RANCHI: रिम्स में वैसे तो मरीजों का इलाज लगभग फ्री होता है। वहीं जरूरी दवाएं भी हॉस्पिटल की ओर से उपलब्ध कराई जाती हैं। लेकिन कुछ ऐसी दवाएं और इंप्लांट हैं जो बाहर से खरीदना पड़ता है। इसके लिए परिजनों को काफी पैसे भी चुकाने पड़ते हैं पर अब मरीजों को सरकारी दर पर ही दवाएं और इक्विपमेंट्स उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका फायदा इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मिलेगा। इतना ही नहीं, लोगों की जेब पर बोझ भी नहीं पड़ेगा।
पीजीआई लखनऊ वाला सिस्टम रिम्स में
लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट की तर्ज पर रिम्स में भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है। एक ऐसा सिस्टम बनाया जा रहा है जिससे कि रिम्स में ही इलाज कराने वाले मरीजों को दवा व इक्विपमेंट्स रिम्स द्वारा निर्धारित दर पर ही उपलब्ध कराई जा सके। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। दो महीने के अंदर ही इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद मरीजों को दवा और इक्विपमेंट्स की मनमानी कीमत से छुटकारा मिल जाएगा।
डॉक्टर-दलालों के चंगुल से बचेंगे मरीज
आर्थो-न्यूरो में आने वाले मरीजों के परिजनों को बाहर से इंप्लांट और दवाएं लाने के लिए एक पैकेज बता दिया जाता है। इसके बाद परिजनों को एक निश्चित दवा दुकान में भेज दिया जाता है। उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जाती कि कौन सी दवा-इंप्लांट का कॉस्ट कितना है। ऐसे में परिजनों से दवा-इंप्लांट की ज्यादा कीमत भी वसूल ली जाती है। इसी पर रोक लगाने के लिए एसजीपीजीआइ, लखनऊ की तर्ज पर व्यवस्था शुरू की जा रही है। इसके बाद परिजनों को हर चीज की रेट पता होगी। इससे गड़बड़ी होने की संभावना भी खत्म हो जाएगी। वहीं डॉक्टर और दलालों के बीच मरीज नहीं पीसेंगे।
हॉस्पिटल में काफी चीजें बदल रही हैं। मरीजों को बेहतर सुविधा देने का हम प्रयास कर रहे हैं। जल्द ही काफी कुछ नया देखने को मिलेगा, जिससे कि मरीजों को फायदा होगा। टेंडर प्रॉसेस चल रहा है। कुछ दिन में दवा-इंप्लांट की सप्लाई होगी तो कम कीमत पर मरीजों को मिल जाएगी।
डॉ। डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स