रांची: कोरोना का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस वजह से लोगों की रूटीन भी बदल गई है। इस बीच रूटीन में नई आदतें भी शामिल हो गई हैं। लेकिन अब ये नई आदतें लोगों के मन में बीमारी की तरह हो गई हैं। यही वजह है कि कोरोना की वजह से लोग मेंटली बीमार हो गए हैं, जिसमें व्यक्ति एक ही काम को कई बार करने का प्रयास कर रहा है और जब वह उस काम को नहीं कर पाता है तो उसे बेचैनी हो रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सिटी के ऐसे लोगों की जो कोरोना महामारी के बीच आब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर (ओसीडी) से ग्रसित हो चुके हैं। ऐसे ही मरीजों को इलाज के लिए परिजन लेकर साइकियाट्रिस्ट के पास पहुंच रहे हैं। इसलिए आपके आसपास भी कोई ऐसा व्यक्ति है तो तत्काल उसका इलाज कराएं, ताकि वह स्वस्थ हो सके।
क्या है आब्सेसिस कंपल्सिव डिसआर्डर
ओसीडी किसी भी चीज को लेकर ज्यादा चिंतित रहने वाली एक बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति किसी खास चीज को लेकर जरूरत से ज्यादा चिंता करने लगता है। इस वजह से एक ही काम को करने के बाद दोबारा से उसी काम को करने जैसी स्थिति भी सामने आती है। इस काम को करने में उसे खुशी नहीं मिलती लेकिन मजबूरी में करना पड़ता है।
केस 1
पी कुमार को हल्के बुखार के लक्षण दिखे। इसके बाद उन्होंने मेडिकल से दवा लेकर खा ली और ठीक भी हो गए। अब वह सुबह से शाम तक कई बार अपना बॉडी टेंप्रेचर चेक कर रहे हैं। वहीं बार-बार हाथों को साफ करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। परेशान होकर परिजन उन्हें लेकर साइकियाट्रिस्ट के पास पहुंचे, जहां उनके ओसीडी से ग्रसित होने की बात सामने आई।
केस 2
एम देवी के मन में कोरोना का डर समा गया है। यह डर उनपर इस कदर हावी है कि दिन में बार-बार हाथों को धो रही हैं। इसके अलावा जब भी कुछ महसूस हो तो सीधे कोरोना का ही नाम ले रही हैं। इतना ही नहीं, देर रात नींद खुलने पर भी हाथों को धोने का काम कर रही हैं, परिजनों ने तत्काल साइकियाट्रिस्ट से संपर्क किया।
केस 3
एस कुमार गवर्नमेंट इंप्लाई है। वह दिनभर आफिस में ही काम करते हैं। अब वह सुबह घर से निकलने से पहले अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते हैं। इसके बाद आफिस में ड्यूटी के दौरान भी कई बार ऑक्सीजन का लेवल चेक करना उनकी डेली रूटीन का हिस्सा है। रात को भी सोने से पहले वह चेक करने के बाद ही सोते हैं।
कहां-कहां ट्रीटमेंट की व्यवस्था
-साइकियाट्री डिपार्टमेंट, रिम्स
-रिनपास, कांके
-सीआईपी, कांके
-डेविस इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री, कांके
कोई भी व्यक्ति एक ही चीज को लेकर टेंशन में है और उस काम को बार-बार कर रहा है तो यह ओसीडी का केस है। चूंकि ओसीडी से ग्रसित मरीज को न चाहते हुए भी वह काम करना पड़ता है। इसलिए ऐसे लोगों पर नजर रखने की जरूरत है ताकि तत्काल उनकी काउंसेलिंग की जा सके और इलाज शुरू किया जा सके।
-डॉ अजय बाखला, साइकियाट्री डिपार्टमेंट, रिम्स