रांची (ब्यूरो) । कोनका मौजा सरना समिति, रांची के तत्वावधान में कोनका मौजा सरना स्थल में वार्षिक सरना झंडा बदली का कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर मौजा के बारह गांवों से शामिल हुए डोम टोली,बसर टोली, चुनवा टोली,टमटम टोली,गढा टोली, नया टोली के लोग शामिल हुए, जो कि मौजा के पाहन घाघु किस्पोट्टा और परनो किस्पोट्टा की अगुआई में रिति रिवाज के साथ हुआ। सरना झंडे को डोम टोली, कर्बला चौक से पुरुलिया रोड, कोनका मौजा स्थल तक पैदल मार्च करते हुए सरना स्थल लाया गया।

सिर पर कलश रख कर

सिर पर कलश नितू तिर्की, स्नेह टोप्पो, सपना खलखो, शशि खलखो, अर्चना टोप्पो जोवना तिर्की ने अपने सिर पर कलश रख पैदल मार्च कर सरना स्थल में स्थापित किया, फिर झंडे को पुरे रिति रिवाज, पूजा अर्चना और ढोल मांदर की थाप के साथ स्थापित की गई। मौजा के पाहन ने कहा कि सदियों से हमारे पुरखों के द्वारा हर साल सरना स्थल कि झंडा बदली का कार्यक्रम होता रहा है। उन्होंने कहा कि पांच कलश को सरना स्थल पर स्थापित किया जाएगा और नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाएगी। हम धर्मेश मां और चाला आयो से प्रार्थना करते हैं कि मौजा के साथ ही राज्य कि विकास और खुशहाली हमेशा बनी रह.े कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी भी उपस्थित हुईं और सरना स्थल में जल डालकर धर्मेश चाला आयो से प्रार्थना कि सभी को संबोधित किया।

आदिवासियों की पहचान

कोनका मौजा सरना समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुजुर और सचिव अनिल किस्पोट्टा ने कहा कि राज्य सरकार जल्द से जल्द सरना धर्म कोड लागू करें जिससे सरना आदिवासियों की पहचान और हक़ मिल पाएगी। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के रांची महानगर अध्यक्ष पवन तिर्की ने कहा कि आदिवासियों का अस्तित्व खतरें में है। केन्द्र सरकार अभी तक न ही धर्म कोड दे रही है न ही राज्य सरकार झारखंडी को परिभाषित कर रही है। राज्य सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करे अन्यथा आदिवासी चुपचाप नहीं रहेगा। कार्यक्रम में मौजा के पाहन घाघु किस्पोट्टा और परनो किस्पोट्टा, कोली टोप्पो, अनिल किस्पोट्टा, प्रदीप कुजुर, पवन तिर्की, आकाश तिर्की, राकेश तिर्की इत्यादि लोग उपस्थित थे।