रांची (ब्यूरो)। 2019 में हिंदपीढ़ी में फलक नामकच् बच्ची, इसके अगले साल कोकर डेलाटोली में युवक और फिर पंडरा स्थित अंबानगर में उफनते बरसाती नाले में बहकर अजय प्रसाद अग्रवाल नामक बुजुर्ग की मौत हो गईच् बच्ची की लाश कई किलोमीटर दूर नदी में मिली तो कोकर में नाले में बहे युवक की लाश का भी पता नहीं चला। बरसात का यही सीजन रांची में फिर से आनेवाला है। सितंबर का महीना फिर से सिटी में सितम बरपाने वाला है। ऐसे में इस बार भी नालों को ढका नहीं गया तो लोगों की जान जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। सवाल उठता है कि लगातार तीन सालों से हर बरसात में खुले नाले मौत की वजह बन रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेवार अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर नहीं है। राज्य की सरकार हो या शहर की सरकार, दोनों का रांची ही तो ठिकाना है, फिर क्यों खुले नाले ढके नहीं जा रहे हैं। सरकार आम लोगों की सुविधा के लिए है तो लोगों की जान क्यों जा रही है। आखिर शहर की सरकार से लेकर राज्य की सरकार कर क्या रही है।
कितने नाले खुले है
आलम यह है कि रांची नगर निगम को पता तक नहीं है कि राजधानी में खुले हुए कितने नाले हैं। रांची नगर निगम के इंजीनियरिंग सेक्शन को यही नहीं पता कि राजधानी में कितने खुले हुए नाले हैं। मगर यच् सच्चाई है कि जिस मोहल्ले में चले जाइए उसी मोहल्ले में तीन-चार खुले हुए नाले मिल जाएंगे। यह नाले बरसात में जानलेवा रूप धारण कर लेते हैं। नाला निर्माण च्े च्यादा महत्वपूर्ण इनको ढकना है, जो नगर निगम को दिख नहीं रहा है।
बरसात में मौत के नाले
सिटी के इन खुले हुए नालों में लोगों की बहकर मौत हो रही है। खासकर बरसात के मौसम में खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इन खुले नालों का रूप बारिश के वक्त और भी खतरनाक होता है। बारिश के बाद घंटों सभी नाले उफान पर होते हैं। इसी बीच थोड़ी सी गलती बड़े हादसे की वजह बन जाती है। सिटी में कई स्थान हैं जहां बड़े और खुले नाले बहते हैं। ये नाले सामान्य दिनों में भी खतरनाक होते हैं। बारिश के बाद इन नालों से गुजरना भी मुश्किल होता है।
नालों में बहकर गईं कई जान
2019 में हिंदपीढ़ी के निजाम नगर कच् बच्ची फलक की नाले में बह जाने से मौत हो गई थी। इसके बाद खोरहा टोली में हजारीबाग का एक युवक उमेश राणा बाइक समेत नाले में बह गया था। इस घटना के बाद रांची नगर निगम के नगर ने राजधानी के सभी नालों को कवर करने की योजना तैयार की थी। इस योजना के तहत 25 नालों को ढाका जाना था। यह काम इंजीनियरिंग शाखा को करना था। लेकिन इंजीनियरिंग शाखा ने योजना तैयार करने और इसके टेंडर में इतनी देर कर दी कि अब तक इन नालों का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। अभी भी नाले नहीं ढके जा सके हैं।