रांची (ब्यूरो) । तंबाकू सेवन एक विषधर की तरह है। जो भी व्यक्ति इसके चंगुल में एक बार जाता है वह समय पूर्व ही काल का ग्रास बन जाता है। अनेकानेक बच्चे, बुजुर्ग, विद्यार्थी, घरेलु समाज का लगभग प्रत्येक वर्ग इस भयावह रोग से ग्रसित हैं। ये उदगार तम्बाकू निषेध पर बोलते हुए केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने विश्व तम्बाक रहित के रूप में मनाता है जिसका भावार्थ यही होता है कि साल में एक दिन ही सही कम से कम लोगों होने वाली हानियों के विषय में जाग्रत किया जाय। लेकिन धुम्रपान की लत है कि मर्ज बढ़ता जाता है। यह लत लोगों में सुरसा के मुख की तरह बढ़ती जा रही है। कई बार नशेड़ी मुफ्त बीड़ी पिलाने का वास्ता देकर भी अनजान बच्चों एवं युवकों व जाल में फंसजाते हैं तथा एक बार आदत पड़ जाने पर फिर उसे छोडना मुश्किल हो जाता है।
शक्तियों को जाग्रत
राजयोग का दैनिक अभ्यास मनुष्य की सुषूप्त शक्तियों को जाग्रत करता है। तथा आत्म-विश्वास में अभिवृद्धि करता है। वास्तव में ऐसा अनुभव आधारित है कि बड़े से बड़ा नशेे की आदत से प्रसन्न नहीं होता। वह इस आदत को छोडऩा तो चाहता है लेकिन दृढ़ इच्छा के अभाव में चाहकर भी उससे मुक्ति प्राप्त नहीं कर पाता। राजयोग का प्रात:कालिन अभ्यास साकारात्मक दिशा प्रदान करता है जिससे मनोबल में अल्पकाल में ही अभूतपूर्व अभिवृद्धि होती है। लेकिन मन पर पूर्ण नियंत्रण हो तो असम्भव कार्य को भी सह
सकता है। इसलिए नशे की लत को छोडऩे की सर्वाधिक प्रभावी विधि है प्रभु चिंतन है। यदि हम नित्य प्र
प्रेम से याद करें तो सारी बुराईयां, विकृतियों एवं कमजोरियां स्वत: ही दूर हो जाती हंै तथा सकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत हो जाता है।