रांची(ब्यूरो)। क्या आपने सड़क हादसे में घायल किसी व्यक्ति को गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाई है। यदि हां, तो आपकी तलाश सरकार को है। आइए और अपना गुड सेमेरिटन की पुरस्कृत राशि ले जाइए। जी हां, गोल्डन आवर में जख्मी व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाने वाले की तलाश रांची जिला परिवहन विभाग कर रहा है। ताकि उसे पुरस्कृत किया जा सके। दरअसल, इस नेक काम को करके सरकार की गुड सेमेरिटन (नेक आदमी) योजना का लाभ लेनेवाला अब तक कोई व्यक्ति सामने ही नहीं आया है। अब विभाग द्वारा उसे खोजा जा रहा है। जानकारों की मानें तो मददगार खुद भी आगे आ सकते हैं। लेकिन उनको या तो 'नेक आदमीÓ योजना की जानकारी नहीं है या फिर वे कानूनी पचड़े में पडऩे से घबराते हैं। बताते चलें कि झारखंड सरकार ने गोल्डन ऑवर में अस्पताल पहुंचाने वालों के लिए प्रोत्साहन राशि तय कर रखी है।

क्या है झारखंड गुड सेमेरिटन पॉलिसी

झारखंड गुड सेमेरिटन पॉलिसी 2020 के तहत सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर यानी घटना के एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाने पर पुरस्कृत किया जाता है। गुड सेमेरिटन को दो हजार रुपये पुरस्कार राशि दी जाती है। यदि दो गुड सेमेरिटन होंगे, तो उन दोनों को दो-दो हजार रुपये मिलेंगे। यदि दो से अधिक हैं, तो सरकार पांच हजार रुपये सभी के बीच समान रूप से बांटेगी। इसके साथ ही यदि गुड सेमेरिटन को पुलिस या अदालत द्वारा जांच के लिए बुलाया जाता है, तो प्रतिदिन एक हजार रुपये उसके बैंक खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे। पीडि़त को वाहन से अस्पताल ले जाने पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति का भी प्रावधान है।

जख्मी को 5-10 हजार तत्काल

परिवहन मंत्री ने कहा है कि सड़क दुर्घटनाओं में घायलों अथवा हताहतों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अलग से फंड का प्रबंध किया जाएगा। जिला स्तर पर अधिकारी स्वयं घायलों को यह राशि उपलब्ध करा दें और बाकी राशि नियमानुसार मिलती रहेगी। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए बनी योजना गुड सेमेरिटन के तहत राजधानी रांची में नया प्रयोग करते हुए इसके तहत लाभुकों को पांच से दस हजार रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी। जिलों में परिवहन विभाग के पास अलग से एक फंड होगा, जिसके माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की तत्काल मदद की जा सकेगी।

जिम्मेवारी नहीं निभा रहे अस्पताल

गुड सेमेरिटन की लिस्ट भेजने की जिम्मेदारी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की होती है। जब कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में अस्पताल पहुंचाता है, तो डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी घायल के इलाज पर अपना ध्यान केंद्रित कर देते हैं। अस्पताल पहुंचाने वाले का नाम और पता शायद ही नोट करता हो। यदि उनका नाम-पता नोट भी कर लिया, तो उसे प्रशासन के पास नहीं भेजते हैं। नतीजा, ऐसे लोगों को प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाती है।

500 से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल

रांची जिले में लगभग 500 से ज्यादा अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इनमें एसएनएमएमसीएच, सदर अस्पताल, 38 सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, सेंट्रल अस्पताल, रिम्स, टाटा के अलावा लगभग 500 प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम शामिल हैं। गोल्डन ऑवर में मरीज को अस्पताल पहुंचाने वाले का नाम दर्ज कर उसे जिला प्रशासन के पास भेजने का नियम है। लेकिन इन अस्पतालो द्वारा भेजा नहीं जाता है।

ऐसा नेक आदमी, जिसने सड़क हादसे में घायल की गोल्डन आवर में जान बचाई है, उसको चिन्हित करने का काम किया जा रहा है। जैसे ही उनको चिन्हित कर लिया जाएगा। परिवहन विभाग द्वारा जो नियम के अनुसार राशि तय की गई है, वह उन्हें दी जाएगी।

-अखिलेश कुमार, डीटीओ, रांची