रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची में ट्रैफिक जवानों की भारी कमी है। इस कारण सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में परेशानी हो रही है। राजधानी की आबादी करीब 12 लाख है, लेकिन इसे संभालने के लिए महज 332 ट्रैफिक पुलिस के कंधों पर ही पूरी जिम्मेवारी है। सिटी की अस्त-व्यस्त ट्रैफिक सिस्टम के पीछे, जवानों का न होना भी एक बड़ा कारण है। कुछ-कुछ स्थानों पर सिर्फ दो या तीन ट्रैफिक जवानों से ही व्यवस्था संभाली जा रही है। इस कारण ट्रैफिक संभालने में परेशानी भी होती है, जिसे देखते हुए गृह विभाग की ओर से राजधानी रांची में दो सौ जवान बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय को संख्या बल बढ़ाने का प्रस्ताव भी बनाकर भेज दिया गया है। इसमें दो सौ पुलिस कर्मियों की अलग से प्रतिनियुक्ति कराने का आग्रह किया गया है। प्रस्ताव में होमगार्ड और आरक्षी को प्रतिनियुक्त करने की मांग की गई है।
जगह-जगह लग रहा जाम
पर्याप्त संख्या में ट्रैफिक पुलिस नहीं होने से शहर में लोगों को आए दिन जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। शहर में जहां-तहां जाम की समस्या उत्पन्न होती रहती है। लेकिन इसे संभालने वाला कोई मौजूद नहीं होता है। राजधानी रांची की हालत आज के समय में ऐसी हो गई है कि यहां कदम-कदम पर जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। शहर के मुख्य स्थानों पर पुलिस की मौजूदगी होती है। लेकिन अन्य स्थानों पर किसी पुलिस का नामोनिशान नहीं होता। ट्रैफिक पुलिस का भी यही कहना है कि जवानों की कमी के कारण व्यवस्था संभालने में काफी दिक्कत होती है। आठ-आठ घंटे की शिफ्ट करनी पड़ती है। इसके बाद ड्यूटी से लौटने पर ठीक से नींद भी पूरी नहीं होती, सुबह फिर से ड्यूटी आना पड़ता है। यदि जवानों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाती है तो अन्य जवानों को भी काफी राहत मिलेगी।
1500 जवानों की दरकार
राजधानी रांची के पॉपुलेशन को देखते हुए यहां करीब 1500 यातायात पुलिस कर्मियों की जरूरत है। लेकिन सिर्फ 332 जवानों से काम लिया जा रहा है। हालांकि राजधानी रांची में ट्रैफिक पुलिस के 750 पद स्वीकृत हैं। लेकिन स्वीकृत पद भी देने में विभाग विफल साबित हो रहा है। सिर्फ मैनपॉवर ही नहीं, बल्कि ट्रैफिक विभाग संसाधन विहीन भी है। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को विषम परिस्थितियों के साथ-साथ सीमित संसाधनों में भी काम करना पड़ रहा है। संख्या की कमी से पहले ही ट्रैफिक विभाग जूझ रहा है। ऐसे में संसाधन की कमी बड़ी परेशानी खड़ी कर रही है।
10-12 घंटे जवानों की ड्यूटी
ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे पुलिस कर्मियों को 10 से 12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ रही है। पुलिस कर्मियों की संख्या कम होने के कारण उन्हें छुट्टी भी नहीं मिल पाती है। यहां तक की वीकली ऑफ भी अबतक लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा जिस स्थान पर जवानों की तैनाती है उसकी भी हालत जर्जर है। तिरपाल, टेंट, बोरा, प्लास्टिक, फ्लैक्स आदि की मदद से जुगाड़ टेक्नोलॉजी के जरिए जवानों ने अपने लिए शेड बना रखा है। आराम करना हो या लंच करना हो इसी टेंट के नीचे बैठकर पुलिसकर्मी खाना खाते हैं। ट्रैफिक पोस्ट को दुरुस्त करने का भी निर्णय लिया गया था। लेकिन फिलहाल यह भी ठंडे बस्ते में है।
दो दशक में सिर्फ वाहन बढ़े, सड़कें नहीं बनीं
बीते 22 सालों में राजधानी रांची में न तो नई सड़कें बनी हैं और न ही सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है। लेकिन साल दर साल यहां गाडिय़ों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। रोजाना सड़कों पर गाडिय़ों की संख्या बढ़ रही है। औसतन हर साल रांची में एक लाख से ज्यादा वाहन बढ़ रहे हैं। इससे ट्रैफिक पर लगातार लोड बढ़ रहा है। फिर भी बुनियादी सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। स्थिति यह है कि शहर के लोग रोजाना जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। आठ से दस किमी की दूरी तय करने में 15 से 20 मिनट सिर्फ जाम से निपटने में लग जाता है। यदि ट्रैफिक पुलिस की तैनाती हर स्थान पर हो जाए तो लोगों को जाम से निजात दिलाने में मदद मिलेगी।सड़क हादसे और जाम की समस्या को देखते हुए पुलिस जवानों की संख्या में बढ़ोतरी करने का आग्रह किया गया है। इससे काफी हद तक व्यवस्था में सुधार हो पाएगा।
-हारिश बिनजमा, ट्रैफिक एसपी, रांची