रांची(ब्यूरो) । डेंगू से बचने के लिए इसकी रोकथाम की प्री प्लानिंग करना बेहद जरूरी हो गया है। किसी भी बीमारी से खुद को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि हम पहले से इसके लिए एहतियात बरतें। कुछ मामूली सावधानी बरत कर भी हम डेंगू जैसी गंभीर बीमारी को मात दे सकते हैं। वैसे तो यह बीमारी बरसात के मौसम में ज्यादा होती है। लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो अब पूरे साल डेंगू के मरीज मिलने लगे हैं। राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। यदि सावधानी नहीं बरती गई तो डेंगू और मलेरिया जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। डेंगू एक मच्छर से होने वाला वायरल इन्फेक्शन है। इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि डेंगू होने पर मरीज तेज बुखार के साथ सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द से जूझता है। डेंगू में त्वचा पर चकत्ते भी निकल आते हैं। यह अब सब को मालूम हो चुका है कि डेंगू संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पाए जाते हैं और दिन के समय अधिक सक्रिय होते हैं। इसलिए हम सभी को सबसे पहले अपने आसपास के इलाके में पानी जमा होने नहीं देना है।
क्या हो सकती है प्री प्लानिंग
सफाई सबसे ज्यादा जरूरी
अपने रहने की जगह और उसके आसपास के इलाकों में सम्पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। अपने आसपास की जगहों को साफ करके रखने से आप मच्छरों को सरलता से दूर रख सकते हैं।
पानी जमा न हो
किसी जगह पर रुके हुए पानी में मच्छर पनप सकते हैं और इसी से डेंगू भी फैल सकता है। जिन बर्तनों का लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं होना हो उनमें रखे हुए पानी को नियमित रूप से बदलते रहें। गमलों के पानी को हर हफ्ते बदलते रहें। मेनहोल, सेप्टिक टैंक, रुकी हुई नालियां और कुएं आदि जगहों को नियमित रूप से चेक करते रहें।
जाली का उपयोग
मच्छरों से बचाव के लिए सबसे पहले तो जब भी आप घर से बाहर जाएं मच्छर से बचाव वाली क्रीम का उपयोग करें और सोने से पहले मच्छरदानी को अच्छी तरह से सेट कर लें। घर में भी मच्छर मारने वाली मशीन का उपयोग कर सकते हैं।
कीटनाशक करें इस्तेमाल
घरों के आसपास पूर्ण साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करें। कचरे को अपने आवास से दूर फेंकें। घरों के कूलर, टैंक, ड्रम, बाल्टी आदि से पानी खाली करें। पानी में लार्वा पाए जाने पर टेमीफोस लार्वानाशक दवा पानी की सतह पर छिड़काव करें।
गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स को भी होना होगा प्री एक्टिव
मच्छरों से एक बड़ी आबादी को सुरक्षित रखने के लिए गवर्नमेंट डिपार्टमेंट को भी प्री एक्टिव होना कारगर साबित हो सकता है। अक्सर देखा जाता है कि बरसात के मौसम से ठीक पहले स्वास्थ्य विभाग सक्रिय होता है। जो इस बीमारी से बचने के लिए नाकाफी है। डेंगू से बचने के लिए सरकारी तंत्रों को भी सालों भर तैयारी करने की जरूरत है। हेल्थ डिपार्टमेंट, नगर निगम, आरआरडीए यदि सालों भर अभियान के रूप में लेकर डेंगू के खिलाफ लड़ाई लड़ें तो इस बीमारी को पनपने से ही रोका जा सकता है। राज्य में मलेरिया विभाग और जिला में मलेरिया कोषांग भी गठित है। लेकिन दुर्भाग्य है कि यह सालों भर सोये रहते हैं। सिर्फ बरसात से पहले जागने के बजाय यह कोषांग सालों भर मुस्तैद रहे तो भी डेंगू को मात दिया जा सकता है। यह मलेरिया कोषांग के ही जिम्मे होता है कि लोगों तक डेंगू को लेकर अवेयरनेस फैलाएं। डेंगू से बचने के क्वाइल एवं मैट से लेकर मच्छरदानी तक का वितरण कराना, इसका उपयोग कराना भी यह डिपार्टमेंट संभालता है। इस डिपार्टमेंट का सालों भर एक्टिव होना जरूरी है।
फिलहाल क्या हैं हालात
डेंगू से बचाव तो दूर फिलहाल जो स्थिति है, वह बेहद डरावनी है। राजधानी रांची में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों ऐसे स्पॉट है जो मच्छरों के पनपने के लिहाज से बेहद उपयुक्त स्थान हैं। इन इलाकों में कभी सफाई होती ही नहीं। इस कारण डेंगू के मरीज भी इन इलाकों से सालों भर सामने आते रहते हैं।
स्पॉट 1 : लोहरा कोचा
लोहरा कोचा में गंदगी का अंबार है। यहां नगर निगम की टीम कभी पहुंचती ही नहीं है। यदि गलती से कभी पहुंच भी गई तो सफाई के नाम पर खानापूर्ति कर लौट जाती है। इलाके में गंदगी और सड़ा हुआ बदबूदार पानी सालो भर जमा रहता है। इसी के आसपास छोटे-छोटे बच्चे खेलते हैं और वे बीमार पड़ते हैं।

