रांची (ब्यूरो) । राजधानी रांची में साइबर अपराधियों ने किराए के मकान को ठिकाना बना रखा है। अपराधियों के लिए किराए का मकान सुरक्षित स्थान बन गया है। न आसपास के लोग शक करते हैं और न ही पुलिस को कोई भनक लगती है। और वे लगातार लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। साइबर अपराधियों ने फर्जी एप को अपना हथियार बना लिया है। कभी गवर्नमेंट सेक्टर में रोजगार देने तो लोन उपलब्ध कराने वाले ऐप का निर्माण कर लोगों को झांसे में लिया जा रहा है तो कभी अपराधी बैंक का भी फर्जी एप तैयार कर लोगों को ठग रहे हैैं। इसी हफ्ते गिरफ्तार हुए साइबर अपराधियों ने बैंक का ही फर्जी एप बना लिया था, जिसकी मदद से ठगी की जा रही थी।
बैंक के फर्जी एप से ठगी
गिरफ्तार साइबर अपराधियों द्वारा एचडीएफसी, पीएनबी, एसबीआई, आईसीआईसीआई जैसे बैंक में केवाईसी अपडेट करने के लिए बैंकों के खाताधारकों को इंटरनेट बैंकिंग के एंड्रॉयड अप्लीकेशन का फेक एप्लीकेशन और फर्जी वेबसाइट तैयार किया था, जिसका फिशिंग लिंक का एसएमएस भेज कर साइबर ठगी किया करते थे। साइबर अपराधियों के लिए राजधानी सेफ जोन बन गया है। पुलिस से पूरी तरह निर्भिक होकर साइबर अपराधी फ्रॉड को अंजाम दे रहे हैं। फर्जी वेबसाइट या एप का लिंक क्लिक करने पर इंटरनेट बैंकिंग का फेक एप मोबाइल फोन में इंस्टॉल हो जाता है। जब लोग उस ऐप को ओपन करते हैं तो साइबर अपराधियों तक डेटा पहुंच जाता है। फिर शुरू होता है असल खेल। डेटा पहुंचते ही साइबर अपराधी लोग के बैंक अकाउंट में हमला करते हैैं। फिर धीरे-धीरे अकाउंट खाली कर देते हैं।
किराए का मकान सेफ
साइबर अपराधियों के लिए किराए का मकान सेफ जोन बन गया है। गिरफ्तार हुए साइबर अपराधियों ने भी लालपुर में किराए का मकान ले रखा था। जहां से ये लोग ठगी को अंजाम दिया करते थे। वहीं बीते महीने दीपाटोली से भी गिरफ्तार हुए सात साइबर अपराधी भी किराए के मकान में रह रहे थे। किराए के घर में ही ये लोग पूरा ऑफिस सेट कर लेते हैं। अगल-बगल में भी किसी को भनक नहीं होती। तीन शिफ्ट में अपराधी लगातार ठगी की ड्यूटी में लगे रहते हैं। अपराधी महीनों कमरे बंद रहकर काम करते हैं, जब पकड़े जाने की आशंका होती है ये लोग रूम छोडक़र फरार हो जाते हैं।