रांची (ब्यूरो)। साइबर फ्राड तरह-तरह से लोगों को झांसे में ले रहे हैं। ठगी के अलावा अब पैसे डबल करने का सपना दिखाकर भी लोगों को फंसाया जा रहा है। फुटबॉल खिलाडिय़ों के नाम बेट लगाकर पैसे डबल करने का सपना दिखाकर राजधानी रांची समेत आस-पास के सैकड़ों लोगों से करोड़ो रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। एक चाइनीज ऐप के जरिए इस प्रकार के साईबर फ्रॉड को अंजाम दिया गया है। इस ऐप में एक महीने में पैसे डबल करने का लालच दिया गया। हर दिन करीब दो परसेंट का इजाफा भी दिखाया गया है। जब लोगों ने ऐप पर भरोसा कर अधिक रुपए इंवेस्ट कर दिए गए तो ऐप ऑपरेट करे रहे लोग बोरिया बिस्तर समेट कर भाग गए। दरअसल, इन दिनों चाईनीज ऐप द्वारा साईबर फ्रॉड साईबर सेल के लिए चुनौती बना हुआ। इस ऐप के चक्कर में फंसकर हजारों-लाखों रुपए गंवा चुके लोग पुलिस ऑफिस और सीआईडी के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, लोगों की शिकायतों के बाद सीआईडी ने इस संदर्भ में जांच शुरू कर दी है।
पैसा डबल करने का लालच
सीआईडी से मिली जानकारी के अनुसार, जीबी फुटबॉल नामक एक ऐप है जिसके माध्यम से पैसा डबल करने का लालच देकर ठगी की जा रही है। ऐप को मोबाइल फोन में इंस्टाल कर हर दिन फुटबाल मैच पर पैसा लगाया जाता है। हर दिन शाम में इंवेस्ट किए गए रुपए में कुछ पैसे की बढ़ोतरी हो जाती थी। लोगों ने पहले छोटे अमाउंट से इसे खेलना शुरू किया। जैसे-जैसे इस ऐप पर लोगों का भरोसा बढ़ता गया। लोगों नें इन्वेस्टमेंट भी बढ़ा दिए। लेकिन अचानक ऐप ने काम करना बंद कर दिया। पीडि़त व्यक्ति अब फरियाद लेकर थाने का चक्कर लगा रहे हैं।
जल्द डिलीट कर दें ऐप
सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि यदि किसी के भी मोबाइल में जीबी फुटबॉल ऐप इंस्टाल है तो इसे जल्द से जल्द डिलीट कर दें। वहीं यदि कोई भी व्यक्ति इस ऐप के जरिए ठगी का शिकार हो चुका है तो मामले की शिकायत जल्द दर्ज कराए, क्योंकि इसी ऐप के जरिए करोड़ों की ठगी की बात सामने आई है। हालांकि, ये ठगी न सिर्फ झारखंड के रांची बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी हुई है। लेकिन सीआईडी के वरीय अधिकारियों का कहना है कि इसका दायरा काफी बड़ा है और इसके शिकार देश के करीब-करीब हर हिस्से के लोग हो रहे हैं।
लोग बन रहे शिकार
इस मामले को लेकर सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया की मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही है। साथ ही सीआईडी की साईबर सेल भी जांच में जुटी हुई है। सीआईडी डीजी ने बताया कि जीबी फुटबाल की वेबसाइट बनी हुई है। इस वेबसाइट पर जाकर एपीके फाइल डाउनलोड किया जाता है। वहीं डीजी ने बताया कि ये एक स्पाई वेयर सॉफ्टवेयर है, जो आपके मोबाइल के डेटा को हैक भी करते रहता है। इस ऐप के जरिए लोगों को फुटबॉल प्लेयर पर बेट करने को लेकर प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन बेट लगाने से पहले पैसे देने होते हैं। जिसे लेकर सोशल मीडिया के व्हाट्सअप या टेलीग्राम पर यूपीआई आईडी दी जाती है, जिसके जरिए पैसे भेजने को कहा जाता है। शुरुआत में पैसे दोगुने और तीन गुने तक भी कर दिए जाते हैं। लेकिन जैसे ही च्यादा पैसों के लालच में लोग बड़ा अमाउंट लगाते हैं तो उसके साथ ही ठगी का धंधा शुरू हो जाता है।
25 यूपीआई आईडी मिली
डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि ऐसे मामलों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जा रही है। वहीं करीब 25 यूपीआई आईडी भी मिली है, जिसकी जांच की जा रही है। जिन यूपीआई आईडी का पैसा ट्रांसफर नहीं हो पाया था, उस रकम को फ्रीज कराया गया है। अबतक करीब ढाई लाख रुपए लोगों के ठगी होने से बचाए जा सके हैं। वहीं भारत सरकार की आई 4 सी से पूरे सॉफ्टवेयर को एनालाइज किया गया है, जिसमें इस ऐप के चाइनीज होने की पुष्टि हुई है। इसके जरिए ये ठगी और हैकिंग का कार्य किया जा रहा है। डीजी सीआईडी ने आम लोगों से अपील भी की है कि इस प्रकार के किसी भी झांसे में ना आएं। यदि जीबी फुटाबॉल इंस्टाल किसी ने किया है तो उसे फौरन अपने मोबाइल फोन से हटा दें। नहीं तो आप भी ठगी के शिकार हो सकते हैं। आपकामहत्वपूर्ण डेटा भी चोरी हो सकता है।
केस स्टडी
केस 1
मेरे एक परिचित ने इस ऐप के बारे में बताया। शुरू में मैंने 500 रुपए से रिचार्ज किया। एक महीने में ही यह 1500 रुपए हो गया। मैंने उसे निकाल लिया। फिर मैंने 5000 रुपए लगाए। इसका 20000 रुपए बन गया था। लेकिन और बढऩे के लालच में मैंने पैसे छोड़ दिए। अब कुछ नहीं बचा, यह ऐप ही फ्रॉड निकला।
-संदीप मिश्रा
केस 2
संदीप के कहने पर ही मैंने भी जीबी फुटबाल एप इंस्टॉल किया और 1000 रुपए से रिचार्ज किया। पैसे तो हर दिन कुछ न कुछ बढ़ रहे थे। अचानक पता चला कि वेबसाइट खुल ही नहीं रही। कई लोग है जिन्होंने दस से बीस हजार रुपए भी इसमें लगा रखे हैं। एक व्हाट्सअप ग्रुप था जिसमें लोग जुड़े हुए थे। ऐसे किसी भी झांसे में आगे से नहीं पड़ूंगा।
-कुंदन तिवारी
कोई भी व्यक्ति जो ठगी का शिकार हुआ है वो 1930 पर संपर्क कर या साईबर क्राइम डाट जीओवी डाट इन पर शिकायत कर सकता है। ऐसे किसी भी झांसे में न आएं। मोबाइल फोन में ऐसा कोई भी ऐप है तो फौरन हटा दें।
-अनुराग गुप्ता, डीजी, सीआईडी