रांची (ब्यूरो) । सोमवार को विमेंस कॉलेज के मैत्रेयी सभागार में रांची विमेंस कॉलेज की प्राचार्या डॉ सुप्रिया के निर्देशन में आईक्यूएसी द्वारा शिक्षा विभाग के सहयोग से नई शिक्षा नीति-2020 पर एक आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें वक्ता के तौर पर डॉ। राज कुमार शर्मा, पूर्व डीएसडब्ल्यू, रांची विश्वविद्यालय सह प्राचार्य, डोरंडा कॉलेज, रांची मौजूद रहे। उन्होंने बताया की नई शिक्षा नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू की गई है। आज की व्यवस्था में छह सेमेस्टर पढऩे के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में सहुलियत मिल जाएगी। यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है। 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है और शोध में नहीं जाना है।

ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स

वहीं शोध में जाने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में एमए कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति के मुताबिक पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया गया है। एमफिल को खत्म किया गया है और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल के बाद पढ़ाई छोडऩे का विकल्प है।

उन्होंने कहा कि विश्व का प्रथम नॉलेज सोसयटी भारत था.सबसे पुराने विश्वविद्यालय भारत में थे। अभी आवश्यकता है ज्ञान पुनर्जागरण की। भारतीय ज्ञान परम्परा को समझने के लिए उन्होने छात्राओं को उत्साहित किया। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी नॉलेज मैनेजमेंट एंड मार्केटिंग की है। भारतीय ज्ञान परंपरा के तीन घटक हैं-

दर्शन, विद्या तथा ज्ञान।

पैकेज करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि दर्शन को समझना, विद्या अर्जित करना और ज्ञान को प्राप्त करना होता है। भारतीय ज्ञान दादी-नानी के नुस्खों में है। नुस्खों को पैकेज करने की जरूरत है। उन्होंने &सत्यम वद धर्म चर&य को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा में चरक तथा सुश्रूत संहिता, आर्किटेक्चर,सिन्धु घाटी, मोहनजोदड़ो सभ्यता, मैक्समूलर की महत्ता की चर्चा की और कहा कि इन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में रांची विमेंस कॉलेज की सभी शिक्षिकाएं तथा बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।