रांची (ब्यूरो) । जीडी गोयनका स्कूल इस बात पर दृढ़ विश्वास रखता है कि शिक्षा केवल सफलता का प्रवेश द्वार नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण और प्रभावशाली जीवन की आधारशिला है। इस विश्वास के साथ विद्यालय एक ऐसा शिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो सामान्य से परे हैं। छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु विद्यालय में कलरीपयट्टू मार्शल आर्ट का 29 सितंबर से 3 अक्टूबर तक पंच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। दीप प्रज्वलन द्वारा कार्यक्रम का आरंभ हुआ। विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ सुनील कुमार नें कलरीपयट्टू मार्शल आर्ट के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि यह दक्षिण राज्य केरल से उत्पन्न भारत की एक प्राचीन युद्ध कला है, इसे मार्शल आर्ट की जननी भी माना जाता है। यह लगभग 5000 वर्ष पुरानी कला है। आज गोयनका के विद्यार्थियों को इस कला से परिचित कराया गया।

प्रात: कालीन सभा

साथ ही साथ उपस्थित अतिथियों द्वारा शारीरिक व्यायाम से प्रात: कालीन सभा का आरंभ किया गया। कलारीपट्टू की आठवीं पीढ़ी के श्री कृष्णा दास एवं भारत के भूपेश कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। श्री कृष्णा दास के गुरु गुरु शंकर नारायण मेनन जो वल्लभाभट्ट कलारी के संस्थापक हैं, लंबे समय से इनकी कई पीढिय़ां इस युद्ध कला को संपूर्ण विश्व में सीखने का कार्य कर रहे हैं। इन्होंने मार्शल आर्ट के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि कलारीपयट्टू शारीरिक फिटनेस बढ़ता है, इससे ताकत, सहनशक्ति, लचीलापन और गति समन्वय में सुधार होता है। इस अवसर पर उपस्थित विद्यालय के चेयरमैन मदन सिंह ने कहा कि आत्मरक्षा के तरीके सीख कर मनुष्य का आत्मविश्वास भी बढ़ता है इसलिए शिक्षा में युद्ध कला का शिक्षण आवश्यक है।