रांची: कोरोना का कहर कुछ परिवारों पर ऐसे बरपा कि हंसता-खेलता परिवार बिखर गया। कुछ मासूम ऐसे भी हैं जिनके सिर से उनके माता-पिता का साया उठ गया। लेकिन इन मासूमों की निगाहें हर पल अपनों को तलाशती हैं। अपनी जान से ज्यादा अपने बच्चों को प्यार देने वाले ये माता-पिता अब लौटकर तो नहीं आने वाले हैं। हालांकि, देखभाल करके इनकी जिंदगी संवारी जा सकती है। इसी उद्देश्य से राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ने घोषणा की है कि कोरोना से जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया, सरकार उनके साथ है। उन्हें हर तरह की मदद की जाएगी। पढ़ने-लिखने से लेकर उनके रहने खाने-पीने की व्यवस्था सरकार करेगी।
सिटी में ऐसे 125 बच्चे
सीएम की घोषणा के बाद समाज कल्याण विभाग द्वारा 1 अप्रैल से 30 मई तक जिन लोगों की मृत्यु कोरोना संक्रमण के कारण हो गई, उसमें से कितने बच्चो के सिंगल पेरेंट थे, इसका सर्वे पूरे राज्यभर में किया गया। अप्रैल से मई तक में करीब 259 लोगों को आईडेंटिफाई किया गया है। इन बच्चों के पेरेंट्स अब इस दुनिया में नहीं हैं। नेशनल कमीशन फॉर चाइल्ड के माध्यम से इन बच्चों का सर्वे किया गया है। राज्यभर से हर दिन अभी भी ऐसे बच्चों को आईडेंटिफाई किया जा रहा है, जिनके पेरेंट्स अब इस दुनिया में नहीं है। करीब 2 महीने में ही 259 बच्चे आइडेटीफाई हो चुके हैं। अभी यह काम चल ही रहा है और ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ सकती है। वहीं, सिटी में ऐसे 125 बच्चे पाए गए हैं।
स्कूलों ने दिया मदद का भरोसा
राज्य की कई सामाजिक संस्थाओं और प्राइवेट स्कूलों ने भी ऐसे बच्चों को अपने स्कूल में फ्री में पूरी पढ़ाई करने की व्यवस्था की है। जूनियर विंग से लेकर सीनियर विंग के स्कूलों में ऐसे बच्चों को फ्री पढ़ाई उपलब्ध कराई जाएगी।
तीन साल हर महीने 2000 रुपए
समाज कल्याण विभाग के सामाजिक सुरक्षा निदेशक डीके सक्सेना बताते हैं कि कोरोना से माता-पिता को खोने वाले या परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य की मौत से प्रभावित बच्चों को हर महीने 3 साल तक 2000 रुपए दिए जाएंगे। इसके साथ ही अगर बच्चों को रहने के लिए जगह नहीं होगी तो उनके रहने की व्यवस्था भी की जाएगी। अभी जो व्यवस्था चल रही है उसके अनुसार इन बच्चों को या तो 3 साल तक हर महीने 2000 रुपए दिए जाएंगे। या इनकी उम्र 18 साल तक पूरा होनी चाहिए। यानी कि अधिकतम 3 साल तक ऐसे बच्चों को हर महीने 2000 रुपये आर्थिक मदद समाज कल्याण विभाग द्वारा की जाएगी।
अब तक ऐसे 259 बच्चे आईडेंटिफाई किए गए हैं, जिनके पेरेंट्स अब इस दुनिया में नहीं हैं। सरकार की जो योजना चल रही है उसके अनुसार ऐसे बच्चे जिनके पेरेंट्स नहीं हैं उनको 3 साल तक हर महीने 2000 रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। अगर बच्चों को रहने की व्यवस्था नहीं होगी तो उन्हें रखने और पढ़ने की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जाएगी। हालांकि, ऐसे बच्चों का आईडेंटिफिकेशन काम अब भी चल रहा है।
-डीके सक्सेना, निदेशक, सामाजिक कल्याण विभाग, झारखंड