RANCHI : गिरिडीह के बगोदर स्थित तिरला गांव के एक छोटे से घर में हर रोज मातम का माहौल रहता है.बच्चे इस इंतजार में दिन काट रहे हैं कि वे अपने पापा को आखिरी बार देख लें। शाम ढलते ही सिसकियों की आवाज पूरे गांव को भेद देती है। यह घर है नुनुचंद महतो का, जिनकी मौत 26 जुलाई 2016 को सऊदी अरब में हो चुकी है। नुनुचंद की लाश आज भी सऊदी अरब के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दा घर में पड़ी है। शव की वापसी को लेकर कई स्तर से प्रयास हुए, लेकिन छह महीने बाद भी लाश वापस नहीं भेजी गई है।
संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी मौत
नुनुचंद महतो (40 वर्ष) दो साल पहले सऊदी अरब गए थे। एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते हुए पिछले साल 26 जुलाई को उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई। कंपनी ने बताया कि उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। मौत के पांच दिनों के बाद घर पर खबर भेज कर कंपनी ने अपना पल्ला झाड़ लिया। परिजन चाहते हैं कि उनका शव वापस भेजा जाए। इसे लेकर उन्होंने हर स्तर पर प्रयास किया, लेकिन अब तक सारी कोशिशें विफल ही साबित हुई हैं।
कौन देगा पांच लाख का खर्च
दरअसल, खाड़ी के देशों से शव भेजने में लगभग पांच लाख रुपए का खर्च आता है। नुनुचंद की पत्नी चिंता देवी के पास इतने पैसे नहीं कि वह खुद से अपने पति का शव मंगवा सके। उनके तीनच्बच्चे हैं। दो बेटियां और एक बेटे की पढ़ाई सरकारी स्कूल में ही चल रही है। कंपनी पर शव भेजने का दबाव कई स्तर से डाला गया। अंत में कंपनी शव भेजने का खर्च वहन करने को राजी तो हुई, लेकिन जटिल कागजी कार्रवाई के कारण आज तक मामला फंसा हुआ है।
विधानसभा में भी उठा मामला
झारखंड विधानसभा में कुछ दिनों पहले ही राजधनवार से भाकपा माले विधायक राजकुमार यादव ने इस मामले को उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि विदेश मंत्रालय से संपर्क कर जल्द से जल्द शव वापस मंगाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। दूसरी ओर, बगोदर से भाकपा माले के पूर्व विधायक विनोद कुमार भी लगातार इस कोशिश में जुटे हैं कि किसी प्रकार नुनुचंद की लाश वापस मंगा ली जाए। इस बाबत उन्होंने राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा से बातचीत भी की है। हालांकि, सरकार के स्तर से इस मामले में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है।
खाड़ी में काम कर रहे मजदूरों ने किया सहयोग
नुनुचंद की मौत के बाद सऊदी अरब में काम करने रहे मजदूरों ने सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया है। सऊदी अरब के जुबैल व सफानियां शहर में काम कर रहे मजदूरों ने उनके परिवार की आर्थिक मदद की है। जुबैल के मजदूरों ने 650 रियाल व सफानियां के मजदूरों ने 1200 रियाल चंदा इकट्ठा किये। कुल 1850 रियाल (3 लाख 35 हजार रुपए) नुनुचंद की पत्नी के एकाउंट में भेजे जा चुके हैं।
कुवैत में फांसी पर झूल गया था कृष्णा
बगोदर थाना क्षेत्र के पोखरिया निवासी गुलाबचंद महतो के पुत्र कृष्णा महतो का शव पिछले 22 जनवरी को बगोदर पहुंचा था। वह 25 अक्टूबर 2016 से कुवैत मे जिंदगी और मौत से जुझ रहा था। जानकारी के अनुसार कंपनी के दबाव में उसने काम के दौरान ही फांसी का फंदे पर झूल गया था। उसके साथियों ने जब उसे उस हाल मे देखा, तो किसी तरह से फंदे से उतार कर उसे एक अस्पताल मे भर्ती कर दिया। जहां वह कोमा में पड़ा हुआ था। कुछ दिनों बाद उसका गले का ऑपरेशन भी किया गया था और धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हो रही थी। लेकिन 12 जनवरी को उसकी मौत हो गई थी। दस दिनों के बाद उसका शव बगोदर लाया जा सका था।