रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची समेत आसपास के इलाकों में दिनोंदिन पानी की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। अमूमन गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत हुआ करती थी, लेकिन अब गर्मी की शुरुआत से पहले ही समस्या दिखने लगती है। इन दिनों मानसून की शुरुआत हो चुकी है, इसके बावजूद पानी का संकट बना हुआ है। ग्राउंड वाटर लेवल पाताल लोक में जा रहा है। हर कोई इस समस्या से जूझ रहा है, लेकिन इसके समाधान पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। चाहे जिम्मेदार विभाग हो या आम पब्लिक, कहीं से भी कोई पहल होती नजर नहीं आ रही। यहां तक कि लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग में दिलचस्पी तक नहीं ले रहे हैं। प्राइवेट बिल्डिंग, गवर्नमेंट ऑफिस व नेता मंत्री के आवास में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाने की दिशा में काम नहीं हो रहा है। जबकि ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही बेहतर उपाय माना गया है। फिर भी इसके प्रति लोगों का गंभीर नहीं होना चिंता का विषय है। नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, इस भीषण संकट के बाद भी राजधानी रांची में महज 11 फीसदी घरों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बन पाया है। निगम क्षेत्र में लगभग 236000 छोटे-बड़े भवन हैं, इनमें सिर्फ 20,036 भवनों में ही यह व्यवस्था की गई है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि आम पब्लिक भी इसको लेकर गंभीर नहीं है, और जिम्मेवार विभाग यानी की नगर विकास विभाग, पेयजल विभाग और नगर निगम को भी इससे कोई मतलब नहीं है।

2016 में ही आदेश, लागू नहीं

2016 में भीषण जलसंकट होने के बाद राज्य सरकार ने राजधानी के बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने को लेकर आदेश जारी किया था। लेकिन सात साल में सिर्फ 20 हजार घरों में ही यह सिस्टम लग पाया है। जो विभाग के उदासीन रवैये को दर्शाता है। आज शहर के कई इलाके ड्राई जोन में तब्दील हो चुके हैं। पानी के लिए मारा-मारी हो रही है। नगर निगम के टैंकर, सप्लाई वाटर एवं खरीद कर पानी का इस्तेमाल करना ही विकल्प बचा हुआ है। फिर भी लोगों द्वारा इसे गंभीरता से न लेना समझ से परे है। सिर्फ निजी भवन ही नहीं, बल्कि सरकारी बिल्डिंग का भी यही हाल है। जितने भी पुराने आवास या कार्यालय हैं, वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं लगाया जा रहा है। हालांकि कुछ बिल्डिंग जो नई बनी हैं उनमें इस सिस्टम को लगाया जा रहा है।

इम्पलीमेंट कराना भूल गया नगर निगम

नगर निगम ने जल संकट को देखते हुए सिटी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य तो कर दिया, लेकिन इसे इम्पलीमेंट कराना भूल गया। नियम के अनुसार 300 स्क्वायर मीटर या इससे अधिक एरिया में बने भवनों को कैंपस में हर हाल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग कराना है। प्राइवेट भवनों के अलावा सरकारी इमारतों में इसे सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा है। अब तक 50 परसेंट सरकारी भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग कराया गया है। विकास भवन, आरआरडीए, नगर निगम की पुरानी बिल्डिंग, कमिश्नर ऑफिस, सर्वे बिल्डिंग, अभियंता भवन समेत अन्य कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो सिटी में करीब 330 सरकारी बिल्डिंग्स हैं, जिसमें से सिर्फ 120 में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है।

पेनाल्टी सिर्फ आम लोगों को

निजी भवनों में यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम न हो तो बार-बार नोटिस भेजा जाता है। उन पर पेनाल्टी भी लगाया जाता है। डेढ़ गुणा होल्डिंग टैक्स वसूला जाता है। लेकिन सरकारी भवनों के लिए कोई नियम कानून नहीं है, ये सभी नियमों से ऊपर हैं। हर साल करीब 120 सरकारी भवनों में गिरने वाला बारिश का करोड़ो लीटर पानी बह कर बर्बाद हो जाता है। यदि इन स्थानों पर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया जाए तो न सिर्फ भारी मात्रा में जल संचयन हो सकेगा, बल्कि आम नागरिकों के बीच वाटर हार्वेस्टिंग बनाने को लेकर एक संदेश भी जाएगा।

पब्लिक भी नहीं है अवेयर

बढ़ते जल संकट को देखते हुए भी न तो सरकारी बाबू और न ही आम पब्लिक अवेयर हो रहे हैं। उदासीनता का आलम ऐसा है कि लोग पेनाल्टी देने को तैयार है लेकिन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने में रुचि नहीं है। हालांकि नगर निगम में भवन के नक्शे वाले आवेदन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। बगैर इसके इसका नक्शा स्वीकृत नहीं किया जाता है। जिसके बाद बीते तीन चार सालों में पास हुए नक्शे के अनुसार बने बिल्डिंग में इस सिस्टम को लागू किया गया है। लेकिन जहां बिना नक्शा के ही मकान बनाए जा रहे हैं, वहां इसका आज भी पालन नहीं हो रहा है।

कम्युनिटी रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना भी फेल

बारिश के पानी को संचयित करने को लेकर नगर निगम ने हर वार्ड में चार कम्युनिटी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का निर्णय लिया था। लेकिन यह भी फेल हो चुका है। यह निर्णय भी सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। यदि इसे लागू किया जाता तो बारिश का पानी भारी मात्रा में संचयित किया जा सकता था।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए निगम की ओर से कई बार अवेयरनेस ड्राइव चलाया गया। फिर भी लोग रुचि नहीं ले रहे हैं। आने वाले समय में अभियान चलाकर जागरुकता फैलाई जाएगी। इसमें सख्ती भी बरती जाएगी।

-कुंवर सिंह पाहन, डीएमसी, आरएमसी