रांची(ब्यूरो)। झारखंड के जितने भी पर्यटन स्थल है जहां लोग घूमने आते हैं उनको अब वहां होटल लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर्यटन विभाग द्वारा होम स्टे नियमावली तैयार की जा रही है। इसके तहत पर्यटकों को राज्य के अलग-अलग जगहों पर स्थानीय घरों में ठहरने और खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इससे पर्यटकों को प्रकृति की खूबसूरती के साथ-साथ झारखंड की स्थानीय संस्कृति, व्यंजन और परंपरा से भी अवगत कराया जा सकेगा। होम स्टे पर्यटन स्थलों के आसपास ऐसे लोगों को जोड़ा जाएगा जो पर्यटकों के ठहरने और खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध करा सकेंगे। इसके बदले स्थानीय लोगों को पर्यटकों से किराये के रूप में एक निश्चित धनराशि मिलेगी।
कई राज्यों में योजना सफल
होम स्टे योजना देश के कई राज्यों में सफल रही है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा समेत कई राज्यों में होम स्टे योजना का सफल संचालन किया जा रहा है। इसके तहत स्थानीय लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है, इसके लिए सरकार द्वारा उनको ट्रेनिंग भी दी गई है।
लोकल लोगों को रोजगार
पर्यटन विभाग की योजना है कि इस नियमावली से स्थानीय लोगों को रोजगार मिले। इस योजना में पंजीकृत लोग पर्यटकों की मेहमानवाजी के साथ पर्यटन स्थलों पर घूमने के लिए गाइड की भूमिका भी निभाएंगे। इसके लिए उनको ट्रेनिंग दी जाएगी। गाइड का काम करके वो पर्यटकों से पैसा भी कमा सकते हैं। होम स्टे मकान मालिक के साथ-साथ केयरटेकर, बावर्ची, सफ ाई कर्मी और सिक्योरिटी के क्षेत्र में भी लोगों को रोजगार मिलेगा।
स्थानीय लोगों से मांगे आवेदन
पर्यटन विभाग द्वारा जो नियमावली तैयार की जा रही है, उसके मुताबिक होम स्टेट के तहत अलग-अलग पर्यटन क्षेत्रों में इच्छुक स्थानीय लोगों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। आवेदन करने वालों के व्यवहार, शिक्षा, सुरक्षा को परखने के बाद उनको होम स्टे के लिए पर्यटन विभाग द्वारा रजिस्टर्ड किया जाएगा। इसके बाद घरों को देसी और विदेशी पर्यटकों के रहने के लिए तैयार किया जाएगा। इसके लिए जमीन मालिकों को रियायती दर पर लोन भी उपलब्ध कराया जाएगा। विभाग द्वारा स्थानीय लोगों को पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा से संबंधित ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
नेतरहाट का सिरसी गांव सेलेक्ट
पहाड़ों पर बसे नेतरहाट में पर्यटक होम स्टे भी कर सकेंगे। आदिम जनजाति समुदाय के बीच रहकर ग्रामीण व्यंजनों का आनंद उठा सकेंगे। मनोरंजन की भी व्यवस्था रहेगी। ग्रामीणों की आमदनी बढ़ाने के लिए पर्यटन विभाग ने यह पहल की है। होम स्टे के लिए पर्यटकों को खपरैल मकान के एक कमरे का 800 से एक हजार और पक्के घर में रहने के लिए 1000-1500 रुपए किराया देना होगा.ग्रामीण पर्यटन परियोजना के तहत पहले चरण में नेतरहाट के सिरसी गांव का चयन किया गया है।
सर्वाधिक टूरिस्ट्स पहुंचते हैं नेतरहाट
नेतरहाट में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। नए साल में नेतरहाट आने वाले पर्यटकों को गांव में होम स्टे की सुविधा मिलेगी। साथ ही, आदिम जनजाति समाज के लोगों के बीच रहकर उनकी सभ्यता और संस्कृति को नजदीक से देख सकेंगे। घरों को पर्यटन विभाग की ओर से सजाया जा रहा है। सनसेट और सनराइज प्वाइंट की ओर जाने वाली सड़क के किनारे बने घर अब एक ही रंग में दिखेंगे।
सिरसी गांव में 74 घर
नेतरहाट के सिरसी गांव के सभी घरों को बनाया जा रहा आकर्षक। सिरसी गांव से सनसेट और सनराइज का खूबसूरत दृश्य दिखता है। इसी कारण यह जगह पर्यटकों को होम स्टे के लिए लुभाएगी। सिरसी में 74 घर हैं। पर्यटकों के लिए आरामदायक कमरों का निर्माण किया जा रहा है। मंगनोलिया सनसेट प्वाइंट जाने के रास्ते के सभी घरों को क्रीम और मैरून कलर से रंगा जा रहा है। बांस से घेरा जा रहा है। रास्ते ठीक किए जा रहे हैं। कोयल व्यू, मंगनोलिया सनसेट प्वाइंट, शैले हाउस, अपर घाघरी व लोवर घाघरी को विकसित किया जा रहा है।