रांची (ब्यूरो) । जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली में कक्षा दसवीं के छात्रों के अभिभावकों के लिए संवाद-सेतु कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता विद्यालय काउंसेलर श्रीलेखा मेनन थीं जिनके व्याख्यान का मुख्य विषय था - दसवीं के छात्रों का पैरेंटिंग कैसे करें इन्होंने ऑडियो-वीडियो क्लिप और स्लाइड के जरिये बच्चों के मनोविज्ञान, उनकी आदतों व स्वभाव से अभिभावकों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि बच्चों में छिपी प्रतिभा को पहचान कर, उसे सही दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रेरित करें। उस पर अपनी इच्छा या कमी को न थोपें।
देखभाल की सलाह
आगे उन्होंने अभिभावकों को बच्चों की उचित देखभाल की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान दौर में छात्र-छात्राएँ अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं इसलिए उनपर से निगाहें हटानी नहीं चाहिए। उनके भविष्य संवारने में शिक्षकों के साथ अभिभावकों का पूरा सहयोग भी महत्त्वपूर्ण होता है। अत: समय-समय पर विद्यालय आकर बच्चे के प्रोग्रेस की जानकारी लेते रहें। प्राचार्य समरजीत जाना ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए कहा कि बच्चे अपना स्क्रीन टाइम को कम करें और पढऩे के समय अभिभावक उनके पास बैठे। बच्चों को कोचिंग के भरोसे ना छोड़े और यह देखें कि बच्चों को सेल्फ स्टडी का कितना समय मिल पा रहा है। पांच-छ: घंटे की सेल्फ स्टडी उनके लिए मील का पत्थर साबित होगी।
पढऩे का अवसर दिया
विद्यालय की कार्यकम समन्वयिका सुष्मिता मिश्रा ने पूर्ववर्ती छात्रों का उदाहरण देते हुए कहा की जिन छात्रों को उनके रुचि के अनुसार विषय को पढऩे का अवसर प्रदान किया गया वे आज उच्च से उच्चतम शिखर पर विराजमान है। विद्यालय का एक बच्चा जो होटल मैनेजमेंट करना चाहता था, उसके पिता ने यह कहकर उसे मना कर दिया कि तुम्हें वेटर बनना है, परिणामत: वह कक्षा 11वीं में फेल कर गया। साइंस पढने के बाद पुन: उस बच्चे को आर्ट्स पढऩे का अवसर दिया गया और वह आज प्रख्यात होटल मैनेजमेंट में डायरेक्टर है।
बच्चों को समय दें
माता-पिता का सहयोग और समर्थन बच्चे के भविष्य सुनिश्चित करती है अत:अभिभावक का यह दायित्व है कि वे बच्चों को समय दें और उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा को पहचान कर उसे पल्लवित होने का अवसर प्रदान करें।
दयानंद प्रेक्षागृह में उपस्थित अभिभावक अपने बेटे-बेटियों के भविष्य संवारने में शिक्षकों की भूमिका की प्रशंसा कर रहे थे। अभिभावकों ने छात्र-छात्राओं के सर्वागीण विकास के लिए कई उपाय भी सुझाए। उन्होंने माना कि बच्चों की तरक्की का रास्ता संवाद-सेतु से ही निकलेगा। मौके पर माध्यमिक विभाग के प्रभाग-प्रभारी शीलेश्वर झा सुशील, लिपिका कर्मकार सहित शिक्षक गण मौजूद थे।