रांची (ब्यूरो) । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवा केंद्र, चौधरी बगान हरमू रोड में अंतराष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व संध्या पर विभिन्न प्रकार के आसन एवं प्राणायाम के अभ्यास किए गए। इस अवसर पर बोलते हुए केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा
कि वर्तमान समय संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ राजयोग का अभ्यास आवश्यक है जिससे हमारे तन के साथ- साथ मन भी स्वस्थ और शक्तिशाली बने। बुद्धि को परमपिता परमात्मा से जोडऩा ही योग है। आज मनुष्य की बुद्धि अनेकों से जुड़ी हुई है अत: भटकती रहती है। बृद्धि को अनेकों से तोड़ एक से जोडऩे वाला मनुष्य ही योगी है।
आत्मा का संबंध
एक परमात्मा ही है जिनसे सभी संबंधों और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। आत्मा का संबंध परमात्मा से जोडना ही स'चा योग है। मानव मन को चाहिए सुख शांति का ठिकाना। बुद्धि बहुत चंचल है। जिस प्रकार किसी व्यक्ति का कहीं ठिकाना नहीं होता, कोई आपना घर नहीं होता वह यहां वहां भटकता रहता है। लेकिन जिसे अपना घर है वह आवश्यक कार्य से कहीं जाने पर भी रात्रिशयन के लिए अवश्य अपने घर लौट आएगा, भटकेगा नहीं कार्योपरांत ठिकाने पर पहुंच जाएगा। इसी प्रकार से सुखशांति का एक मात्र ठिकाना आनन्द के सागर, शांति के सागर निराकार परमात्मा शिव ही हैं। जिसे इस ठिकाने की प्राप्ति हो गयी है उसकी बुद्धि आवश्यक कार्योपरांत निश्चित रूप से वहां पहुंच जायेगी, उसके भटकने का प्रश्न ही नहीं उठ सकता। परंतु जिसे इस ठिकाने की प्राप्ति नहीं हुई है उसकी बुद्धि सुख-शांति की खोज में इधर उधर विक्षिप्त की भांति निरंतर भटक रही है। सांसारिक सुखों के पीछे मृगतृष्णा की तरह वेतहाशा दौड़ते-दौड़ते अंत में बुद्धि हताश तथा निराश हो जाती है।