RANCHI: ऑटोनोमी की आड़ में राजधानी के सरकुलर रोड स्थित वीमेंस कॉलेज में नया खेल शुरू हुआ है। कॉलेज में एडमिशन लेनेवाली छात्राओं के लिए कैंपस में ही कपड़ों की दुकान खोल दी गई है। कॉलेज की यूनिफार्म का कपड़ा यहीं से लेना अनिवार्य किए जाने से छात्राओं और उनके पेरेंट्स के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। पेरेंट्स का कहना है कि कॉलेज से ही कपड़ों की खरीदारी की नीति ठीक नहीं है। कॉलेज मैनेजमेंट ड्रेस कैसा होना चाहिए, यह बताए। पब्लिक स्कूलों की तरह दुकान खोलकर इसे बेचना अनिवार्य न करे। गुरुवार को जब इस कॉलेज के स्टूडेंट्स से बात की गई तो छात्रा पल्लवी कुमारी ने बताया कि कॉलेज से ही ड्रेस का कपड़ा लेना अनिवार्य किया गया है। इसकी स्लिप एडमिशन के दौरान दिखानी होती है।

सीढि़यों के बगल में सजी है दुकान

रांची वीमेंस कॉलेज के आ‌र्ट्स ब्लॉक की सीढि़यों के बगल में कपड़ों की यह दुकान सजी है। यहां कॉलेज यूनिफार्म के लिए कपड़ा बेच रहे कटपीस बाजार के कर्मचारी ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि यहां बीए, बीएससी और बीकॉम के स्टूडेंट से ड्रेस के सेट के लिए भ्भ्0 रुपए प्रति सेट लिए जा रहे हैं। इसके लिए कॉलेज मैनेजमेंट ने उन्हें अनुमति दी है। सवाल यह खड़ा होता है कि जिस वीमेंस कॉलेज में पेरेंट्स के लिए अपनी बच्चियों से मिलने का समय निर्धारित है, ऐसे में एक बाहरी व्यक्ति को कॉलेज कैंपस में कपड़ों की दुकान सजाने की इजाजत कैसे दे दी गई।

कंपलसरी है ड्रेस खरीदना

कॉलेज कैंपस में ड्रेस बेचे जाने के संबंध में प्रिंसिपल डॉ मंजू सिन्हा ने बताया कि वर्ष ख्0क्ख् से कॉलेज के ऑटोनोमस होने से कॉलेज की ड्रेस कैंपस से ही दी जा रही है। इसके लिए बाहरी एजेंसी को आउटसोर्स किया गया है। छात्राओं के हित में यह निर्णय लिया गया है और ड्रेस यहां से लेना कंपलसरी किया गया है। हालांकि जो पेरेंट्स बाहर से ड्रेस लेना चाहते हैं वह भी बाहर से इसे खरीद सकते हैं। इसमें मनाही नहीं है।

फैक्ट फाइल

- रांची वीमेंस कॉलेज की स्थापना वर्ष क्9ब्9 में की गई थी

-यह राजधानी के सबसे पुराने महिला कॉलेजों में एक है

- यहां इंटरमीडिएट, अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई होती है

- कॉलेज के दो कैंपस हैं, जिनमें एक आ‌र्ट्स और दूसरा साइंस ब्लॉक है

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किसे पहुंचाया जा रहा फायदा

रांची वीमेंस कॉलेज की वेबसाइट में अंडरग्रेजुएटस के स्टूडेंटस की स्ट्रेंथ 7,000 बताई गई है। इनमें से अगर फ्000 स्टूडेंटस ने भी कॉलेज परिसर से ड्रेस खरीदी तो कुल बिजनेस क्म्,भ्0,000 रुपए का हुआ। इस बिजनेस का फायदा किसे हो रहा है। अगर किसी को नहीं हो रहा तो इस पूरी कवायद का मकसद क्या है।

वर्जन-

कॉलेज के ऑटोनोमस होने के बाद छात्राओं की सुविधा के लिए कैंपस से ही ड्रेस खरीदना अनिवार्य किया गया है। हालांकि पेरेंट्स बाहर से भी इसे खरीद सकते हैं। इसका मकसद क्वालिटी मेंटेन रखना है।

-डॉ मंजू सिन्हा, प्रिंसिपल, रांची वीमेंस कॉलेज