ज्यादा बच्चों को ऑटो चालक बिठा लेते हैं। कभी-कभी यही ओवरलोडिंग हादसों का कारण भी बन जाती है। इन वाहनों के चालक भी ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे रहते हैं। ये वाहन शहर के हर प्रमुख चौक पर पुलिस के सामने से गुजरते हैं, लेकिन पुलिस कर्मचारी कार्रवाई के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।