स्पॉट 2 : हिंदपीढ़ी
हिंदपीढ़ी एक ऐसा इलाका है जहां कई छोटी-छोटी बस्तियां और कॉलोनियां हैं। इन बस्तियों में गंदगी, जानवर और इंसान साथ-साथ रहते हैं। डेंगू के कई केस इस इलाके से सामने आ चुके हैं। फिर भी न तो स्थानीय निवासी और न ही जिम्मेदार विभाग इसे लेकर गंभीर हैं। इलाके में न तो सफाई होती है और न ही कभी फॉगिंग गाड़ी जाती है। यहां के लोग बताते हैं कि फॉगिंग गाड़ी देखे हुए महीनों हो जाते हैं।

स्पॉट 3 : निवराणपुर
मेन रोड ओवर ब्रिज के नीचे निवारणपुर का इलाका भी ऐसा ही है, जहां साफ-सफाई का घोर अभाव है। वैसे तो कॉलोनी में सफाई टीम पहुंचती है। लेकिन ब्रिज के नीचे का हाल किसी नरक से कम नहीं है। यहां पर सैकड़ों दुकानें हैं जहां हर दिन हजारों लोगों का आना-जाना रहता है। ब्रिज के नीचे बहते नाले का गंदा पानी कई बीमारियों की वजह बन रहा है। इसमें एक डेंगू भी शामिल है।

स्पॉट 4 : चुटिया
चुटिया एक घनी आबादी वाला इलाका है। यहां छोटी-छोटी कई गलियां और कॉलोनियां हैं। लेकिन इलाके में हर थोड़ी दूरी पर गंदगी और कचरा स्वागत करता हुआ नजर आ जाएगा। निगम की गाड़ी आती है लेकिन आधा-अधूरा ही सफाई कर वापस लौट जाती है। सड़क पर जमा पानी और बजबजाती नालियां यहां की पहचान बन चुकी हैं। यहां के लोग बताते हैं कि इलाके में कभी फॉगिंग नहीं कराई जाती है। अंतिम बार अगस्त महीने में फॉगिंग कराई गई थी।

राजधानी में डेंगू और मलेरिया की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। विभिन्न अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाकर मरीजों के इलाज की उचित व्यवस्था की गई है। मलेरिया पदाधिकारी को भी मलेरिया किट वितरण करने और इस संबंध में जागरूकता फैलाने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
-प्रभात कुमार सिंह, सिविल सर्जन, रांची