रांची (ब्यूरो) । स्थानीय जिला स्कूल मैदान में समय इंडिया, नई दिल्ली की ओर से जारी 10 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला में किताबों से होगी मुलाकात सिर्फ दो दिन और रविवार पुस्तक मेले का आखिरी दिन होगा, जो पुस्तक प्रेमी अभी तक पुस्तक मेले में नहीं जा पाएं हैं उनसे अनुरोध है कि समय निकाल कर मेला परिसर में अवश्य पहुंच जाएं जहां किताबों की दुनिया आपकी प्रतीक्षा में सजी है। अन्तिम दो दिनों का ख्याल रखकर प्रकाशकों एवं पुस्तक विक्रेताओं ने जहां अपने अपने स्टॉल्स पर किताबों को नए सिरे से व्यवस्थित किया है। वहीं कुछ अधिक छूट देकर किताबें पाठकों को सौंपने का मन बना लिया है। इस छूट का लाभ पुस्तक प्रेमियों को उठाना चाहिए। पुस्तक प्रेमियों के लिए मेला परिसर में प्रवेश की समयावधि 11 बजे से रात्रि 7.30 बजे तक की है।

फैंसी ड्रेस कॉम्पटीशन आज

पुस्तक मेला में शनिवार को सायं 3 बजे बच्चों की फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता सभागार मंच पर आयोजित है। इस प्रतियोगिता में विभिन्न आयुवर्ग के बच्चे विविध परिधानों में सजकर प्रदर्शन कर सकेंगे। बच्चों के लिए प्रतियोगिता निशुल्क है। इसी कड़ी में सायं 4 बजे झारखंड के जनजातीय साहित्य विषय पर परिचर्चा आयोजित है। इस चर्चा में स्थानीय वक्ता अपने विचार रखेंगे।

स्टॉलों पर बिक्री

क्लासिक, बाल साहित्य, व्यक्तित्व विकास और प्रतियोगी पुस्तकों की बिक्री पुस्तक मेले में विभिन्न स्टॉलों पर बिक्री के लिए सजी पुस्तकों में सबसे 'यादा रुचि बाल साहित्य में लोगों की दिखी। इसके पीछे कारण बच्चों पर केन्द्रित कार्यक्रमों का सिलसिला रहा। कार्यक्रम के बहाने उनके माता-पिता किताबों के करीब आए और बच्चों की जिद ने उन्हें किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया। इस तरह किताबों का आने वाली पीढ़ी के हाथों में जाना पठन संस्कृति के विस्तार के रूप में देखा जा सकता है। वरिष्ठ पीढ़ी की रुचि अभी भी क्लासिक लिटरेचर खासकर प्रेमचन्द, शरत् चन्द, बंकिम, गांधी, लोहिया, दिनकर, शिवाजी सावंत, कबीर, सूरदास, तुलसी, रहीम, रसखान, जायसी के साहित्य में दिखी। यह पीढ़ी आज भी इन रचनाकारों की कालजयी कृतियों को पढ़ना और अपने पास संजोकर रखना चाहती है। बाद के लेखकों में धर्मवीर भारती, बच्चन, निराला, विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, मुल्कराज आनन्द, कलाम, को पढ़ना चाहती है। इस पीढ़ी की शब्दकोशों और भाषा संबंधी पुस्तकों में भी रुचि है। भारतीय परम्परा, इतिहास, संस्कृति, दर्शन, एवं तकनीकी शब्दावली पर केन्द्रित पुस्तकें भी उनके पठन-पाठन का हिस्सा हैं। मेले में ऐसी पुस्तकें अच्छी खासी बिकीं। युवा पीढ़ी का दौर चुनौतियों का है इसलिए व्यक्तित्व विकास और प्रतियोगिता संबंधी पुस्तकों की मांग इनके बीच रही।