रांची(ब्यूरो)। सेशन 2024-25 की क्लासेज सभी स्कूलों में शुरू हो चुकी हैं। वहीं, नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग(एनसीईआरटी) की किताबें सिटी में आउट ऑफ स्टॉक हो चुकी हैं। इस कारण स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स की परेशानियां बढ़ गई हैं। एक ओर जहां स्टूडेंट्स पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर पेरेंट्स किताबों के लिए शहर की खाक छान रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। बता दें कि प्राइवेट स्कूल भी खासकर 8वीं क्लास से एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाते हैं और मैट्रिक एग्जाम में ज्यादातर क्वेश्चंस एनसीईआरटी की किताबों से ही आते हैं। लेकिन, जब किताब ही उपलब्ध नहीं हैं तो स्टूडेंट्स भला कैसे पढ़ाई करें। सीबीएसई और जैक बोर्ड के स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से ज्यादातर पढ़ाई होती है। आलम ये है कि निजी स्कूल 8वीं कक्षा तक एनसीईआरटी के बदले निजी प्रकाशकों की किताबें चला रहे हैं, जो पेरेंट्स के लिए काफी महंगी पड़ रही हैं।

निजी प्रकाशकों की किताबें महंगी

एनसीईआरटी की एक किताब 50 से 60 रुपए में मिलती है तो निजी प्रकाशकों की किताब की कीमत 300 से 400 रुपए तक होती हैं। ऐसे में तीसरी कक्षा की एनसीईआरटी की पांच किताबें 300 से 400 रुपए में मिल सकती हैं। वहीं निजी प्रकाशकों की चार से पांच हजार रुपए किताबों के लिए चुकाने पड़ रहे हैं। यह पेरेंट्स के लिए बड़ी परेशानी का कारण है।

स्कूलों की खास दुकानों से साठ-गांठ

छोटे किताब व्यापारियों का कहना है कि निजी स्कूलों की कुछ खास दुकानों से साठ-गांठ होने के कारण सभी किताबें उनकी दुकानों पर ही मिलती हैं। यहां एनसीईआरटी की किताबें नहीं मिलती हैं। इस कारण अभिभावकों को निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें खरीदनी पड़ रही हैं। जिन दुकानों का स्कूलों से अच्छा संपर्क है, वो किताबों का थैला बनाकर रखते हैं। लेकिन जिन दुकानों का कोई संपर्क नही है, वो एनसीईआरटी की किताब ही नहीं रखते हैं।

क्या कहते हैं दुकानदार

पुस्तक पथ स्थित एक किताब दुकानदार ने बताया कि एनसीईआरटी की किताबें केंद्र से आती हैं। अभी एनसीईआरटी की कुछ कक्षाओं की किताबें नहीं आई हैं। इस कारण उपलब्ध नहीं हैं। अप्रैल में आने की संभावना है। इसी तरह शहर की अधिकतर किताब दुकान जिनका स्कूलों के साथ कोई संपर्क नही है वो किताब रखते ही नहीं हंै।

पेरेंट्स लगा रहे दौड़

एनसीईआरटी की तमाम विषयों की किताबें बाजार से गायब हो गई हैं। जिन स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें चल रही हैं, उनके विद्यार्थी और परिजन किताबों के लिए शहर भर की दौड़ लगा रहे हैं। वहीं, जो पेरेंट्स स्कूल द्वारा दी हुई दुकान के पास पहुंच रहे हैं, उनको तुरंत सभी किताबें मिल जा रही हैं।

पुरानी किताबों से काम

बाजार में एनसीईआरटी की कई विषयों की किताबें नहीं मिलने से छात्र-छात्राएं पुरानी किताबों से ही काम चलाने को विवश हैं। सीबीएसई और झारखंड बोर्ड से संबद्ध तमाम स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें चलती हैं। किताबें सस्ती होने से अधिकतर स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें चलन में हैं। ऐसे में किताबें नहीं होने और स्कूल खुलने से विद्यार्थियों को ही परेशानी झेलनी पड़ रही है।

क्यों आउट ऑफ स्टॉक हुईं एनसीईआरटी की किताबें

हर साल नया सत्र करीब आते ही एनसीईआरटी की किताबों की डिमांड बढ़ जाती है। पहले के ऑर्डर और मांग के आधार पर ही एनसीईआरटी किताबों को प्रिंट कराता है। लेकिन स्कूलों की ओर से सत्र शुरू होने से दो-तीन माह पहले स्थिति स्पष्ट नहीं करने से हर साल परेशानी झेलनी पड़ रही है। कई स्कूल प्राइवेट पब्लिसर्स से बातचीत के चलते ऑर्डर नहीं देते। बातचीत नहीं बनने पर मजबूरन एनसीईआरटी की किताबें चलानी पड़ती हैं।