रांची(ब्यूरो)। पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए बोर्ड और राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। पॉल्यूशन लेवल मापने के लिए स्टेशन बनाए जाने की तैयारी है, तो कहीं इसे नियंत्रित करने के लिए पॉल्यूशन फैलाने वाली चीजों को बैन भी किया जा रहा है। लेकिन बोर्ड को लोगों का साथ नहीं मिल पा रहा है। न तो सबसे खतरनाक मानी जाने वाली पॉलीथिन पर विराम लगा और न ही वाहनों से निकलने वाले काले धुंए ही बंद हुए। सिटी में पॉल्यूशन जांच सेंटर बनाने की भी पहल की गई थी। लेकिन इसका भी पालन कहीं-कहीं ही हो सका है। पेट्रोल पंप पर अनिवार्य रूप से पॉल्यूशन जांच सेंटर खुलने थे, लेकिन आज भी कई पंप हैं जहां सेंटर नहीं खोले गए हैं। जबकि इस संंबंध में सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी किया था। पंप संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर चुके हैं। हालांकि कुछ पंप पर जांच सेंटर जरूर खुले हैं। वहीं कई पंप ऐसे हैं जहां कुछ दिन संचालन के बाद पॉल्यूशन जांच सेंटर पर ताला लटक गया है।
कहीं ताला तो कहीं स्टाफ नहीं
करीब पांच साल पहले रांची के अलग-अलग इलाकों में जांच सेंटर खोले गए थे। पॉल्यूशन जांच को लेकर अभियान भी चलाया गया, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ सब ठंडे बस्ते में चला गया। पेट्रोल पंप पर खोले गए जांच सेंटर महीनों से बंद पड़े हैं। कहीं सेंटर खुले भी हैं तो वहां जांच करने के लिए कोई कर्मचारी ही नहीं है। ऐसे में वैसे लोग जिन्हें पर्यावरण की चिंता है, वे चाह कर भी अपनी गाड़ी का पॉल्यूशन टेस्ट सर्टिफिकेट नहीं बनवा पा रहे हैं। इस संंबंध में परिवहन सचिव और परिवहन पदाधिकारी भी कई बार आदेश जारी कर चुके हैं। लेकिन पंप संचालक सभी आदेशों की अनसुनी कर देते हैं।
न मॉनिटरिंग न हुई कार्रवाई
परिवहन सचिव के निर्देश का भी पेट्रोल पंप संचालक पालन नहीं कर रहे हैं। तत्कालीन परिवहन सचिव की ओर से सभी पेट्रोल पंपों पर अनिवार्य रूप से प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित करने और इन्हें ऑनलाइन करने का आदेश दिया गया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। न ही आदेश की कभी मॉनिटरिंग हुई। पेट्रोल पर जांच सेंटर है या नहीं इसकी जांच करने वाला भी कोई नहीं है। डीटीओ ऑफिस से कार्रवाई के आदेश तो दिए गए, लेकिन कभी किसी पेट्रोल पंप संचालक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका नतीजा है कि पंप के संचालक भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अब तो ट्रैफिक पुलिस ने भी पॉल्यूशन पेपर की जांच करना बंद कर दिया है।
स्पॉट-1
रामबिलास पेट्रोल पंप
रातू रोड स्थित राम बिलास एंड संस पेट्रोल पर पॉल्यूशन जांच सेंटर नहीं है। यहां काफी स्पेस होने के बाद भी जांच सेंटर खोला नहीं गया। कई बार आदेश जारी होने के बाद भी पंप संचालक ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई और न ही विभाग की ओर से कोई कार्रवाई की गई।
स्पॉट-2
जायसवाल पेट्रोल पंप
रातू रोड में ही स्थिति जायसवाल पेट्रोल पंप पर भी पॉल्यूशन जांच सेंटर संचालित नहीं हो रहे हैं। यहां एक जांच सेंटर खोला गया था। लेकिन महीनों से यह सेंटर बंद पड़ा हुआ है। लोग चाहकर भी अपने व्हीकल का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं बनवा पा रहे हैं।
स्पॉट-3
शक्ति सर्विस सेंटर
राजधानी के वीवीआईपी रोड यानी हरमू रोड में स्थित है शक्ति सर्विस सेंटर पेट्रोल पंप। इस पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र बना ही नहीं। पंप के कर्मचारी बताते हैं कि पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के बारे में कोर्ट पूछता है तो उसे दूसरी जगह का एड्रेस बताते हैं। उपयुक्त जगह होने के बाद भी पंप पर आज सेंटर नहीं खोला गया।
स्पॉट-4
कोकर
कोकर चौक से पहले स्थित पेट्रोल पंप का भी यही हाल है। यहां जांच सेंटर तो खुला है, लेकिन इसका शटर हमेशा ही बंद रहता है। कुछ ऐसा ही हाल सिटी के अन्य पेट्रोल पंपों का भी है। कहीं जांच सेंटर खोला ही नहीं गया तो कहीं सेंटर खुला लेकिन वह हमेशा बंद ही रहता है। कम ही ऐसे पंप हैं, जहां नियमित रूप से प्रदूषण जांच हो रही है।
10 हजार में जांच केंद्र का लाइसेंस
प्रदूषण जांच केंद्रों के लाइसेंस के लिए फीस के रूप में 10 हजार रुपए लिये जाते हैं। लाइसेंस रिन्यूअल करने के लिए भी इतनी ही रकम ली जाती है। प्रदूषण जांच केंद्र के स्थल परिवर्तन के लिए पांच हजार और लाइसेंस के वैध उत्तराधिकारी के नाम हस्तांतरण पर 3000 रुपये देने होते हैं। लाइसेंस की वैधता अवधि के समाप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर रिन्यूअल का आवेदन देने पर कोई विलंब शुल्क नहीं लिया जाता है। दो पहिया वाहन की जांच के लिए 50 रुपए और चार पहिया वाहन के लिए 120 रुपए फीस तय है।सभी पेट्रोल पंपों पर पॉल्यूशन जांच सेंटर खोलना अनिवार्य है। अब सख्ती से इसकी जांच कराई जाएगी। जहां जांच सेंटर नहीं होंगे वहां के पेट्रोल पंप संचालक पर लीगल एक्शन लिया जाएगा।
-प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ, रांची