रांची(ब्यूरो)। साइबर अपराधी अब तक रोजगार के नाम पर ठगी करते रहे हैं, लेकिन अब यही लोग अपने ही गैंग में रोजगार देने लगे हैं। जी हां, बेरोजगार युवाओं को हायर कर उनसे साइबर फ्रॉड करवाया जा रहा है। बदले में उन्हें एक निश्चित सैलरी भी दी जा रही है। साथ ही रहने और खाने-पीने की तमाम सुविधाएं साइबर फ्रॉड के सरगना उपलब्ध करा रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा हाल ही में पुलिस की गिरफ्त में आए साइबर अपराधियों ने किया है। सदर थाना प्रभारी रमाकांत ने बताया कि कुछ महीने पहले इन युवाओं की मुलाकात बंटी नामक शख्स से हुई। उसने लोगों को फोन करने के रोजगार के बारे में बताया, इसके लिए वेतन भी देने की बात कही गई। फिर दो से तीन दिन ट्रेनिंग दी गई। कैसे लोगों को जाल में फंसाकर उनके पैसे उड़ाने हैं, इसकी जानकारी दी गई और फिर काम पर लगा दिया गया।
8-10 हजार सैलरी
गिरोह के सरगना बेरोजगार युवकों को आठ से दस हजार रुपए की सैलेरी भी दे रहे हैं। इन्हीं युवाओं के जरिए फर्जी आधार और पैन कार्ड की मदद से बैंक खाते खुलवाए जाते हैं, जहां ठगी के पैसे जमा किए जाते हैं। युवाओं का पासबुक और एटीएम कार्ड भी सरगना अपने पास रख लेता है। सिर्फ इन युवाओं से ठगी ही नहीं कराई जा रही, बल्कि इनसे बैंक अकाउंट भी खुलवाए जा रहे हैं। इसके लिए भी साइबर अपराधी एक निश्चित राशि अकाउंट होल्डर को देते हैं। युवाओं से अलग-अलग शिफ्ट में काम कराया जा रहा है। वहीं हाल के दिनों में किराये पर बैंक अकाउंट लेने का रिवाज भी बढ़ गया है। इसके लिए भी बेरोजगार युवाओं को ही ढाल बनाया जा रहा है। उनके अकाउंट किराये पर लेकर उसमें ठगी का पैसा मंगाया जाता है। पुलिस अकाउंट होल्डर तक तो पहुंच जाती है, लेकिन सरगना गिरफ्त से बाहर ही रह जाते हैं।
किराये के रूम में धंधा
वैसे तो अपराध के ज्यादा वारदात किराये के रूम लेकर और अवैध हथियार से ही किए जाते हैं। साइबर फ्राड भी अब किराये पर ही मकान लेकर इस तरह के इल्लीगल काम कर रहे हैं। राजधानी रांची में आसानी से अपराधियों को किराये पर मकान मिल जाता है। लैंड लॉर्ड भी बिना कुछ जांचे-परखे रूम उपलब्ध करा देते हैं। पुलिस के पास रिकार्ड उपलब्ध कराना तो बहुत दूर की बात है। किराये पर मकान लेकर कुछ युवाओं को यहां ठहरा दिया जाता है। सदर थाना द्वारा गिरफ्तार किए गए साइबर अपराधी बांधगाड़ी में किराये के मकान में रहा करते थे। यहीं से ठगी का कारोबार चल रहा था। युवक कोई इंजीनियर तो कोई स्टूडेंट बनकर रूम में रहते हैं, लेकिन कमरेे में ये लोग ऑफिस का सेट अप तैयार कर लेते हैं।
अपराध के दलदल में फंस रहे युवा
राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में युवाओं को साइबर अपराध से जोडऩे का स्कैम चल रहा है। बेरोजगार युवाओं को सुनहरे सपने दिखा कर उन्हें ठगी में शामिल किया जा रहा है और ठगी कराई जा रही है। इस साल दो महीने में पुलिस 15 साइबर अपराधियों को पकड़ी है। सभी युवक बेरोजगार थे, और उनकी उम्र 16 से 25 साल के बीच थी। पकड़े गए कुछ युवाओं ने बताया कि शार्टकट में अच्छी कमाई हो जाती थी। एक दो बार मोटी राशि हाथ लगी, इसके बाद इसका चस्का लग गया।
रांची में बढ़ा साइबर क्राइम
राजधानी रांची में साइबर अपराध के आंकड़े डराने वाले हैं। बीते साल के डेटा को देखें तो साइबर अपराध के मामले में रांची पूरे राज्य में सबसे ऊपर रही है। सिटी के अलग-अलग थानों में बीते साल साइबर ठगी के करीब 1450 केस दर्ज हुए हैं। प्रत्येक साल इसमें बढोतरी होती जा रही है। हालांकि अब पुलिस भी रेस हुई है। साइबर अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को न सिर्फ ट्रेंड किया जा रहा है बल्कि संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। प्रतिबिंब ऐप इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस ऐप के जरिए अब तक पांच सौ से भी अधिक अपराधियों को पुलिस पकडऩे में सफल रही है।साइबर अपराधियों को पकडऩे में पुलिस कामयाब रही है। अपराधियों का पर्दाफाश किया जा रहा है। युवा शार्टकट तरीके से पैसा कमाने के लालच में इस दलदल में फंस रहे हैं। युवाओं को इससे बचना चाहिए।
-अनुराग गुप्ता, डीजी सीआईडी