रांची(ब्यूरो)। झारखंड की जेलों की सुरक्षा पर अक्सर सवाल खड़े होते रहे हैं। सबसे ज्यादा जेल कैंपस से मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जेल की बदनामी होती रही है। राजधानी रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से भी आए दिन कैदियों द्वारा लोगों को डराने-धमकाने, रंगदारी मांगने की खबरें सामने आती रहती हैं। इसके लिए गैंगस्टर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल ऐसे ही नहीं होता है, इसके लिए गैंगस्टर को राशि चुकानी पड़ती है। दरअसल मोबाइल फोन का इस्तेमाल करवाने में जेल के ही कर्मचारी शामिल होते हैं, जो इसके बदले अच्छा खासा कमिशन लेते हैं। यह सिर्फ कर्मचारी तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि ऊपर बैठे अधिकारियों तक भी कमिशन का परसेंटेज पहुंचता है। यही सबसे बड़ा कारण है जेल के जैमर का आज तक अपडेट नहीं होने के पीछे। नजराने की चाहत ही इसमें अडंग़ा डाल रही है। इसी चाहत ने 2जी जैमर को 5जी में बदलने से भी रोक रखा है।
मोबाइल का धड़ल्ले से इस्तेमाल
राजधानी रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा कारागार में कई कैदी बंद हैं। संगीन अपराध के जुर्म में इन कैदियों को जेल में सुधार के उद्देश्य से भेजा जाता है। लेकिन बीते कुछ समय से ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें ये स्पष्ट है कि इस जेल में कैदियों का ही राज चलता है। हाल ही में जेल के अंदर से एक अखबार के संपादक को भी धमकी भरा कॉल जा चुका है, जो इस बात का सबूत है कि जेल से मोबाइल फोन का इस्तेमाल गैंगस्टर बेरोक टोक करते हैं। बदले में जेल के कर्मियों को कमीशन देते हैं। जेल में बंद आरोपी फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। जेल से केस मैनेज से लेकर धमकी भरे कॉल किए जा रहे हैं। जेल से ही पूरे सिंडिकेट का संचालन किया जा रहा है, फिर भी मोबाइल कंट्रोल जैसा कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।
सिर्फ नाम का जैमर
जेल में कोई भी कैदी मोबाइल का इस्तेमाल ना कर पाए, इसे लेकर जैमर लगाए गए हैं। लेकिन जहां सारी दुनिया तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, वहीं रांची जेल इस मामले में अभी तक काफी पीछे है। आज लोगों के हाथ में 5जी मोबाइल आ चुका है। लेकिन होटवार में आज भी 2जी नेटवर्क जैमर लगा हुआ है। कैदी के पास 4जी और 5जी मोबाइल मौजूद हैं। जेलकर्मी और सिक्योरिटी वालों की मिलीभगत के कारण ये मोबाइल कैदियों तक पहुंच जाता है और जैमर के अभाव में वो आसानी से कॉल लगा लेते हैं। बात अगर जैमर की करें तो होटवार जेल में पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट पर जैमर लगाया गया है, जो आज के संदर्भ में यूजलेस हो चुका है और इसका फायदा जेल में बंद कुख्यात अपराधी उठा रहे हैं।
निगरानी के दावे खोखले
प्रशासनिक नजरिए से राजधानी रांची स्थित होटवार बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल को सबसे सुरक्षित बताया जाता है। लेकिन गैंगस्टर खुद के लिए और ज्यादा बेहतर स्थान मानते हैं। यहां कैदियों की पूरी निगरानी के दावे किए जाते हैं। लेकिन हर बार यहां ये दावे खोखले नजर आए हैं। जब-जब इस जेल में औचक निरीक्षण हुआ कुछ न कुछ खामियां पाई गईं। जेल परिसर में तमाम पाबंदी के बाद भी एक्टिव मोबाइल फोन निकल ही आता है। साल 2022 में कुछ दिनों पहले एटीएस यानी की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाायड ने भी यहां करीब 150 मोबाइल ऑपरेट होने का चौंकाने वाला खुलासा किया था। इसके बाद भी नेटवर्क जाम करने वाले निर्णय को आगे नहीं बढ़ाया गया। प्रस्ताव कैबिनेट और सदन में भी उठ चुका है। इसके बाद भी इसमें लापरवाही बरती जा रही है।
कुख्यात अपराधी हैं बंद
इस जेल में सिर्फ रांची ही नहीं, बल्कि धनबाद, हजारीबाग व दूसरे जिलों के भी कुख्यात अपराधी बंद हैं। लेकिन जेल में रहते हुए भी ये गैंगस्टर अपने गुर्गों से लगातार कांटैक्ट में रहते हैं। अमन साहू जैसा कुख्यात लगातार जेल से ही एक्टिव रहता है। उसके गुर्गे अमन के ही इशारे पर कारोबारियों से रंगदारी मांगने का काम करते हैं। अमन के अलावा बिरसा मुंडा जेल में कई हिस्ट्रीशीटर कुख्यात गैंगस्टर्स बंद हैं। इनके द्वारा मोबाइल ऑपरेट करने की सूचना कई बार मिली है। इस मामले में जेल प्रशासन पर लापरवाही और मिलीभगत होने का भी आरोप लगा है। जेल में बंद अपराधी अमन साहू, अमन सिंह, सुजीत सिन्हा, हरिकिशोर प्रसाद उर्फ किशोर, राजू सिंह समेत अन्य अपराधियों द्वारा मोबाइल का इस्तेमाल रंगदारी मांगने और अपने गिरोह के लोगों को निर्देश देने के लिए किया जाता रहा है।