रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची नशीली दवाओं का हब बनता जा रहा है। रांची के विभिन्न इलाकों में खुलेआम नशीले दवाओं की बिक्री हो रही है। वैसी दवाएं जो डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन बिना देने पर प्रतिबंध है वो भी नशेडिय़ों तक पहुंच रही हैं। रांची से इन नशीली दवाओं की सप्लाई गुमला, लोहरदगा समेत अन्य इलाकों में भी की जा रही है। रांची में बढ़ते ऐसे मामलों को देखते हुए अब इसकी जांच की जिम्मेवारी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो(एनसीबी) को सौंप दी गई है। रांची से होकर दूसरे स्टेट तक भी नशीली दवाओं की तस्करी हो रही है। यह सारा खेल दवा कंपनी, ड्रग एजेंसी और औषधि निदेशालय की मिलीभगत से चल रहा है।
एनसीबी को पत्र
रांची में ऐसे ड्रग सिंडिकेट के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने जांच का जिम्मा एनसीबी को सौंपा है। एनसीबी को लिखे पत्र में कहा गया है कि भारी मात्रा में नशायुक्त कफ सिरप का रांची और आसपास इलाकों में अवैध व्यापार चल रहा है। इसके सिंडिकेट का पता लगाने और कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
फार्मास्युटिकल्स हैं शामिल
नशीली दवाओं की तस्करी में पंडरा स्थित फार्मास्युटिकल्स के शामिल होने का भी खुलासा हुआ है। दूसरे राज्यों की कंपनी और मेडिकल स्टोर से नशीली दवाएं मंगवाकर उसे राजधानी व आसपास के इलाकों में डिलीवर करा दिया जाता है। इसकी शिकायत मिलने के बाद जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट में भी पंडरा स्थित फार्मास्युटिकल्स के शामिल होने का खुलासा हुआ है। फार्मास्युटिकल्स द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का ऑर्डर हिमाचल की एक कंपनी को दिया गया था, जिसने ऑर्डर से अधिक मेडिसीन सप्लाई की थी, उसकी कीमत करीब चार करोड़ रुपए थी।
अफसरों की भी मिलीभगत
नशीली दवाओं की तस्करी में लोकल ड्रग अफसरों की भी मिलीभगत होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। अवैध कारोबार की जानकारी मिलने के बाद भी औषधि निदेशालय के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने की वजह से ऐसी स्थिति सामने आ रही है। निदेशालय की ओर से इस कारोबार को रोकने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशालय के संरक्षण में ही राजधानी रांची में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
मुनाफाखोरी का खेल
कफ सिरप के रूप में कई ऐसी दवाएं हैं, जिसका इस्तेमाल कुछ लोग नशा के लिए करते हैं। कोरेक्स और कोडिन उन्हीं में एक है। दोनो प्रतिबंधित दवाएं हैं और बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के देना गैरकानूनी है। लेकिन कुछ दुकानदार मुनाफाखोरी के लिए अवैध कारोबार कर रहे हैं। बिना किसी जांच प्रतिबंधित दवा बेच देते हैं, जो युवाओं की लाइफ बर्बाद कर रहा है। कई बार रांची की ही पान दुकान, चाय की दुकान पर ऐसे लोगों को चाय के कप में प्रतिबंधित दवा डालकर पीते हुए देखा गया है। डॉक्टरों के अनुसार, कोडीन एक कफ सिरप है, जिसे डॉक्टर की सलाह के बिना मरीज को नहीं दी जाती। प्रतिबंधित दवा है, जिसके लिए प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य है। शरीर में लीवर एक एंजाइम की मदद से कोडीन को मॉर्फीन में बदल देता है। इस वजह से खून में मॉर्फीन का स्तर तेजी से बढ़ जाता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है, और लोगों की जान भी जा सकती है। इसके बावजूद ड्रग तस्कर इसे ड्रग्स सप्लीमेंट के रूप में बेच रहे हैं, जो कम उम्र के लोगों, खासकर बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकता है।
होम डिलीवरी भी
नशीली दवाओं को बिना किसी मेडिकल स्टोर पर गए भी उपलब्ध कराया जाता है। कुछ सप्लायर्स ने इसकी डिलीवरी के लिए व्हाट्सएप गु्रप बना रखा है। सिर्फ एक कोड डालते ही प्रतिबंधित दवा संबंधित व्यक्ति तक पहुंचा दी जाती है। इसके लिए सप्लायर एक्स्ट्रा चार्ज करते हैं। मार्केट में कोविड 110 रुपए में उपलब्ध है। लेकिन सप्लायर 250 रुपए में इसकी होम डिलीवरी करते हैं। कुछ मेडिकल स्टोर वाले भी चोरी-छिपे इस दवा को बिना प्रिस्क्रिप्शन बेच रहे हैं। हालांकि, वे इतनी सर्तकता बरतते हैं कि किसी अनजान व्यक्ति को दवा जल्दी नहीं देते। अपने रेगुलर क्लाइंट को बिना किसी पड़ताल के ही कागज में लपेट कर थमा देते हैं।नशीली दवाओं की रोकथाम के लिए टीम द्वारा बीच-बीच में छापेमारी की जाती है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई करते हुए लाइसेंस भी सस्पेंड किया गया है।
-विनोद कुमार, सिविल सर्जन, रांची