रांची: इलेक्ट्रिक पोल के तार में हूकिंग करके बिजली कनेक्शन लेना गैरकानूनी है। लेकिन, यह गैरकानूनी काम करने के लिए सिस्टम ही मजबूर कर रहा है। पुराने जेल के समीप रहने वाले विस्थापितों को सामने ही शानदार फ्लैट बनाकर आवंटित किया गया है। बिल्डिंग बने आठ महीने का वक्त गुजर चुका है। किसी तरह दो महीने पहले यहां कुछ विस्थापितों को आवास आवंटित किया गया है। 18 करोड़ की लागत से बने इन फ्लैट्स में अब तक बिजली कनेक्शन ही उपलब्ध नहीं कराया गया है। नतीजन, यहां के लोग हूकिंग कर बिजली लेने को मजबूर हैं। जेल परिसर में दो अलग-अलग यूनिट में बिल्डिंग्स का निर्माण किया गया है, जिसमें कुल 180 फ्लैट्स हैं। इसमें अबतक सिर्फ 60 लोगों को ही आवास उपलब्ध कराया जा सका है। बाकी को बसाने की प्रक्रिया चल रही है।
बड़े हादसे का डर
फ्लैट में रहने वाले लोगों को पॉवर सप्लाई नहीं दी गई है। इस वजह से यहां रहने वाले लोगों ने खुद से जुगाड़ की सप्लाई का कनेक्शन ले लिया है। लेकिन यह काफी जोखिम भरा है। रोड पर लगे ट्रांसफॉर्मर से लाइट लेने के लिए बांस का सहारा लिया गया है, जो रिस्की है। यहां दर्जनों छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं। थोड़ी सी भी लापरवाही बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है। लेकिन यहां रहने वाले लोगों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यहां के लोगों ने बताया कि कई बार नगर निगम में आवेदन दिए हैं, लेकिन कोई सुनता नहीं।
कैंपस में ही ट्रांसफॉर्मर
बिल्डिंग परिसर में ट्रांसफॉर्मर तो लगवा दिया गया है, लेकिन इस ट्रांसफॉर्मर से पॉवर सप्लाई नहीं दी गई है। जबकि बिल्डिंग में बने सभी फ्लैट में बिजली का सारा कनेक्शन कर दिया गया है। स्वीच, होल्डर भी लगा दिए गए हैं। अब सिर्फ पॉवर सप्लाई देने की देर है। पॉवर सप्लाई नहीं मिलने की वजह से ही यहां के लोग हूकिंग कर बल्ब जला रहे हैं। एक ओर सरकार ही हूकिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहती है लेकिन दूसरी तरफ हूकिंग करने के लिए लोगों का मजबूर भी करती है।
पानी की भी दिक्कत
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिल्डिंग बन कर तैयार है, यहां फिनिशिंग का भी सारा काम कर दिया गया है। लेकिन सिर्फ पॉवर सप्लाई नहीं देने की वजह से यहां के लोगों को पानी की भी मुश्किल हो रही है। बिल्डिंग में बोरिंग तो कराया गया है, मोटर भी लगवा दिया गया है, लेकिन पॉवर नहीं मिलने की वजह से टंकी तक पानी नहीं चढ़ पा रहा है। सारा सुविधा होते हुए भी लोग इधर-उधर से पानी भरने को विवश है। यहां के लोग कहते हैं सिर ढकने के लिए छत तो मिल गया लेकिन जिंदा रहने के लिए पानी ही नहीं है। पुराना घर झोपड़ी ही था लेकिन वहां बिजली-पानी की सुविधा थी। लोगों की मजबूरी ऐसी है कि ग्राउंड फ्लोर में पानी जमा कर ये लोग उसका इस्तेमाल नहाने-धोने में कर रहे हैं। रोड के पास एक वाटर कनेक्शन है, बस यही नल सभी लोगों का सहारा बना हुआ है।