RANCHI: स्टेशन रोड स्थित बंसल प्लाजा निवासी व खलारी के ट्रांसपोर्ट कारोबारी सरदार मंजीत सिंह उर्फ हैप्पी सिंह हत्याकांड में पुलिस रांची से लेकर खलारी तक हत्यारे की टोह लेने में जुट गई है। पुलिस छानबीन कर रही है कि कहीं हैप्पी की नक्सलियों से या फिर किसी ट्रांसपोर्टर या लिफ्टर से तो दुश्मनी नहीं थी। बुधवार को हैप्पी की कार में लगे ब्लड का सैंपल कलेक्ट करने सीआईडी व फॉरेंसिंक विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच की। जांच के दौरान यह पाया गया कि हैप्पी को जब गोली लगी, तो वह पिछली सीट पर बैठा था। क्योंकि फॉरेंसिक टीम को पिछली सीट पर ही खून के धब्बे मिले हैं। गौरतलब हो कि चुटिया थाना क्षेत्र के पटेल चौक स्थित पशु पालन विभाग के ऑफिस के पास सोमवार की देर रात ख्भ् वर्षीय सरदार मंजीत सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
उठ रहे कई सवाल
-मंजीत सिंह भाई रंजीत सिंह के साथ कार में सवार थे। ऐसे में जब उसकी कनपटी पर सटा कर गोली मारी गई, तो रंजीत ने शोर क्यों नहीं मचाया।
- रंजीत के हाथ में कैसे चोट लगी
- हमलावर चाहता, तो सॉफ्टी खरीदने के वक्त भी हैप्पी को गोली मार सकता था।
- घर से भ्0 मीटर दूरी पर ही गोली क्यों मारी गई।
- रंजीत ने बाद में क्यों बयान बदल लिया
- क्या रंजीत सिंह को किसी का डर था?
- कहीं रंजीत ने पहले ही तो मंजीत को गोली नहीं मार दी थी
- पशुपालन विभाग के ऑफिस के पास आधे घंटे गाड़ी क्यों खड़ी थी
बॉक्स
पुलिस अफसरों से हैप्पी के थे अच्छे संबंध
हैप्पी सिंह पूर्व में खलारी में लिफ्टर का काम करता था। वह झारखंड समेत बाहर के राज्यों के नामी गिरामी फैक्ट्रियों के लिए लिफ्टिंग का काम करता था। इस दौरान हैप्पी सिंह की मुलाकात कई थानेदारों व पुलिस अधिकारियों से हो गई थी। वह समय-समय पर उन्हें नजराना भी पहुंचाया करता था।