रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची के अर्बन इलाके में लाखों घरों में सप्लाई का पानी इस्तेमाल होता है। करीब एक लाख लोगों ने तो लीगल तरीके से पानी का कनेक्शन ले रखा है। वहीं इतनी ही संख्या अवैध रूप से सप्लाई पानी का इस्तेमाल करने वालों की भी है। इनमें से बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो सप्लाई पानी को ही पीने के लिए भी उपयोग करते हैं। लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं कि जिस पानी को पीने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। उसके फिल्टरेशन प्लांट की हालत क्या है। सिटी में तीन प्रमुख वाटर फिल्टर प्लांट हैं। एक रुक्का, दूसरा धुर्वा और तीसरा कांके में स्थित है। लेकिन इन सभी प्लांट की हालत कुछ अच्छी नहीं है। साफ-सफाई के अभाव में प्लांट में ही गंदगी जमी हुई है। हालत यह है कि यदि आप इसे पीने के लिए उपयोग कर रहे हैं तो यह आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।
बैक्टीरिया की जांच नहीं
रुक्का फिल्टर प्लांट में काम कर रहे एक इंजीनियर ने बताया कि पेयजल विभाग द्वारा रोजाना पीने के पानी में बैक्टीरिया मारने के लिए ही 1.5 मिलीग्राम क्लोरीन गैस मिलाया जाता है। मगर आखिरी कंच्यूमर प्वाइंट तक पहुंचते-पहुंचते पानी में मौजूद क्लोरीन गैस गायब हो जाती है। ऐसे में बैक्टीरिया फिर से पानी में जन्म ले लेता है। पानी बैक्टीरिया मुक्त है या नहीं, यह बताने वाला विभाग में एक भी अधिकारी नहीं है। पानी में मौजूद ई-कोलाइ पैथोजोनिक नामक घातक बैक्टीरिया हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, हटिया डैम के रॉ वाटर में ई-कोलाइ नामक बैक्टीरिया नियमित रूप से मिलता है। रुक्का और कांके डैम के पानी में बाहरी स्रोतों से गदंगी भी मिलती है। वहां रॉ वाटर में ई-कोलाइ के साथ-साथ पैथोजोनिक बैक्टीरिया भी मिलता है। उन्हीं बैक्टीरिया को मारने के लिए पानी में क्लोरिन मिलाई जाती है। राजधानी में हटिया, रुक्का और गोंदा तीनों प्लांट में वाटर टेस्टिंग लैब है, जिसका संचालन प्राइवेट कंपनियों को सौंपा गया है। रांची के तीनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में सिर्फ टरबिडिटी क्लोरीन और पीपी की जांच होती है। मगर किसी प्लांट में बैक्टीरिया की जांच नहीं होती। जांच के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर शहर में पानी की सप्लाई की जा रही है, जबकि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में बैक्टीरिया जांच के साथ हर घंटे पानी का सैंपल लेकर जांच करने का नियम भी है, मगर नियम कागज में ही प्रभावी है।
डेली 4.25 करोड़ गैलन सप्लाई
राजधानी रांची का अर्बन इलाका नगर निगम के 53 वार्ड में 175 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। इनमें रहने वाली 70 परसेंट आबादी पाइपलाइन जलापूर्ति व्यवस्था पर निर्भर है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार सिटी में हर दिन 43 एमजीडी गैलन यानी की करीब 4.25 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति गोंदा, रुक्का और हटिया डैम से की जाती है। राजधानी रांची यदा-कदा सप्लाई पानी में कीड़ा निकलने की शिकायत भी आती रहती हैं। कई बार लोगों ने बोतल में पानी भर कर नगर निगम और दूसरे संस्थानों में शिकायत भी की है। लेकिन फिर इसका कोई असर अब तक नहीं हुआ है।
धुर्वा फिल्टर प्लांट
धुर्वा फिल्टर प्लांट में धुर्वा डैम से पानी लिया जाता है। यहां से हटिया रेलवे कॉलोनी, हिनू, डोरंडा, ओवरब्रिज, मेकॉन, हरमू्र, एचईसी, धुर्वा समेत अन्य इलाकों मेें पानी की सप्लाई होती है। इस प्लांट में दो एरिएशन हैं, जहां डैम का पानी इक_ा होता है। इस प्लांट की क्षमता नौ लाख गैलन पानी की है। प्लांट में आठ बेड है, जिसमें कभी पांच तो कभी छह बेड काम करते हैं। इसी बेड के पानी को संप में भेजा जाता है, जहां क्लोरीन मिलाकर उसे सप्लाई के लिए भेज दिया जाता है।
गोंदा फिल्टर प्लांट
गोंदा फिल्टर प्लांट में फिल्टरेशन के लिए नौ बड़ी-बड़ी टंकियां बनाई गई हैं। पानी जब डैम से आता है तो वह अलग-अलग प्रॉसेस के बाद इन्हीं टंकियों में आकर गिरता है। इन टंकियों का हाल अगर आंखों से देख लिया जाये तो आप सप्लाई पानी पीना ही बंद कर देंगे। फिल्टरेशन में लगी मशीनरी भी काफी पुरानी हो चुकी हैं। उनमें भी जंग लग चुका है। पानी सप्लाई करने से पहले इसकी टेस्टिंग करनी जरूरी है। टेस्टिंग के लिए लैब तो है लेकिन यहां जांच के लिए प्रॉपर न मशीन है और न ही मैनपावर। कभी-कभी सिर्फ पीएच नाप लिया जाता है।
रुक्का फिल्टर प्लांट
राजधानी के सबसे बड़े जलाशय रुक्का से नगर निगम के 25 वार्डों में प्रति दिन 35 मिलियन गैलन (एमजीडी) की आपूर्ति की जाती है। शहर में बूटी, बरियातू, कोकर, लालपुर, मेन रोड, कांटा टोली, बहु बजार, हरमू, रातू रोड सहित कई इलाकों में इसी डैम का पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है। यहां का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी काफी पुराना है। मशीन और पाइप में जंग लग चुका है। हालांकि नए प्लांट का भी निर्माण कराया गया है।
क्या कहती है पब्लिक
कभी-कभी सप्लाई पानी में तैरता हुआ कीड़ा निकल आता है। बगैर उबाले इसे इस्तेमाल नहीं करते। पानी से बदबू भी काफी आता है।
- महादेव उरांव
सरकार शुद्ध पानी तो पिला नहीं रही, बल्कि उल्टे हमसे पानी के नाम पर और अलग-अलग तरह के टैक्स वसूल रही है।
- इंद्रदेव चौधरी
पानी गंदा ही नहीं, बदबूदार भी है, और कीड़ा भी निकलता है। यह पीने योग्य बिल्कुल नहीं। पानी छूने पर हाथ में खुजली होने लगती है।
- खुशबू