रांची(ब्यूरो)। कांके रिंग रोड हादसे की सड़क के रूप में जाना जाने लगा है। अक्सर इस स्थान पर कोई न कोई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहा है। लोग अपनी जान गवां रहे हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह वाहन चालक की लापरवाही के साथ-साथ सिस्टम की भी लापरवाही है। कांके रिंग रोड लॉ यूनिवर्सिटी से दलादली चौक तक सड़क बिल्कुल चकाचक है, लेकिन इसका चकाचक होना ही एक्सीडेंट की वजह बन रहा है।

7 माह 237 मौत

रोड सेफ्टी कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी से मई महीने में 332 रोड एक्सीडेंट हुए, जिसमें 237 लोगों की मौत हो गई। वहीं बीते साल 768 दुर्घटनाएं हुई थीं। इसमें 521 लोगों ने जान गंवाई थी। सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं कांके रिंग रोड में हुईं। यहां 150 से अधिक लोगों की जान हादसे में चली गई है। इसके बाद भी कांके रिंग रोड पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह सड़क पूरी तरह खुली हुई है, जिससे वाहन की स्पीड काफी ज्यादा रहती है। कट पर रंबल स्ट्रिप या बैरिकेडिंग नहीं दिया गया है। पुलिस द्वारा कोई चेकिंग अभियान नहीं चलाया जाता है।

सिर्फ चालान कटे, सिस्टम वही

ट्रैफिक नियमों के उल्लघंन में रांची ट्रैफिक पुलिस ने बीते साल 15 करोड़ का चालान किया था। लेकिन इसके बाद भी सिटी के लोगों को सुधारने में पुलिस असफल रही। पुलिस सिर्फ चालान काट कर अपनी झोली भरने तक ही ध्यान केंद्रित रखती है। लोगों को ट्रैफिक रूल के प्रति अवेयर करने की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया जाता है। यदि बात करें बीत 17 महीने की राजधानी के अलग-अलग इलाकों में लगभग 1100 रोड एक्सीडेंट हुए हैं। इनमें 758 लोग असमय काल के गाल में समा चुके हैं। लेकिन आंकड़ों को देख कर भी न तो रोड डिपार्टमेंट, न ट्रैफिक विभाग और न ही आम पब्लिक गंभीरता बरत रही है। हर कोई अपने-अपने स्तर से लापरवाही कर रहा है, जिसका खामियाजा लोगों को अपनी जान गंवा कर भुगतना पड़ रहा है।

रिंग रोड पर ज्यादा हादसे

रोड सेफ्टी कमिटी के अनुसार, केवल रांची रिंग रोड पर ही पांच महीने के भीतर 118 लोगों की मौत हुई है। जिन लोगों की मौत रिंग रोड पर हुई है उनमें अधिकतर की उम्र 18 से लेकर 30 साल के बीच की थी। ज्यादातर बेहद तेज गति से गाड़ी चलाते हुए हादसे के शिकार हुए हैं। रांची के रोड सेफ्टी मैनेजर मो जमील के अनुसार सबसे अधिक सड़क हादसे बेहतरीन सड़कों पर हुए हैं, जिनमें रांची का रिंग रोड और रांची-टाटा रोड शामिल है। हाल के दिनों में इन सड़कों को बेहतर किया गया है, जिसके बाद इन सड़कों पर वाहनों की रफ्तार काफी तेज हो गई है।

स्पीड व हेलमेट नहीं, मौत की वजह

खासकर युवा हाई स्पीड बाइक चलाते हैं। ऐसी बाइक 200 सीसी इंजन से शुरू होती है। हाई स्पीड इंजन वाली बाइक को चलाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल इसे आपात स्थिति में संभालना भी होता है। बाइक में लगे ट्विन डिस्क ब्रेक के कारण अक्सर युवा दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। दूसरा कारण यह है कि आज के युवा किसी भी कीमत पर हेलमेट नहीं पहनना चाहते हैं। जितने भी सड़क हादसों में युवाओं की जान गई है, उनमें से अधिकतर ने हेलमेट नहीं पहना था। इसके अलावा रैश ड्राइविंग, ईयर बर्ड पहनना भी एक्सीडेंट का कारण है।

पांच महीने में सड़क हादसे व मौत

महीने हादसे मौत

जनवरी 76 57

फरवरी 60 45

मार्च 58 48

अप्रैल 73 48

मई 55 46

स्पीड लिमिट, सीट बेल्ट और हेलमेट पहन कर सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस को निर्देश जारी किए गए हैं। रांची के रिंग रोड में हादसों की संख्या बढ़ी है। ऐसे में एक टीम को बड़े पैमाने पर रिंग रोड पर भी अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।

-कैलाश करमाली, ट्रैफिक एसपी, रांची