रांची: रूफटॉप सोलर पावर प्लांट से बिजली उत्पादन कर घर की जरूरतों को पूरा करने वाले प्रोजेक्ट को रांची में पंख नहीं लग पा रहा है। झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा)द्वारा मिलने वाली सब्सिडी में पेंच फंस गई है। नतीजन, लोग अपने घरों की छत पर सोलर पावर प्लांट नहीं लगा पा रहे हैं। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा करीब 50 परसेंट तक सब्सिडी देने का प्रावधान है, लेकिन जरेडा के नियम कानून और अधिकारियों के कारण लोग सब्सिडी का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में अपने घरों की छत पर बिजली उत्पादन का काम भी शुरू नहीं कर पा रहे हैं।
5 किलोवाट तक का प्रोजेक्ट
जरेडा की ओर से राज्य के सभी लोगों को यह सुविधा दी गई है कि वो 5 किलो वाट तक रूफटॉप सोलर पावर प्लांट लगा सकते हैं। इसको लगाने में जो खर्च आएगा उसकी 50 परसेंट तक सब्सिडी जरेडा के माध्यम से लोगों को मिलेगी। कई लोगों ने सब्सिडी के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन 2 साल तक उनको सब्सिडी नहीं मिली। नतीजन, अब दूसरे लोग घर पर इस रूफटॉप सोलर पावर प्लांट को लगाने से कतरा रहे हैं।
1 केवी प्लांट में 50 हजार खर्च
1 किलोवाट सोलर रूफटॉप पावर प्लांट लगाने पर और उसको नेट मीटरिंग करने पर करीब 50 हजार रुपये का खर्च आता है। यानी एक घर में अगर 5 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट लगाया जाता है तो ढाई लाख रुपए खर्च होगा। इसमें से एक लाख 25 हजार रुपये सरकार सब्सिडी देगी। लेकिन राजधानी में कई लोग हैं, जिन्होंने अपने घर की छतों पर प्लांट लगा लिया है। अब एक लाख 25 हजार रुपये की सब्सिडी लेने के लिए जरेडा कार्यालय का चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं।
सरकार ने अनिवार्य किया है
पिछली रघुवर सरकार ने शहरी क्षेत्रों में तीन हजार वर्गफीट या इससे ज्यादा जगह पर बने आवासीय भवनों में सोलर रूफटॉप पावर प्लांट लगाना अनिवार्य किया था। झारखंड राज्य सोलर रूफटॉप नीति 2018 के तहत इसे अनिवार्य किया गया है। नयी सोलर रूफटॉप नीति 2018 में राज्य में सौर ऊर्जा को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। सौर उद्योग को प्राथमिक उद्योग घोषित किया जाएगा।
यहां अनिवार्य है सोलर पावर प्लांट लगाना
नगर निगम, नगर परिषद, नगर समितियों, शहरी विकास प्राधिकरण, औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास प्राधिकरण और निगमों की सीमाओं के भीतर आनेवाले 3000 वर्गफीट या इससे ऊपर के सभी आवासीय भवनों में कनेक्टेड लोड का न्यूनतम 10 प्रतिशत या एक किलोवाट क्षमता का सोलर रूफटॉप पावर प्लांट लगाना अनिवार्य है। सभी सरकारी भवनों, सरकारी कॉलेजों, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डीआइइटी), सरकारी शैक्षणिक संस्थान 30 किलोवाट और उससे अधिक के भार से जुड़े विश्वविद्यालयों में भी लोड का 10 प्रतिशत या पांच किलोवाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगाना है। सभी निजी अस्पताल और नर्सिग होम, औद्योगिक प्रतिष्ठान, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, मॉल, होटल, मोटेल, भोजन हॉल और पर्यटन परिसरों में कनेक्टेड लोड का 10 प्रतिशत या 10 किलोवाट क्षमता का पावर प्लांट लगाना अनिवार्य होगा। ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज, बिल्डर्स, हाउसिंग बोर्ड द्वारा विकसित नए आवासीय परिसरों में भी न्यूनतम 10 किलोवाट से लेकर 40 किलोवाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगाना होगा।
32 से अधिक एजेंसीज सेलेक्टेड
जरेडा ने ग्रिड कनेक्टेड रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए 32 से अधिक एजेंसीज का चयन किया है। इन्हीं में से किसी भी एजेंसी के जरिए मकानों में सोलर पावर प्लांट लगाया जा सकता है। इसके लिए एजेसी को आधा पेमेंट करना होगा जबकि सब्सिडी जरेडा देगी। मालूम हो कि सोलर पैनल की उम्र 25 साल की होती है, मेंटेनेंस पर कोई खर्च नहीं आता। इसमें से पांच साल तक देखरेख एजेंसी द्वारा की जाएगी।
बेच सकते हैं सरप्लस पावर
इस प्लान के तहत घरों में लगाए जाने वाले ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर पावर प्लांट से उत्पादन होने वाली बिजली अगर सरप्लस होगी तो उसे आप सरकार को बेच सकते हैं। लेकिन, सरकार मात्र 50 पैसा प्रति यूनिट की दर से ही यह बिजली परचेज करेगी। इसके तहत एक ग्रिड कनेक्टेड मीटर लगा रहेगा। इससे यह पता चल सकेगा कि कितनी बिजली का उत्पादन हुआ और कितनी बेची गई।