रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची को रेबीज फ्री सिटी बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत स्वास्थ्य विभाग ने कर दी है। इसके तहत रांची के सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में मॉडल एंटी रेबीज क्लीनिक की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा राच्य स्तर पर एडवांस एंटी रेबीज क्लिनिक भी बनाया जाएगा। झारखंड हेल्थ मिशन सोसाइटी की ओर से सिविल सर्जन को पत्र भेजा गया है, उन्हें बताया गया है कि रांची को रेबीज फ्री सिटी कैसे बनाया जाएगा, इस पर काम शुरू कर दिया गया है। रांची के साथ ही जमशेदपुर, बोकारो और धनबाद को भी रेबीज फ्री सिटी बनाया जाएगा।
आसानी से उपलब्ध होंगे इंजेक्शन
अभी तक लोगों को सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन लगवाने के लिए इंतजार करना पड़ता है। कई बार इंजेक्शन न होने के कारण लोगों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल में जाकर महंगे इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। लेकिन, मॉडल क्लिनिक बन जाने के बाद इंजेक्शन और डॉक्टर हमेशा वहां उपलब्ध रहेंगे। डॉक्टर ने बताया कि कई लोग इंजेक्शन लगवाने में लापरवाही करते थे, जिसके कारण टीका लगने के बाद भी छह माह व एक साल में उन्हें रेबीज हो जाता था। रेबीज एक ऐसा वायरस है जो आमतौर पर जानवरों के काटने से फैलता है। यह एक जानलेवा रोग है। यह बीमारी च्यादा खतरनाक होती है। अगर लोग सतर्क रहें तो आसानी से बच सकते हैं।
रेबीज होने पर 5-6 दिन में मौत
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, केवल पागल कुत्ते के काटने से ही रेबीज नहीं होता है, बल्कि सामान्य कुत्ता भी काट ले और व्यक्ति एंटी रेबीज का इंजेक्शन नहीं लेता है तो यह खतरनाक साबित होता है। रेबीज होने पर चिड़चिड़ापन, बुखार आना, मुंह से लार निकलना, पानी का नाम सुनने या देखने, पीने की कोशिश करते ही गर्दन एवं छाती की मांसपेशियों में संकुचन होना, हवा के झोंके से भी झटका लगना या मांसपेशियां जकड़ जाने का लक्षण दिखे तो समझिए व्यक्ति को रेबीज हो गई है। ऐसी परिस्थिति में 5 से 6 दिन में मौत हो जाती है।
सिटी में स्ट्रीट डॉग्स का टेरर
कुत्ते के काटने से पीडि़त लोगों को इलाज की सभी सुविधाएं एक छत के नीचे मुहैया कराने के लिए अब मॉडल क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे समय में यह तैयारी की है जब रांची में आवारा कुतों का आतंक बढ़ गया है। प्रत्येक मॉडल क्लीनिक में घाव को साफ करने के लिए धुलाई क्षेत्र, टीकाकरण की सुविधा और मरहम-पट्टी लगाने के लिए अलग से स्थान होंगे। सेंटर पर रेबीज रोधी टीका, रेबीज वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता से बनी दवा भी उपलब्ध होगी।
डेली 50 डॉग बाइट केस
राजधानी में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि हर रोज करीब 50 लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में 1304, मई में 1499 और जून में 1546 लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा है। ये सभी लोग एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेने के लिए सदर अस्पताल के डॉग बाइट सेंटर पहुंचे। बता दें कि आवारा कुत्तों को पकडऩे, बंध्याकरण और वैक्सीनेशन की जिम्मेवारी मेसर्स होप एंड एनिमल ट्रस्ट को सौंपी गई है।
15 कुत्ते डेली पकड़ता है ट्रस्ट
मेसर्स होप एंड एनिमल ट्रस्ट ने एक साल में 4672 कुत्तों को पकड़ा है, जिन्हें शहर से बाहर ले जाकर छोड़ दिया गया। वहीं 313 कुत्तों की नसबंदी की गई है। बता दें कि ट्रस्ट द्वारा औसतन हर रोज 15 कुत्ते पकड़े जाते हैं, जिसमें से तीन से चार कुत्तों की नसबंदी की जाती है। कुत्तों को पकडऩे के लिए ट्रस्ट के पास तीन गाडिय़ां हैं।
इन इलाकों में ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स
राजधानी रांची के कोकर का डिस्टिलरी पुल इलाका, लालपुर सब्जी मंडी, हरमू बाजार, हरमू मुक्तिधाम इलाका, हिंदपीढ़ी, डोरंडा, कर्बला चौक, डंगराटोली, मोरहाबादी जैसे इलाकों में सबसे च्यादा लावारिस कुत्ते घूमते नजर आते हैं।