रांची(ब्यूरो)। राष्ट्र की भौगोलिक व सांस्कृतिक एकीकरण के लिए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी आजीवन संघर्षरत रहे। ये बातें सरला बिरला यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर गोपाल पाठक ने कहीं। वह एसबीयू में डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 69वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। मौके पर यूनिवर्सिटी के तमाम टीचर्स, पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने डॉ मुखर्जी के छायाचित्र के समक्ष दीप जलाकर व पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
33 साल की उम्र में बने वीसी
वीसी प्रोफेसर गोपाल पाठक ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी, शिक्षा- दीक्षा, राष्ट्रीयता की भावना एवं उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ मुखर्जी जनसंघ के संस्थापक के साथ ही हिंदू महासभा के भी अध्यक्ष थे। योग्य सांसद, स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री एवं प्रख्यात शिक्षाविद् के साथ-साथ कुशल प्रशासक भी थे। 1939 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तत्कालीन वीसी डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन अगर ब्रिटेन पढ़ाने चले जाते तो डॉ मुखर्जी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार संभालते थे। महज 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बने डॉ मुखर्जी को कुलपति बनाने की मोहर काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने लगाई थी।
श्रद्धांजलि अर्पित की
कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ नीतू सिंघी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट के डीन हरिबाबू शुक्ला ने किया। मौके पर यूनिवर्सिटी के कुलसचिव प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, प्रो श्रीधर बी दंडिन, प्रवीण कुमार, डॉ सुबानी बाड़ा, डॉ राधा माधव झा, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ मनोज कुमार पांडेय, डॉ संदीप कुमार, प्रो अमित गुप्ता, डॉ रिया मुखर्जी, डॉ नित्या गर्ग, डॉ मेघा सिन्हा, प्रो करन प्रताप सिंह, प्रो आरोही आनंद, प्रो एलजी हनी सिंह, प्रो चंदन कुमार, डॉ भारद्वाज शुक्ल, सुभाष नारायण शाहदेव, चन्द्रशेखर महथा आदि उपस्थित थे।